भारत सरकार ने एक ऐसी कार्ययोजना पर काम करना शुरू किया है जिसका विचार भी कुछ साल पहले तक करना असंभव लगता था। वह है चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना। गलवान की दुखद घटना के बाद से भारत की नीति और जनमानस में एक सकारात्मक बदलाव भी आया है। इस घटना ने भारतीयों को चीन के खिलाफ एकजुट कर दिया और भारत सरकार की चीन बहिष्कार की योजना को लेकर सभी शंकाओं का समूल अंत कर दिया। भारत का लक्ष्य अब तय है, चीन पर से आर्थिक निर्भरता कम करना, अब बस आवश्यकता है एक कुशल कार्ययोजना की, जिसपर भारत सरकार ने तेजी से काम शुरू किया है।
इसका नतीजा है कि विभिन्न क्षेत्रों में चीन की उपस्थिति को खत्म किया जा रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट आयी है जिसके अनुसार भारत में चीन से आयात होने वाली 327 वस्तुओं में से 75 फीसदी को दूसरे विकल्पों के साथ बदला जा सकता है। हालांकि, ये भारत में चीन से आयातित होने वाली वस्तुओं का कुल दस प्रतिशत ही होगा लेकिन अच्छी खबर है कि इन 327 वस्तुओं में से कई ऐसी चीजें हैं जो चीन के आर्थिक लाभ में बड़ी हिस्सेदारी रखती हैं। जैसे मोबाइल फ़ोन, एयरकण्डीशनर, सोलर पैनल आदि। ये सभी ऐसी वस्तुएं हैं जिनमें चीन का एक प्रकार से एकाधिकार है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के स्मार्टफ़ोन मार्किट में चीन के मोबाइल फ़ोन की हिस्सेदारी मार्च तक 81 प्रतिशत थी। वहीँ अगर टेलीविजन की बात करें तो चीन भारत के मार्किट से सालाना 300 मिलियन डॉलर कमाता था। भारत के लिए आवश्यक है कि इन सब पर रोक के साथ ही इन क्षेत्रों में चीन के एकाधिकार को भी खत्म किया जाए। इसपर भारत सरकार की योजना का असर भी दिख रहा है।
जनवरी 2020 से भारत में चीन का निर्यात दर काफी कम हुआ है, ये 24.7 प्रतिशत की सालाना दर से गिरकर 32.28 बिलियन डॉलर पर आ गया है। भारत से चीन का आयात भी इस साल जनवरी से 6.7 फीसदी बढ़कर 11.09 अरब डॉलर हो गया है। नतीजतन, 2020 की शुरुआत में भारत का चीन के साथ कुल व्यापार $ 43 बिलियन की तुलना में थोड़ा कम 18.6 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, जुलाई 2020 में चीन के निर्यात में $ 5. 79 बिलियन की मामूली वृद्धि देखी गई, जो जून 2020 में $ 4.79 बिलियन थी। चीन के एक्सपोर्ट में गिरावट और भारत के एक्सपोर्ट में वृद्धि गालवान घाटी में झड़प के बाद भारत-चीन के बीच बढे तनाव के बाद आयी है, दरअसल, मई से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की प्रक्रिया में तेजी देखी गयी है।
वहीं अगर चीनी एकाधिकार की बात करें तो CHINA की आर्थिक शक्ति का आधार उसके द्वारा बड़ी मात्रा में किया जाने वाला उत्पादन है। बाकी देश CHINA से इसी मामले में पीछे हैं कि वे गुणवत्ता में भले CHINA के बराबर हों लेकिन वे एक सीमा से अधिक उत्पादन नहीं कर पाते और भारत जैसे देश में मांग का स्तर बहुत ऊपर है। अतः अब भारत सरकार की योजना है कि, ऐसे क्षेत्रों में जहाँ CHINA का एकाधिकार है, वहाँ अन्य देशों के उत्पादकों से बात करके एवं उन्हें मौका देकर, भारत अपने आयात का विकेंद्रीकरण करेगा। यह सीधे तौर पर CHINA के आर्थिक हितों को कमजोर करेगा।
भारत सरकार ने हाल ही में ऐसी योजनाएं चलाई हैं जो भारत के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगी, जैसे ‘प्रोडक्शन लिंक इनिशिएटिव योजना, जो भारत के मोबाइल उद्योग को बढ़ाएगी । भारत चीन को आर्थिक तौर पर झटका देने के लिए प्रयासरत है ऐसे में 327 वस्तुओं का विकल्प चीन को एक और झटका होगा तो भारत के उत्पादकों के लिए एक सुनहरा अवसर। पहले ही रक्षाबंधन के अवसर पर चीन को 4 हज़ार करोड़ का घाटा हुआ था और टेक के क्षेत्र में भी भारत ने चीन को बड़ा धक्का दिया है. धीरे धीरे भारत चीन की आर्थिक कमर को तोड़ने के लिए नयी योजनाओं के साथ काम करेगा और यदि यही प्रयास जारी रहे तो वो दिन दूर नहीं जब चीन आर्थिक तौर पर बदहाल हो जायेगा।