“यह वो भारत नहीं जिसे हम जानते हैं”, मंदिर पर देश उत्सव मना रहा, लेकिन कुछ लोगों की छाती पर सांप लोट रहे हैं

अरे कोई इन्हें Burnol दो भाई!!

राम मंदिर

लगभग 500 साल के अथक संघर्ष के बाद श्री राम जन्मभूमि परिसर का पुनर्निर्माण प्रारम्भ हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पावन अवसर पर अयोध्या में आयोजित भूमि पूजन में हिस्सा लिया और ये आशा जताई कि श्री राम जन्मभूमि एक भव्य भवन के रूप में दर्शनार्थियों के लिए जल्द ही उपलब्ध होगी।

लेकिन, जहां एक तरफ विश्व भर के राम भक्त हर्षोल्लास में रमे हुए हैं, तो भारत में कुछ ऐसी दुखी आत्माएँ भी हैं, जिन्हें इस पावन अवसर पर भी मनहूसियत ही फैलानी है। ये वही कट्टरपंथी हैं जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि परिसर के निर्माण में खूब रोड़े अटकाए थे और इस बात में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि परिसर का पुनर्निर्माण न होने पाए। लेकिन, अब चूंकि इन महानुभावों की आशाओं पर पानी फिर गया है, इसीलिए अब ये लोग सोशल मीडिया पर ज़हर उगल रहे हैं।

सबसे पहले आता है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड। यह कट्टरपंथी संस्था तो अपने ट्विट्टर हैंडल से धमकियाँ देने पर उतर आई। AIMPLB की ट्वीट में लिखा था, “बाबरी मस्जिद हमेशा से एक मस्जिद थी और रहेगी। हागिया सोफिया हमारे लिए एक बेहतरीन उदाहरण है। एक अन्यायपूर्ण, दमनकारी और शर्मनाक फैसले से छीनी हुई ज़मीन का रुतबा कभी नहीं बदलेगा। किसी को उदास होने की ज़रूरत नहीं। हालात हर समय एक जैसे नहीं होते।”

https://twitter.com/AIMPLB_Official/status/1290666820089913344?s=08

 

ठहरिए! यह तो बस अभी शुरुआत है। इस ट्वीट से प्रेरित हो कर कुछ स्वघोषित बुद्धिजीवियों के समूह ने एक भड़काऊ ट्विट्टर ट्रेंड को जन्म दिया – #BabriZindaHai। इसी पर ट्वीट करते हुए AIMIM के मुखिया, असदुद्दीन ओवैसी ट्वीट करते हैं, “बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी इंशल्लाह। #BabriZindaHai” –

अब ऐसे में भला राणा अय्यूब और आरफा खानम शेरवानी जैसे सूडो-सेक्युलर पत्रकार भी पीछे कैसे रह सकते हैं? वामपंथियों की पोस्टर गर्ल्स मानी जाने वाली इन दोनों पत्रकारों ने जमकर ट्विटर पर अपने आँसू बहाए और अपनी- अपनी तरह से श्री राम जन्मभूमि परिसर के निर्माण का उपहास करने का प्रयास किया। जहां राणा अयूब ने पिछले वर्ष निरस्त किए गए अनुच्छेद 370 की याद दिलाते हुए ट्वीट किया- “यह वो भारत नहीं जिसे मैं जानती हूँ – #5August”। तो वहीं, आरफा खानम शेरवानी ने ट्वीट किया, “क्या ये वही मुल्क है जिसके लिए मेरे पुरखों ने लड़ाई लड़ी? अब मैं अपने ही मुल्क को पहचान नहीं पा रही हूँ #5अगस्त”।

इसके अलावा खुद को औरंगज़ेब की राज दुलारी मानने वाली इतिहासकार, औड्रे ट्रूशके ने तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “आज 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन रहा, बल्कि नफरत, गैर-कानूनी हिंसा, और संकीर्णता की विजय हो रही है। हिन्दू राष्ट्र की इससे बढ़िया नींव कोई हो ही नहीं सकती।”

https://twitter.com/AudreyTruschke/status/1290842914789167106?s=19

और हमारे पसंदीदा पत्रकार, राजदीप सरदेसाई ने तो ताबड़तोड़ ट्वीट करते हुए अपनी भड़ास को अप्रत्यक्ष रूप से जताने का प्रयास किया। एक ट्वीट में उन्होने प्रताप भानु मेहता का लेख शेयर किया, जिसका शीर्षक “राम मंदिर का पुनर्निर्माण हिन्दू साम्राज्यवाद की विजय का प्रतीक है”, था तो वहीं, दूसरे ट्वीट में उन्होने महात्मा गांधी की दुहाई देते हुए कहा कि, श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण कोई बहुत बड़े गर्व की बात नहीं है, और लोगों को इस विषय पर ज़्यादा उत्सव नहीं मानना चाहिए!” 

अब सच कहें तो भैया इसमें इनका भी कोई विशेष दोष नहीं है, क्योंकि जिस उद्देश्य के लिए आप वर्षों तक मेहनत करें, और वो सफल न हो, तो दुखी होना स्वाभाविक है। जो दुखी हैं, उन्हें दुख के सागर में डूबे रहने दीजिये, क्योंकि बाकी देश तो भगवान राम के लिए उत्सव मानाने में लीन है।

 

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