लोकतंत्र में मीडिया एक मशाल की तरह होती है जो किसी भी देश को तानाशाही के अंधेरे से बचाती है। चीन ने हाँग-काँग में नई सुरक्षा कानून लागू करने के बाद अब लोकतंत्र को तबाह करना शुरू कर दिया है और इसी क्रम में हाँग-काँग में मीडिया जगत के बेताज बादशाह और वहां लोकतंत्र की आग को जीवित रखने वाले जिम्मी लाइ को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, अपनी गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा हो कर आने पर जिम्मी ने अपने रिपोर्टरों से और हाँग-कॉंग निवासियों को यह संदेश दिया है कि लड़ाई अभी जारी रहनी चाहिए।
दरअसल, इसी सोमवार को हिरासत में लिए गए 10 लोगों में से एक जिम्मी लाई भी थे। लगभग 200 पुलिस अधिकारियों ने उनके ऐप्पल डेली टैब्लॉइड के न्यूज़रूम की खोज कर उन्हें सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर ले जाया गया था। इस कानून के तहत लाई की गिरफ्तारी किसी हाई प्रोफाइल व्यक्ति की पहली गिरफ्तारी थी। जिमी लाइ को कथित तौर पर विदेशी ताकतों से सांठगांठ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और 36 घंटे तक हिरासत में रखा गया। इसके बाद उन्हें बेल पर रिहा कर दिया गया। अपनी जमानत पर रिहाई के बाद बोलते हुए, लाइ ने बीबीसी को बताया कि उनका मानना है कि उनकी गिरफ्तारी बस शुरुआत थी। उन्होंने कहा कि हाँग-काँग की आजादी के लिए आगे एक लंबी लड़ाई होगी।
उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि, “हम यदि पूरी दुनिया में शांति चाहते हैं तो यह बिना चीन को बदले बिना ये संभव हो ही नहीं सकता है। अब नए सुरक्षा कानून के लागू होने से उन्हें और सतर्क हो कर अपने विरोध प्रदर्शन को अंजाम देना होगा। हम पहले की तरह खुलेआम विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते। हमें वास्तव में धैर्य का से काम लेना होगा, क्योंकि यह एक लंबी लड़ाई है। लड़ते रहो! हमें हाँग-काँग के लोगों का समर्थन प्राप्त है। हम उन्हें निराश नहीं कर सकते।“
बता दें कि जिम्मी लाई हाँग-कॉंग के एक बड़े उद्योगपति हैं और उनकी कुल संपत्ति 1 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा आंकी गई है। लाई पिछले वर्ष भड़के विरोध प्रदर्शनों के समर्थक रहे हैं तथा वे हाँग-काँग के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले समाचार पत्रों में से एक, Apple Daily के मालिक हैं और लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। उनका समाचार पत्र बेखौफ लेखन से कई बार CCP को नाराज कर चुका है।
चीन ने उनके प्रभाव को देखते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था और उन पर अन्य देशों से जुड़े होने का आरोप लगाया था। चीन को डर है कि अगर यह व्यक्ति अपने कार्यों को जारी रखता है तो स्पष्ट तौर पर आगे जाकर चीन के खिलाफ एक बड़े पैमाने पर प्रदर्शन देखने को मिल सकता है जिससे हाँग-काँग पर चीन की पकड़ ढीली हो सकती है। गिरफ्तारी के बाद लाई के स्वामित्व वाली नेक्स्ट डिजिटल लिमिटेड के शेयर में 1100 फीसदी से भी ज्यादा की तेजी दर्ज की गयी, जो पिछले 7 सालों में उनकी कंपनी के शेयर का ये उच्चतम स्तर था। इसी से उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे पहले लाई को कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है जिसमें से 13 दिसंबर 2014 को Umbrella Movement भी शामिल है। वास्तव में देखा जाए तो जिम्मी लाई हाँग-काँग की लोकतन्त्र की लड़ाई में एक सितारे के समान हैं जो युवाओं को रास्ता दिखा रहा है।
जिम्मी लाई हाँग-कॉंग में इतने चहेते हैं कि CCP और चीन के सरकारी मीडिया उनके खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाने में लगी है। Global Times ने उनकी गिरफ्तारी पर उन्हें दंगा बढ़काने और नफरत फैलाने वाला बताया था। यही नहीं एक अलग लेख में इस मीडिया हाउस ने लिखा कि जिमी लाई को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के रूप में देखना बचपना है, वह हाँग-कॉंग के लोगों की आवाज सुनने में विफल रहे। साथ ही यह भी लिखा कि वह एक “modern traitor” हैं।
यहाँ यह समझने वाली बात है कि अगर जिम्मी लाई को हाँग-कॉंग के लोग पसंद नहीं करते तो चीन उनसे डर कर उनके खिलाफ इतना प्रोपोगेंडा फैला कर अपना बचाव क्यों कर रहा है। CCP के इस तरह से जिम्मी लाई पर हमला करते देख यह आसानी से कहा जा सकता है कि CCP को उनसे डर है और उन्हें एक खतरे के रूप में देखती है। यही कारण है कि उन्हें नए सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार करवाया गया था। हालांकि, जमानत के बाद जिस तरह से जिम्मी लाई ने अपने पत्रकारों और हाँग-काँग निवासियों से लड़ाई जारी रखने को कहा उससे अब चीन को यह समझ लेना चाहिए कि यह उसके लिए एक संकेत था। हाँग-काँग निवासी जिम्मी लाई की चीन के खिलाफ इस लड़ाई व्यर्थ नहीं जाने देंगे और लोकतन्त्र को फिर से बहाल करने में सहयोग करेंगे।