‘भारत विरोधी गतिविधियों को वित्तपोषित कर रहा तुर्की’, तुर्की के इरादे चीन और पाकिस्तान से भी खतरनाक हैं

तुर्की को अब हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए

तुर्की भारत

(pc - zee news )

ईद उल अजहा के मौके पर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री इमरान खान से बात की थी और कश्मीर के मामले में पाक को समर्थन देने की बात कही थी। तुर्की ने पिछले वर्ष भी पाकिस्तान का साथ देते हुए भारत के खिलाफ बयान दिया था। तुर्की के लगातार भारत विरोधी कदमों से अब भारत की खुफिया एजेंसियों की नींद खुल चुकी है। उसके बाद यह रिपोर्ट सामने आई है कि तुर्की भारत विरोधी गतिविधियों का पाकिस्तान के बाद दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तुर्की केरल और कश्मीर समेत देश के तमाम हिस्सों में कट्टर इस्लामी संगठनों को फंडिंग कर रहा है। खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि तुर्की भारतीय मुसलमानों को कट्टरपंथी बनाना और कट्टरपंथियों द्वारा उन्हें भर्ती करने में सहयोग दे रहा है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि तुर्की सरकार ने कश्मीर के कट्टर अलगाववादी नेता जैसे कि सैयद अली शाह गिलानी को वर्षों से वित्त पोषित किया था, लेकिन अब तुर्की इस प्रयास का विस्तार कर रहा जिससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हुई हैं।

तुर्की की एर्दोगन सरकार भारत में कई धार्मिक सेमिनारों के लिए फंडिंग करती है तथा कट्टरपंथियों की भर्ती कर रही है।

एक दूसरी रिपोर्ट में बताया गया है कि तुर्की जिन संगठनों के माध्यम से भारत विरोधी कार्यों को अंजाम दे रहा है वह सीधे तौर पर एर्दोगन और उसके परिवार से जुड़ा हुआ है। अब अधिकायों को यह अहसास हो रहा है कि इन संगठनों का भारत के अंदर पूर्व के आकलन से अधिक मजबूत जड़े हैं। इन संगठनों को तीन क्षेत्रों के माध्यम से निर्देशित किया जाता है: तुर्की स्टेट मीडिया, शैक्षणिक संस्थान और वहाँ के NGOs।

खुफिया रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों या ग्रुप को चिन्हित किया गया है, उनके संबद्ध पाकिस्तान की ISI से भी होने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार तुर्की की कई संस्थाए “आकर्षक छात्रवृत्ति” के तहत भारतीय छात्रों को निशाना बनाती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि तुर्की NGOs के माध्यम से भारतीय कश्मीरी और मुस्लिम छात्रों को तुर्की में पढ़ने के लिए आकर्षक छात्रवृत्ति और एक्सचेंज प्रोग्राम चला रहा है। एक बार जब छात्र तुर्की पहुंच जाते हैं, पाकिस्तान के एजेंट उनसे संपर्क करते हैं। छात्रवृत्ति देने वाले संगठनों की सूची लंबी है जिसमें Turkey Youth Foundation (TUGVA), Presidency of Turks Abroad and Related Communities (YTB), Turkish Airlines, Yunnus Emre Institute (YEI), Turkey’s Diyanet Foundation (TDF), Turkist Cooperation and Coordination Agency (TIKA) जैसे संगठन शामिल हैं, जिनके संबंध सीधे तुर्की की सरकार, राष्ट्रपति एर्दोगन और उसके परिवार से है। यही नहीं, इस इंटेल रिपोर्ट में तुर्की की दूतावास पर सीधा आरोप लगाया गया है कि यह भारतीय NGOs के साथ गठबंधन कर रहे हैं और जो ऐक्टिविस्ट तुर्की के एजेंडे पर काम कर रहे हैं उन्हें तुर्की के ट्रिप पर भेजा जा रहा है तथा उन्हें भारत विरोधी बयानों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। तुर्की जिन संगठनों का इस्तेमाल भारत पर हमले शुरू करने के लिए किया था, अधिकतर वे International Humanitarian Relief Foundation, the TDF (छात्रवृत्ति फंड करने वाला संगठन) तथा Pak-Turkey Cultural Association है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि एर्दोगन फिर से तुर्की को ओट्टोमान साम्राज्य की तरह विस्तार कर खलीफा बनना चाहते हैं। यही वजह है कि वे दक्षिण एशिया के मुस्लिमों के बीच अपनी छवि बनाना चाहते हैं और पाकिस्तान की मदद से भारत को भी अस्थिर करना चाहते हैं। वर्षों से तुर्की देश मे अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था लेकिन सभी का ध्यान पाकिस्तान और चीन पर ही केन्द्रित रहा। अब जाकर भारत सरकार की खुफिया एजेंसिया सतर्क हुई हैं। पिछले वर्ष जब तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन देते हुए कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी बयान दिया था तभी एजेंसियों को सतर्क हो जाना चाहिए था। तुर्की के इरादे स्पष्ट तौर पर खतरनाक हैं जो भारत में अस्थिरता ला सकता है। ये चीन और पाकिस्तान से भी खतरनाक और बड़ा दुश्मन साबित हो रहा है जिससे निपटने के लिए भारत की सरकार को एक बड़े स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए।

 

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