‘वो अमेरिकी नागरिक था’, पाकिस्तान के कोर्ट में अमेरिकी-अहमदी की हत्या पर US ने पाकिस्तान को लताड़ा

कट्टरपंथी इस मामले पर जश्न मना रहे हैं

पाकिस्तान

पाकिस्तान के इतिहास और वर्तमान में घटनाओं की एक लंबी फेरहिस्त है जो यह साबित करते हैं कि पाकिस्तान पृथ्वी पर सबसे कट्टरपंथी देशों में से एक है। इसी कड़ी में एक और घटना जुड़ी है जब ईश निंदा के आरोपी 47 वर्षीय अमेरिकी नागरिक की बुधवार को अदालत के अंदर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब अमेरिका ने इस घटना की निंदा की है और पाकिस्तान सरकार से ‘तत्काल कार्रवाई’ की मांग की।

दरअसल, पाकिस्तान के पेशावर में ईशनिंदा के आरोपी ताहिर नसीम नाम के अमेरिकी नागरिक की अदालत में गोली मार का हत्या कर दी गई। हैरानी की बात तो ये है कि सुनवाई के दौरान ही हमलवारों ने ताहिर नसीम के ऊपर फायरिंग शुरू कर दी और 6 गोलियां दागकर हत्या कर दी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार खालिद नाम के हमलावर नसीम को ‘इस्लाम का दुश्मन’ कह कर चिल्ला रहा था। नसीम अहमदी समुदाय से था जिस पर दो वर्ष पहले ईश निंदा का आरोप लगा कर गिरफ्तार किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार ताहिर 2018 से ही पुलिस की गिरफ्त में था, उसपर कई मामलों में केस चल रहा था। नसीम को वर्ष 2018 में एक पाकिस्तानी छात्र से खुद को ‘इस्लाम के अंतिम पैगंबर’ होने का दावा करने के कारण गिरफ्तार किया गया। नसीम को पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने सहित कई आरोपों का सामना करना पड़ा।

इस घटना पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशियाई विभाग ने ट्वीट कर चिंता जताई और पाकिस्तान से कड़ा एक्शन लेने की मांग की। ट्वीट में कहा गया है कि “पाकिस्तान की अदालत में मारे गए अमेरिकी नागरिक ताहिर नसीम के परिवार के प्रति हम संवेदना व्यक्त करते हैं। पाकिस्तान से अपील करते हैं कि वो आरोपियों पर सख्त एक्शन ले और आगे इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाए।“

DW की रिपोर्ट के अनुसार नसीम को Illinois में उसके घर से लालच देकर पाकिस्तान बुलाया गया था और फिर ईशनिंदा का इस्तेमाल कर उसे फंसा दिया गया। DW की रिपोर्ट के अनुसार US State Department ने पाक से कहा है कि हम पाक से उसके ईशनिंदा और कोर्ट व्यवस्था में सुधार की मांग करते हैं जिससे इस तरह के अत्याचारों को रोका जा सके।

बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत 1987 से लेकर 2018 तक कुल 776 मुस्लिम, 505 अहमदी, 229 ईसाई और 30 हिंदुओं पर विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए है। इन आंकड़ों को नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस (एनसीजेपी) द्वारा उपलब्ध कराया गया था। वहीं 1990 के बाद से, ईश निंदा के आरोप के बाद कम से कम 77 लोग मारे गए हैं जिनमें अधिकतर शिक्षक, गायक, वकील और अहमदी समुदाय के लोग ही है।

कुछ दिनों पहले तो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के एक नेता ख्वाजा आसिफ के खिलाफ पाक के सत्तारूढ़ दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक नेता ने ईश निंदा का मामला दर्ज करने की मांग कर दी थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है पाकिस्तान में किस प्रकार से इस कानून का दुरुपयोग होता होगा। आसिया बीबी के मामले को तो पूरे विश्व ने देखा था कि पाक में अल्पसंख्यकों के साथ कैसे बर्ताव किया जाता है। आसिया बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी क़रार देते हुए फांसी की सज़ा सुनायी थी जिसे 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय ने बरक़रार रखा था।

बता दें कि वर्ष 1860 में ब्रिटिश सरकार ने धर्म से जुड़ी बातों या चीजों का अपमान करने वाले को सजा देने के लिए इस कानून को बनाया था लेकिन उसमें किसी खास धर्म की बात नहीं की गयी थी। आजादी के बाद जब पाक अलग हुआ तो उसने उसने ईशनिंदा के कानून को पाकिस्तान दंड संहिता को अपना लिया। परंतु पाक का इस्लामीकरण, राष्ट्रपति ज़िया उल हक शासन के दौरान शुरू हुआ था, जो पूरे पाकिस्तान में निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा, का “नियम” बनाने के उद्देश्य से शासन करते थे। उन्होंने पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-बी और 295-सी के तहत ईशनिंदा को लागू किया था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पाक की न्यायिक मशीनरी में इस्लामवादियों को शामिल किया जा सके।

पाकिस्तान पहले से ही चीन का साथ देने के लिए अमेरिका की नजरों में आया हुआ है। अब पाक में दिन दहाड़े उसके एक नागरिक की हत्या कर दी गयी है। इस मामले पर अगर पाकिस्तान ने कोई कड़ा कदम नहीं उठाया तो अमेरिका पाक के खिलाफ अवश्य ही एक्शन ले लेगा। अगर अमेरिका ने पाकिस्तान पर एक्शन लेना शुरू कर देगा तो पाकिस्तान पर ही भारी पड़ेगा।

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