यदि वैक्सीन की खबर सच है, तो निस्संदेह रूस का खोया गौरव वापिस आ सकता है

रूस के दिन बदलने वाले हैं!

रूस

(pc -jagran)

वुहान वायरस के प्रकोप से पूरी दुनिया ग्रसित है और करीब 2 करोड़ से अधिक लोग इस महामारी के जद में आ चुके है। लेकिन अब इस महामारी से कराह रहे संसार को एक देश ने आशा की एक किरण दिखाई है और वो कोई और नहीं, बल्कि रूस है। रूस ने दावा किया है कि उसके वैज्ञानिकों ने वुहान वायरस से रक्षा करने में सक्षम एक अहम वैक्सीन को विकसित किया है, जिससे संसार को जल्द ही इस महामारी से निजात मिल सकती है।

एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, इस वैक्सीन को मॉस्को के गामेल्या इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। मंगलवार को रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीन को सफल करार दिया। इसी के साथ व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया कि रूस में जल्द ही इस वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू किया जाएगा और बड़ी संख्या में वैक्सीन की डोज़ बनाया जाएगा। बताया जाता है कि वैश्विक महामारी के कारण इस वैक्सीन की तैयारी को रूसी प्रशासन ने फास्ट ट्रैक भी कराया था।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस विषय पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी बेटी ने भी इसका टीका लिया है, पहले उसका बुखार 38 डिग्री था, टीके के बाद ये बढ़ा लेकिन बाद में काबू में आने लगा। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि कुछ लोगों को टीका लगने के बाद कोरोना का कोई लक्षण नहीं है। राष्ट्रपति पुतिन के अनुसार यह वैक्सीन जल्द ही जनता की सेवा में जारी किया जाएगा।

यदि रूस के राष्ट्राध्यक्ष और रूसी प्रशासन का दावा शत प्रतिशत सत्य है, तो इससे रूस का खोया गौरव वापिस आना तय है। एक समय रूस दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक माना जाता था, और द्वितीय विश्व युद्ध तक ये सोवियत संघ के रूप में अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियों को भी टक्कर देने लग गया था। परंतु कम्युनिस्ट विचारधारा के दुष्प्रभावों के कारण सोवियत संघ का विघटन हो गया, लेकिन रूस का प्रभाव कहीं से भी कम नहीं हुआ।

लेकिन चीन के बढ़ते कद और यूरोपीय संघ के दबाव में आकर विश्व को 2000 के शुरुआती दशकों में रूस के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाना पड़ा। चाहे खेल जगत हो या फिर राजनीतिक जगत, रूस को हर जगह भेदभाव का सामना करना पड़ा और तत्कालीन अमेरिकी प्रशासन ने रूस को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन वुहान वायरस की महामारी ने मानो पूरा पासा ही पलट दिया है। व्लादिमिर पुतिन के नेतृत्व में न केवल रूस ने अपनी छवि में सुधार किया है, अपितु अब भारत के साथ साथ अमेरिका से भी अपने संबंध पुनः स्थापित करना चाहता है।

बता दें कि वुहान वायरस से लड़ने योग्य वैक्सीन बनाने हेतु कई देश होड़ में लगे हुए हैं, जिनमें इज़राएल, अमेरिका, इटली, ब्रिटेन इत्यादि जैसे देश शामिल है। भारत में भी इस महामारी से लड़ने के लिए दो वैक्सीन तैयार की जा रही है। एक तो भारत सरकार की स्वीकृति से भारत बायोटेक द्वारा COVAXIN नामक वैक्सीन को मानव ट्रायल के लिए सफलतापूर्वक प्रयोग में लाया जा चुका है, तो दूसरा वैक्सीन पुणे में स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग के साथ बनाया जा रहा है।

ऐसे में एक सफल वैक्सीन का रूस में विकसित होने का अर्थ स्पष्ट है – रूस का न केवल मान बढ़ेगा, अपितु चीन और यूरोपीय संघ के रूस को दरकिनार कर वैश्विक राजनीति में वर्चस्व जमाने के सपने मात्र सपने ही रहेंगे। यदि रूसी वैक्सीन सफल सिद्ध होती है, तो यह व्लादिमिर पुतिन के प्रभावशाली करियर में एक और मील का पत्थर सिद्ध होगा।

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