“मारूँगा, लेकिन तड़पा-तड़पा कर”, लद्दाख में अब भारत चीन के साथ खिलवाड़ कर रहा है

अरे ठहरो चीन! क्या disengagement- disengagement लगा रहा है?

चीन

(pc - swarajya )

भारतीय सेना लद्दाख में लंबे विवाद के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी है। जैसे-जैसे भारत चीन के खिलाफ एक के बाद एक बड़े कदम उठाता जा रहा है, वैसे-वैसे चीन भी अब भारत के साथ विवाद खत्म करने को लेकर जल्दबाज़ी दिखा रहा है। हालांकि, भारत के तो कुछ और ही plans हैं। Disengagement करने की भारत को कोई जल्दबाज़ी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि लद्दाख में जितना ज़्यादा भारतीय सेना और PLA के बीच विवाद बढ़ेगा और इसे सुलझने में जितना ज़्यादा समय लगेगा, भारत चीन के खिलाफ उतने ही बड़े एक्शन भी ले पाएगा।

भारत चीन पर एक के बाद एक आर्थिक प्रहार कर रहा है और वह ऐसा तब तक करता रहेगा जब तक  बॉर्डर विवाद पूरी तरह सुलझ नहीं जाता। हालांकि, चीन के लिए यह सहन करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। चीन का प्लान था कि वह कुछ समय के लिए बॉर्डर विवाद भड़काकर भारत को धमकाकर इस विवाद को खत्म कर लेगा। हालांकि, यहाँ भारत के सामने उसे लेने के देने पड़ गए हैं। भारत ने चीन पर ऐसी आर्थिक स्ट्राइक की है कि अब चीन इस विवाद को और सहन नहीं कर सकता।

Hindustan Times के मुताबिक LAC पर अपने पक्ष में बातचीत करने की PLA की कोशिश को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। चीन LAC पर यथास्थिति को बदलना चाहता है और एक नए बॉर्डर को स्थापित करना चाहता है। हालांकि, भारतीय पक्ष यथास्थिति को कायम रखने पर ज़ोर दे रही है। भारत सरकार के अधिकारियों के मुताबिक भारत चीन को इस बात का विश्वास दिलाना चाहता है कि लद्दाख बॉर्डर पर चल रहे विवाद का सीधा असर नई दिल्ली के रवैये में देखने को मिलेगा।नई दिल्ली  यह संकेत देना चाहता है कि मीलों दूर पैदा हुआ बॉर्डर-विवाद नई दिल्ली-बीजिंग के रिश्तों में दरार पैदा कर सकता है।

भारत सरकार के इसी रुख ने बीजिंग  को हैरान और परेशान कर दिया है। किसी ने नहीं सोचा था कि भारत सरकार बीजिंग  के खिलाफ इस हद तक जाकर एक्शन लेगी। जून महीने में जब चीनी सैनिकों ने हिन्दुस्तानी  सैनिकों पर कायरतापूर्ण हमला किया था तो पीएम मोदी ने ड्रैगन को चेतावनी देते हुए कहा था “हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। दुश्मनों से बदला लिया जाएगा।“ अब नई दिल्ली पिछले कुछ हफ्तों में जो भी बीजिंग  विरोधी कदम उठा रही है, उसे आप पीएम मोदी के उस बयान से भी जोड़कर देख सकते हैं।

यथास्थिति को बदलने की कोशिश अब तक बीजिंग  को बहुत भारी पड़ी हैं। गलवान घाटी में चीन अपने सैनिकों को खो चुका है। सैनिकों को खोने और CCP द्वारा उनका अपमान किए जाने के बाद चीन के लोग भी अपनी सरकार के खिलाफ भड़के हुए हैं। मरे हुए सैनिकों और आर्थिक युद्ध में हिंदुस्तान  से हार के साथ लौटना शी जिनपिंग के लिए बेहद दर्दनाक और शर्मनाक होने वाला है। ऐसे में अब चीन अपनी नाक बचाने के लिए कैसे भी बॉर्डर पर यथास्थिति को बदलने में सफल होना चाहता है, लेकिन शी जिनपिंग के लिए बुरी बात यह है कि अब भारत में मोदी सरकार सत्ता में है, जो सुरक्षा से जुड़े मामलों में अपने दुश्मन को हल्के हाथों से नहीं लेती है।

बीजिंग लद्दाख में अपनी मनमर्ज़ी चलना चाहता था। हालांकि, वहाँ बीजिंग को बढ़िया सबक सीखा  दिया गया है। वह  इस वक्त बैकफुट पर है,  डरा हुआ है। दुनियाभर से उसपर दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में भारत अब चीन पर अक्साइ चीन के इलाकों को छोड़ने का दबाव भी बना सकता है। वही अक्साइ चीन, जिसपर नेहरू के जमाने में  धावा बोलकर अपने हिस्से में मिला लिया था। भारत लद्दाख में अपनी स्थिति का भरपूर फायदा उठाकर चीन पर उसी के पैंतरे का इस्तेमाल कर सकता है।

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