चीन से चल रही वार्ता यदि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचती है तो भारत चीन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है। ये हम नहीं बल्कि भारत के चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है। उन्होंने कहा है कि यदि लद्दाख में चीनी अतिक्रमण जारी रहा तो भारत उससे निपटने के लिए सैन्य विकल्पों पर भी विचार हो रहा है।
The military option to deal with transgressions by the Chinese Army in Ladakh is on but it will be exercised only if talks at the military and the diplomatic level fail: General Bipin Rawat, Chief of Defence Staff on the ongoing dispute between India and China in Eastern Ladakh pic.twitter.com/YT6hxzReP5
— ANI (@ANI) August 24, 2020
बता दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच अप्रैल-मई से ही फिंगर एरिया, गलवन घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और कुंगरंग नाला सहित कई क्षेत्रों को लेकर गतिरोध चल रहा है। भारत बार-बार चीन को अपनी हरकतों से बाज आने के लिए उसे चेतावनी दे रहा है परंतु चीन पीछे नहीं हट रहा। अब चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने सीधे चीन को सैन्य कार्रावाई की धमकी दी है। उन्होंने रविवार को कहा कि “लद्दाख में चीनी सेना द्वारा किए गए अतिक्रमण से निपटने के लिए सैन्य विकल्प खुले हुए हैं, लेकिन इसका उपयोग केवल तभी किया जाएगा, जब दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता विफल हो जाएगी।” भारतीय सेना चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को यह बात स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि LAC पर किसी भी तरह का बदलाव उसे मंजूर नहीं है और इसी रूख को बिपिन रावत ने फिर से दोहराया है।
बिपिन रावत का बयान तब सामने आया है जब चीन कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील के किनारे जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए साइट बनाना शुरू कर चुका है। इस साइट का निर्माण अप्रैल में शुरू हुआ था, जो अब लगभग पूरा हो चुका है। कैलाश पर्वत पर युद्ध सामाग्री को तैनात कर चीन इस पर्वत का अपमान करना चाहता है। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म में इस पर्वत का धार्मिक महत्व है। ऐसे वक्त में जब भारत लद्दाख में अपनी स्थिति से टस से मस नहीं हो रहा है, तो चीन ने हिंदुओं की भावनाओं को भड़काकर भारतीयों में अपने खिलाफ और ज़्यादा गुस्सा पैदा करने का काम किया है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों चीन ने पैंगोंग झील इलाके से पीछे हटने से इंकार कर दिया था। चीन भारत के साथ हर मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है लेकिन उसने पैंगोंग इलाके में पूर्वस्थिति बहाल करने से मना कर दिया है। साथ ही लिपुलेख इलाके के पास उसने सैन्य जमावड़ा भी बढ़ा दिया है। वहीं चीन की इस आक्रामकता का कारण चीन में बढ़ता आक्रोश भी है। पिछले दिनों चीन के सम्मानित सेंट्रल पार्टी स्कूल में वरिष्ठ प्रोफेसर रह चुकी Cai Xia ने खुलासा इस बात का खुलासा भी किया था। यही कारण है कि जिनपिंग अपने पड़ोसी देशों के साथ आक्रामक व्यवहार कर रहे हैं, जिससे वे लोगों का ध्यान घरेलू मुद्दों से हटा सके। केवल भारत ही नहीं जापान, वियतनाम, फिलीपींस आदि देशों के साथ भी चीन सीमा विवाद को हवा दे रहा है। परंतु भारत के साथ उसके अधिक आक्रामक होने का कारण यह है कि भारत एशिया की एक नई शक्ति के रूप में उभर रहा है।
यदि चीन बातचीत की मेज पर भारत की हर बात को स्वीकार कर लेगा तो यह भारत की शक्ति को मान्यता देना होगा और चीन ऐसा कभी नहीं करेगा। यही कारण है कि चीन एक ओर तो भारत से बातचीत कर रहा है और दूसरी ओर उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। कैलाश पर्वत पर चीन की हरकत इसका प्रमाण है जिसके अनुसार चीन ने हिन्दुओं के पवित्र धाम श्री कैलाश मानसरोवर के नजदीक अपनी H Q 9 मिसाइल तैनात कर रहा है। साथ ही चीन HT-233 रडार सिस्टम, टाइप 305बी, टाइप 120, टाइप 305ए, वाईएलसी-20 और डीडब्ल्यूएल-002 रडार सिस्टम भी लगा रहा है।
चीन जानता है कि लद्दाख के इलाके में वह भारतीय सेना को पराजित नहीं कर सकता। ऐसे में उसकी ये योजना भारत को उकसाने की है जिससे वो भारत को सीमा विवाद पर अपनी शर्तों पर बात करने को मजबूर कर सके। उसकी इस योजना में भी चीन को हार मीलती दिखाई दे रही है क्योंकि जनरल बिपिन रावत के बयान से जाहिर है कि भारत सरकार और सैन्य बल उसे अब और अधिक समय नहीं देने वाले।