चीन को एक और झटका, म्यांमार ने यांगून सिटी परियोजना में अन्य देशों को भी शामिल करने का लिया फैसला

चीन के प्रभुत्व को खत्म करने का काम यहाँ भी शुरू है

Myanmar

भारत का पड़ोसी म्यांमार अब चीनी ऋण-जाल से बचने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में म्यांमार ने चीन को झटका देते हुए BRI के New Yangon City Project में चीन के अलावा अन्य अंतर्राष्ट्रीय पार्टनर्स को भी जोड़ने का फैसला किया है। म्यांमार (Myanmar) का यह कदम न सिर्फ बढ़ते हुए चीनी प्रभुत्व को रोकेगा, बल्कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी को भड़कने पर मजबूर भी करेगा।

दरअसल, शी जिनपिंग ने इसी साल जनवरी में म्यांमार का दौरा किया था। शी जिनपिंग ने म्यांमार (Myanmar) सरकार के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए थे, जिसमें Yangon City Project भी शामिल था। Yangon City Project, चीन-म्यांमार के प्रस्तावित आर्थिक गलियारे (CMEC) का ही एक भाग है, जो BRI के तहत विकसित किया जा रहा है।

म्यांमार की न्यूज़ वेबसाइट The Irrawaddy के अनुसार, अब म्यांमार ने Yangon City Project से जुड़ने के लिए अन्य अंतर्राष्ट्रीय फर्मों के लिए भी रास्ता खोल दिया है। माना जा रहा है कि इससे इस परियोजना के निवेश में काफी विभिन्नता आएगी। BRI में चीनी प्रभुत्व के खिलाफ म्यांमार का यह कदम चीन के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। इससे पहले, Yangon City Project का पूरा ज़िम्मा चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (CCCC) के पास था, जिसकी मदद से चीन म्यांमार (Myanmar)  को अपने कर्ज में डूबो कर भू-राजनीतिक लाभ लेता था।

इस परियोजना में विदेशी फर्मों के शामिल होने से Yangon City Project में चीन के निवेश को कम करने में काफी मदद मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से चीन सीधे इरावदी नदी से जुड़ जाता और फिर से CMEC की मदद से उसे सीधे बंगाल की खाड़ी में प्रवेश मिल जाता। हालांकि, म्यांमार ने इस तरह की सम्भावना को अभी के लिए टाल दिया है।

चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर में अत्यधिक निवेश के उत्साह को देखते हुए म्यांमार (Myanmar) की सरकार में ये डर जाहिर होने लगा है कि कहीं उनके देश की हालत भी पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी न हो जाए। पाकिस्तान और नेपाल ने चीन की ऋण-जाल नीति के आगे घुटने टेक दिए हैं और इन दोनों की गलती से म्यांमार सबक सीख चुका है।

म्यांमार ने न्यू यंगून सिटी परियोजना के अलावा कई ऐसे कदम उठाए हैं जो चीन के BRI को और धीमा कर रहा है ताकि चीन को भू राजनीतिक लाभ न प्राप्त हो सके।

BRI के तहत तैयार किए जा रहे चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे को चीन पाकिस्तान की अवैध CPEC के तर्ज पर ही बनाना चाहता है लेकिन अभी तक उसे शुरू नहीं कर सका है। म्यांमार में तीन प्रमुख चीनी परियोजनाएँ हैं New Yangon City, the Kyaukphyu Deep-Sea Port and Industrial Zone, और the China-Myanmar Border Economic Cooperation Zones.

हाल ही में जब म्यांमार ने भी COVID-19 रिकवरी प्लान जारी किया, तो उसमें किसी भी चीनी infrastructural प्रोजेक्ट को मदद करने की अनुमति नहीं दी, जो BRI के तहत विकसित किया जा रहा है, यह देश में चीन विरोधी लहर का ही नतीजा था। यही नहीं, इससे पहले वर्ष 2011 में Myanmar कि Thein Sein सरकार ने 3.6 बिलियन की लागत से बनने वाले चीन की Myitsone dam प्रोजेक्ट को भी रोक दिया था।

दूसरी ओर, म्यांमार में भारत द्वारा बनाए जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को इस तरह की बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता। वास्तव में, म्यांमार भारतीय परियोजनाओं में तेजी ला रहा है। इसी कारण चीन चिढ़ा हुआ है और भारत तथा म्यांमार (Myanmar) को अस्थिर करने के लिए उग्रवादियों और अराकान आर्मी जैसे संगठन को धन मुहैया कराता है। अराकान आर्मी को मिलने वाले 95% फंडस चीन से ही आते हैं। इसके अलावा अराकान आर्मी Myanmar में चुन-चुन कर भारत से जुड़े प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाती है। यही नहीं वे Myanmar सेना को भी निशाना बनाते हैं।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने आतंकी समूहों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति जारी रखी है, जो भारत के महत्वपूर्ण 484 मिलियन डॉलर के कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट परियोजना के लिए खतरा बना हुआ है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत अपने नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को म्यांमार के सितवे पोर्ट से जोड़ना चाहता है।

गैर करें तो म्यांमार में चीनी निवेश का मुख्य उद्देश्य अपने Yunnan प्रांत को बंगाल की खाड़ी से जोड़ना है जो चीन के लिए हिंद महासागर में प्रवेश द्वार के रूप में काम कर सकता है। इससे बंगाल की खाड़ी में चीन की धमक भी बढ़ जाएगी और चीन इस पोर्ट का भारत के खिलाफ सैन्य उपयोग भी कर सकता है। म्यांमार के ज़रिए हिंद महासागर में प्रवेश करने से चीन को भारत द्वारा Malacca Strait में Naval Blockade से बचने में मदद मिल सकती है। यानि देखा जाए तो म्यांमार (Myanmar)  में चीन का बहुत कुछ दांव पर है। हालांकि, म्यांमार अब चीन की चाल को समझ चुका है और उसे अपने देश से हटाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहा है। अपने नए निर्णय से म्यांमार ने एक बार फिर से यह बता दिया है कि उसे CMEC और BRI में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।

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