ग्रीस शांत नहीं बैठा है, एर्दोगन के तुर्की को बर्बाद करने की पूरी तैयारी कर चुका है ग्रीस

हागिया सोफिया विवाद पर तुर्की-ग्रीस आमने-सामने!

ग्रीस

(pc -us news )

 

पूर्वी मेडिटेरेनियन में तुर्की किस प्रकार से ग्रीस के साथ गुंडई कर रहा है, ये किसी से नहीं छुपा हुआ है। TFIPost ने इस विषय पर प्रकाश डालते हुए एक लेख भी लिखा था। ग्रीस के समुद्री क्षेत्र में रिसर्च के नाम पर तुर्की ग्रीस की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देता हुआ दे रहा है।

ग्रीस तुर्की के विरुद्ध उतना आक्रामक नहीं था, जितना उन्हें होना चाहिए था। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि ग्रीस को इस बात का आभास था कि यूरोपीय संघ तुर्की के विरुद्ध आक्रामक नहीं होगा। परंतु अब जब पानी सर से ऊपर जा चुका है, तो अब ग्रीस ने भी तुर्की के विरुद्ध इटली और मिस्र के साथ मिलकर तुर्की के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया है।

ग्रीस नौसैनिक ताकत के परिप्रेक्ष्य से बेहद शक्तिशाली है। भौगोलिक स्थिति से भी ग्रीस  सम्पन्न है, और वह अपने आप में एक एक्सक्लूसिव ईकोनॉमिक ज़ोन है। वहीं तुर्की यूएन के समुद्र समझौते का हिस्सा नहीं है, जिसके कारण वह चीन की भांति ग्रीस के समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा ठोकता है। पिछले वर्ष नवंबर में लीबिया के मुस्लिम ब्रदरहुड और तुर्की के बीच में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार तुर्की ग्रीस के EEZ के अंतर्गत आने वाले द्वीपों पर कब्ज़ा कर ग्रीस के समुद्री अखंडता को खंडित करना चाहती है।

तुर्की त्रिपोली में स्थित और यूएन समर्थित जीएनए का समर्थन कर रही है, जबकि इटली, मिस्र और फ्रांस लीबियन नेशनल आर्मी के साथ है। इससे स्पष्ट है कि तुर्की लीबिया के जरिये पूर्वी मेडिटेरेनियन पर अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है। लेकिन ग्रीस भी अनुभवहीन नहीं है। अब ग्रीस ने पूर्वी मेडिटेरेनियन में यूएन के समुद्री समझौते का हिस्सा होने के नाते अपनी अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों को भी उसी के अनुसार बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इससे न केवल तुर्की का घेराव होगा, बल्कि तुर्की को अपने ही जाल में फंसाकर ग्रीस अपने अखंडता की भी रक्षा करेगा। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए इटली और ग्रीस ने एक समझौते पर जून में हस्ताक्षर किया है, जो तुर्की का घेराव करने में Greece के लिए सहायक भी होगा।

लेकिन केवल इटली ही Greece के साथ इस लड़ाई में शामिल नहीं है। मिस्र भी Greece के साथ यूएन के समुद्री समझौते यानि Unclos के अंतर्गत तुर्की की हेकड़ी को ठिकाने लगाने पर काम कर रहा है। मिस्र के विदेश मंत्री के अनुसार, “हाल ही में मिस्र ने Greece के साथ EEZ को विकसित करने की दिशा में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।“  ये समझौता न सिर्फ तुर्की की योजना के आड़े आएगा, अपितु तुर्की के Greece के द्वीपों पर कब्ज़ा करने की नीति को भी विफल करेगा।

सच कहें तो तुर्की ने Greece को नहीं घेरा है, अपितु Greece ने तुर्की को चारों ओर से घेर किया है। यहाँ तक कि साइप्रस भी Greece के साथ इस लड़ाई में शामिल हुआ है। तुर्की की स्थिति चीन जैसी हो चुकी है, जिसने ये सोच के Greece को चुनौती दी कि उसके समर्थन में सभी पड़ोसी साथ होंगे, पर उल्टे Greece के समर्थन में उसके पड़ोसी [साइप्रस] भी आगे आए हैं। Greece ने अंतर्राष्ट्रीय कानून और Unclos का सम्मान भी किया, जो उसी के लिए हितकारी भी सिद्ध हुआ है। तुर्की Greece के लिए समुद्री जाल बुन रही थी, लेकिन अब Greece ने खुद तुर्की को उसी के जाल में फंसा दिया है।

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