“3 साल में 1 लाख बच्चे पैदा”, रोहिंग्या बच्चे पैदा करने में लगे हैं, खाने का जुगाड़ करने में बांग्लादेश पिस रहा है

रोहिंग्याओं से जुड़ा बड़ा खुलासा!

रोहिंग्या

बांग्लादेश पर इस समय मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। एक ओर चीन उसकी सम्पदा और संसाधनों पर घात लगाए बैठा है, दूसरी ओर धर्मांधता की घटनाओं के कारण बांग्लादेश की वैश्विक छवि पर असर पड़ रहा है। अब बांग्लादेश पर रोहिंग्या बम भी फूट पड़ा है। नहीं नहीं, रोहिंग्या घुसपैठियों ने कोई आतंकी हमला नहीं किया, अपितु 1 लाख से अधिक बच्चों के रोहिंग्या शिविरों में पैदा होने से बांग्लादेश के सिर पर नयी मुसीबत आन पड़ी है।

Anadolu Agency की रिपोर्ट की माने तो मानवता की सेवा में जुटी संगठन सेव द चिल्ड्रेन फोरम के विश्लेषण के अनुसार, “पिछले कुछ वर्षों से रोहिंग्या शिविर में करीब 1 लाख से अधिक बच्चे पैदा हुए हैं, जिनके जीवनयापन की व्यवस्था बहुत बेकार है। शिक्षा और उचित स्वास्थ्य की सुविधा तो छोड़िए, उनके पास आसपास घूमने की स्वतन्त्रता भी नहीं है, और वे मानवाधिकार सहायता पर निर्भर रहते हैं”।

बढ़ती जनसंख्या का पेट पालना बांग्लादेश प्रशासन के लिए मुश्किल होता जा रहा है। वहीं खुद रोहिंग्या भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है। तीन साल की रूना की मां, हमीदा बेगम ने कहा कि, “मैं अपने बच्चों की शिक्षा, उनके भविष्य, उनके व्यवहार को लेकर चिंतित हूं।”

सेव द चिल्ड्रेन ने पिछले तीन वर्ष के बांग्लादेश के जनसंख्या डेटा का विश्लेषण करते हुए तैयार किया है। बता दें कि 2017 में म्यांमार प्रशासन की कठोर कार्रवाई के चलते राखीन प्रांत से 7 लाख रोहिंग्या घुसपैठिए भाग खड़े हुए थे, जिनमें से कई बांग्लादेश आ चुके थे। इस समय केवल कॉक्स बाज़ार क्षेत्र में 75000 से अधिक बच्चों की आयु तीन साल से भी कम पाई गई है। इस समय 10 लाख से भी अधिक रोहिंग्या घुसपैठिए बांग्लादेश में डेरा जमाये हुए हैं, और लगभग आधे से अधिक तो बच्चे ही हैं। जिन परिस्थितियों में वे रह रहे हैं, वह सेव द चिल्ड्रेन के अनुसार न केवल चिंताजनक है, अपितु खतरनाक भी। अब बांग्लादेशी प्रशासन के सामने समस्या यह है कि वह इतने सारे बच्चों का पालन पोषण कैसे करेंगे, और उनके लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था कैसे करेंगे।

अब सेव द चिल्ड्रेन की इस रिपोर्ट से इतना तो स्पष्ट होता है कि रोहिंग्या घुसपैठियों की बढ़ती जन्संख्या परेशानी बनती जा रही है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश को रोहिंग्या शिविरों में इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ा हो। बता दें कि कॉक्स बाजार में बांग्लादेश का सबसे बड़ा रोहिंग्या शरणार्थी शिविर है। बांग्लादेश सरकार के मुताबिक अभी जिस कॉक्स बाजार में रोहिंग्या मुसलमानों को बसाया गया है, वहां पर लगातार इनकी भीड़ बढ़ती जा रही है, जो न केवल उस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों, अपितु बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। जल्द ही बंगलदेश ने कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले समय में बांग्लादेश की परेशानियां और बढ़ सकती हैं। पहले ही कोरोना की मार से अर्थव्यवस्था राज्य की बुरे दये से गुजर रही है।

 

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