भारत अपनी विशाल जनसंख्या का उपयोग चीन और अपने दुश्मनों के खिलाफ कैसे कर रहा है

चीन का विस्तारवाद नहीं, सबका साथ, सबका विकास

जनसंख्या

(pc-financial express )

किसी भी वस्तु के अपने लाभ और हानि के कारण अवश्य होते हैं। अब यह व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह उस वस्तु अथवा संसाधन का कैसे उपयोग करते हैं। अब भारत भी उसी पद्धति पर चल रहा है, जिसपर चलते हुए चीन ने 2020 से पहले पूरे विश्व में अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। जिस जनसंख्या को विश्व के कई देश उन्नति में रोड़ा मानते हैं, उसी जनसंख्या और अपने विशाल मार्केट के दम पर अब भारत चीन के अलावा हर वो देश, जो उसके विरुद्ध हो,  से मोर्चा संभालने को पूरी तरह तैयार है।

जब पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आव्हान किया था, तो वामपंथियों सहित देश के विपक्षी पार्टियों ने इसका खूब उपहास उड़ाया था। लेकिन पीएम मोदी ने यह निर्णय यूं ही नहीं लिया था। वे भली-भांति जानते हैं कि भारत का विशाल मार्केट अपने आप में कितना अनोखा है और यह एक ऐसा अस्त्र है, जिसका सदुपयोग कर भारत एक बार फिर से विश्वगुरु बनने की राह पे अग्रसर हो सकता है। भारत मोबाइल फोन्स के हिसाब से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है।

इसके अलावा सौर ऊर्जा के लिहाज से भारत तीसरे, शस्त्रों के आयात के मामले में दूसरे और सोशल मीडिया के उपयोग के मामले में फेसबुक और प्रतिबंध से पूर्व टिक टॉक के लिए सबसे बड़ा बाज़ार था। इतना ही नहीं, भारत की विशाल जनसंख्या का अर्थ है कि उसके पास विश्व का सबसे सुगठित और किफ़ायती श्रम सेना यानि  labour force भी है। भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में एक ऐसे वैकल्पिक मार्केट की व्यवस्था कर रहा है, जो न केवल सभी सुविधाओं से सम्पन्न हो, अपितु अपने विशाल जनसंख्या के बल पर चीन को तगड़ी चुनौती भी दे सके। केवल चीन ही नहीं, अब हर वो देश, जो भारत के विरुद्ध जाएगा, उसे भारत चीन की ही भांति अपने विशाल मार्केट और जनसंख्या के दम पर तगड़ा सबक सिखाएगा।

पीएम मोदी ने अपने एक भाषण में सही कहा था – ये समय है आपदा को अवसर में बदलने का। भारत के विशाल मार्केट का महत्व कितना है, ये शायद मलेशिया से बेहतर आपको कोई न समझा पाये। पिछले वर्ष मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मुहम्मद ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के मुद्दे पर यूएन की आम सभा में भारत की आलोचना करते हुए इस निर्णय को कश्मीर पर आक्रमण करार दिया। इसके अलावा उन्होने न केवल पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया, अपितु ज़ाकिर नाईक जैसे आतंकी प्रशिक्षकों को विष उगलने के लिए मंच भी प्रदान किया।

तो इसका भारत के मार्केट साइज़ से क्या लेना देना? भारत मलेशिया के प्रमुख निर्यात पाम ऑइल को काफी बड़े मात्र में आयात करता था, और ऐसे में महातिर के बिगड़ैल तेवर देखते हुए भारत सरकार ने यह निर्णय किया कि अब भारत मलेशिया से पाम ऑइल का आयात नहीं करेगा। इसका मलेशिया की अर्थव्यवस्था पर काफी गहरा असर पड़ा, और अंत में जनता के दबाव में महातिर को अपने पड़ से इस्तीफा देना ही पड़ा।

भारत के मार्केट साइज़ और उसकी विशाल जनसंख्या का ही परिणाम है कि पाकिस्तान के लाख चाहने के बाद भी मिडिल ईस्ट का कोई भी प्रमुख देश भारत के विरुद्ध जाने को तैयार ही नहीं है। इसका प्रमुख कारण है, भारत की तेल खपत, जिसे यूएई, सऊदी अरब, कुवैत जैसे देशों को हर हाल में पूरा करना होगा और ऐसे में इस समय भारत विरोधी रुख अपनाना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।

अब समय आ चुका है कि भारत इन संसाधनों का उपयोग ठीक वैसे ही करे, जैसे चीन ने करते हुए पूरे विश्व में अपनी धाक जमाई थी। चीन ने अपने मार्केट के बलबूते ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, बोलिविया जैसे देशों को अपना दास बना लिया था, जो यदि उनके विरुद्ध एक भी कदम आगे बढ़ाते, तो अपने मार्केट के बल पर वे उन्हे शांत करा देते। चीन का प्रभाव ऐसा था कि पूर्व एशिया के देश और यहाँ तक कि अमेरिका और यूरोप भी चीन के तकनीक और उत्पादों पर निर्भर होने लगा।

लेकिन वुहान वायरस की महामारी ने पूरा पासा ही पलट दिया। एक तो चीन द्वारा इस महामारी को छुपाए रखने के कारण उसे पहले ही आलोचना का सामना करना पड़ रहा था और दूसरी ओर उसके विस्तारवादी विचारधारा के कारण जिन देशों ने कभी चीन के विरुद्ध आवाज तक नहीं उठाई, उन्हे भी चीन के विरुद्ध मोर्चा खोलना पड़ा। भारत को चीन से कोई विशेष लगाव नहीं था, लेकिन जब चीन ने पूर्वी लद्दाख पर अपनी नज़रें गड़ाई और गलवान घाटी में हमला भी किया, तो भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का प्रबंध किया।

अब समय आ चुका है कि भारत अपने विशाल मार्केट और अपनी जनसंख्या का सदुपयोग करते हुए वैश्विक सप्लाई चेन में चीन का स्थान लेने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास करना शुरू करे। भारत चीन के मुक़ाबले न केवल अधिक उदार है, अपितु अपनी जनसंख्या के बल पर वह विश्व को श्रम में किसी प्रकार की कमी नहीं होने देगा। जिन ताकतों के बल पर चीन ने विश्व का शोषण किया, उन्ही ताकतों के बल पर अब भारत विश्व का उद्धार कर पुनः विश्व गुरु बन सकता है।

Exit mobile version