पिछले साल जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था तब पाकिस्तान, चीन और तुर्की के अलावा एक मलेशिया ही था जिसने खुलकर भारत विरोध किया था। इस साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किये जाने के एक साल पूरा होने पर पाकिस्तान और चीन ने एक बार फिर से भारत विरोधी बयान दिए, लेकिन मलेशिया की नई सरकार ने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का कोई बयान नहीं दिया है। ऐसा लगता है कि महातिर मोहम्मद के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद नए प्रधानमंत्री मुहिउद्दीन यासीन (Muhyiddin Yassin) ने एक बड़ी सीख ली है और अब भारत से अपने रिश्तों को सुधारने पर काम कर रहे हैं।
दरअसल, 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष प्रावधानों को हटाने की पहली वर्षगांठ थी। इस मौके पर एक बार फिर से पाकिस्तान और उसके सहयोगियों ने भारत विरोधी टिप्पणी की है। चीन और तुर्की ने विशेष बयान देकर भारत के कदम की आलोचना की है। पिछले वर्ष इन दोनों देशों के साथ मलेशिया ने भी भारत के खिलाफ UNGA में जहर उगला था, लेकिन इस बार उसने किसी भी प्रकार का भारत विरोधी बयान नहीं दिया है। इसका प्रमुख कारण है, मलेशिया के नेतृत्व में बदलाव। पिछले साल मलेशियाई सत्ता महातिर मोहम्मद संभाल रहे थे लेकिन उनकी भारत विरोधी नीतियों से मलेशिया को आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ा था। यही कारण हा कि इस साल जनवरी में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और अब मुहिउद्दीन यासीन (Muhyiddin Yassin) की सरकार है जो किसी भी हालत में भारत के रिश्ते खराब नहीं करना चाहती।
पीएम मुहिउद्दीन यासीन के नेतृत्व वाली नई मलेशियाई सरकार ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं। मलेशिया में नई सरकार का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने नए मलेशियाई विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन से बात की थी।
इसी साल जब 23 फरवरी को मलेशिया में मुहिउद्दीन यासीन (Muhyiddin Yassin) के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ था, तो वहां के अधिकारियों ने उन्हें महातिर के समय भारत के साथ बिगड़े रिश्तों को सुधारने की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने ने सुधार का पहला कदम उठाते हुए, भारत से रिकॉर्ड तोड़ शक्कर का आयात किया था ।
कुछ दिनों पहले मलेशिया ने भारत से 1 लाख टन चावल इम्पोर्ट करने का फैसला भी लिया था और अब इसके कुछ दिनों बाद ही भारत ने भी मलेशिया से दोबारा पाम ऑयल इम्पोर्ट शुरू करने का फैसला लिया था। इसके अलावा नई दिल्ली और कुआलालंपुर भी COVID महामारी में एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं, जिससे HCQ और पेरासिटामोल की खुराकें मलेशिया मलेशिया तक पहुँच सकें।
बता दें कि पूर्व मलेशियाई PM महातिर ने जहां एक ओर कश्मीर के मुद्दे को UN आम सभा में उठाया था, तो वहीं गलत बयानबाजी करते हुए उन्होंने CAA को मुस्लिम विरोधी भी बताया था। पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद द्वारा लगातार भारत की आलोचना के बाद भारत ने इस साल जनवरी में मलेशिया से पाम ऑयल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
मलेशिया को लेकर पहले से ही भारत का रुख साफ रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय का शुरू से ही कहना था कि, अगर मलेशिया भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देना बंद कर देता है, तो भारत भी उसके साथ संबंध सुधारने का पक्षधर रहेगा। फ़िलहाल तो सुधार की उम्मीद देखने को मिल रही है। अब मलेशिया ना तो कोई भारत विरोधी बयान दे रहा है और न ही कश्मीर पर किसी प्रकार का बयान दे रहा है। इसके अलावा मलेशिया ने चीन विरोधी रुख भी अपना शुरू कर दिया है जिससे आने वाले दिनों में मलेशिया Indo-Pacific क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण साझीदार हो सकता है।