जिनपिंग की “Clean plate” योजना, मादूरो की “Eat Rabbit” योजना के समान ही है, मतलब बर्बादी चीन के दरवाजे पर खड़ी है

सुपरपावर चीन एक-एक दाने के लिए तरस रहा है!

चीन

वर्ष 2017 में ट्रम्प प्रशासन द्वारा वेनेज़ुएला पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसके बाद प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देश होने के बावजूद वेनेजुएला भयंकर भुखमरी का शिकार हो गया था। लोगों के पास खाने को कुछ नहीं बचा था और देश की जनता सड़ा-गला मांस खाने को मजबूर हो गयी थी। तब वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादूरो की सरकार ने अपने देशवासियों से इस “आर्थिक युद्ध” से लड़ने के लिए “Plan Rabbit” स्कीम अपनाने को कहा था। इसके तहत लोगों से खरगोश खाने को कहा गया था, क्योंकि मदूरो सरकार के मुताबिक “ज़्यादा प्रोटीन और कम कोलेस्ट्रॉल” होने के कारण यह चिकन का अच्छा विकल्प बन सकता था”। Plan Rabbit इस बात का सबूत था कि वेनज़ुएला खाने की भारी किल्लत से जूझ रहा था। तीन वर्षों बाद अब चीन में जिनपिंग सरकार भी कुछ इसी तरह की “Clean plate” योजना लेकर आई है, जिसके बाद माना जा रहा है कि चीन में भी लोगों के सामने खाने की भारी किल्लत पेश आ रही है।

चीन में अचानक जिनपिंग सरकार खाने की बर्बादी के खिलाफ सख्त कदम उठाने लगी है। जिनपिंग के मुताबिक “खाने की बर्बादी बेहद हैरतपूर्ण और चिंताजनक मसला है। हमें इसको लेकर और जागरुकता फैलाने की ज़रूरत है। हमें ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां खाने की बर्बादी को शर्मनाक करार दिया जाए और खाने की बचत को सराहनीय माना जाए।“ जिनपिंग के बयान में बेशक कुछ भी गैर-ज़रूरी नहीं लगता, लेकिन कोरोना महामारी और चीन में आई भयंकर बाढ़ के बाद चीनी सरकार द्वारा चलाई गयी इस मुहिम के से यह कयास लगाई जा रही हैं कि, जनसंख्या के मामले में दुनिया के सबसे बड़ा देश में खाने की भारी किल्लत झेल रहा है।

चीन के सरकारी अखबार, Global Times ने इस मुहिम के बारे में लिखा, “कुछ एक्स्पर्ट्स चीन में खाने की कमी की बात कर रहे हैं। लेकिन अभी पूरे विश्व में ही खाने की कमी है। दूसरी ओर चीन में खाने की कमी से ज़्यादा बड़ी समस्या खाने की बर्बादी से है। कोई बाढ़, महामारी चीन में खाने की कमी का कारण नहीं बन सकती।“ बता दें कि, चीन में लोगों को खाना बर्बाद करने की पुरानी आदत है। Global Times के मुताबिक चीन में हर साल इतना खाना बर्बाद कर दिया जाता है, जितने में करीब 200 मिलियन लोग भरपेट खाना खा सकते हैं।

चीनी मीडिया बेशक यह दावे करती हो कि उनके यहाँ खाने की कोई कमी नहीं है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स इस बात की ओर इशारा करती हैं कि, बाढ़ ने चीन के कुछ इलाकों में खाने की समस्या को पैदा कर दिया है। चीन के दक्षिणी हिस्से में बाढ़ के कारण ना सिर्फ कृषि उत्पाद पर नकारात्मक असर पड़ा है, बल्कि खाने के भंडार को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है। Wikinews के मुताबिक जुलाई-सितंबर की तिमाही में चीन का कृषि उत्पाद 1 प्रतिशत तक गिर सकता है। चीन के सात प्रांत बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। ऐसे में यह नुकसान आगे चलकर बढ़ भी सकता है।

चीन में खाने के दाम भी बढ़ रहे हैं, जो दिखाता है कि वहाँ खाने की बेहद कमी है। चीन में पिछले कुछ महीनों में कॉर्न के दामों में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। सोयाबीन के दामों में भी पिछले साल के मुक़ाबले 30 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। चीनी सरकार को तेजी से अपने भंडार में से खाद्यान्न रिलीज़ करना पड़ा है। पिछले कुछ महीनों में चीनी सरकार द्वारा भंडारों से 60 मिलियन टन चावल, लगभग 1 मिलियन टन सोयाबीन और 50 मिलियन टन कॉर्न रिलीज़ किया जा चुका है, इसके बावजूद भी दामों में कमी नहीं आ रही है। चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक, चीन के पास केवल 1 साल की मांग की पूर्ति के लिए ही खाने का भंडार मौजूद है। ऐसे में चीनी सरकार द्वारा खाने की बर्बादी को रोकने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

चीन में खाने की कमी का एक बड़ा कारण यह भी है कि, अनाज और चावल का एक्सपोर्ट करने वाले मुख्य देश जैसे अमेरिका, ब्राज़ील, भारत और वियतनाम ने भी इन चीजों के एक्सपोर्ट पर कुछ प्रतिबंध लगाए हुए हैं। ऐसे में चीन के पास आयात करने का विकल्प भी नहीं बचता है। चीन की आर्थिक हालत बेहद खस्ता है और लोगों को खाने की तलाश में वियतनाम जैसे देशों में भागना पड़ रहा है। ऐसे में अब चीनी सरकार की “clean plate” योजना उसके बनावटी समाजवाद का पर्दाफाश करती है।

Exit mobile version