अमेरिका ने टिकटॉक की पैरेंट कंपनी ‘ByteDance’ को बैन कर दिया है जिसके चलते अब टिकटॉक को या तो अमेरिका से अपना बोरिया बिस्तर उठाना होगा या फिर उसके पास एक ही रास्ता है कि कोई अन्य कंपनी इस app को खरीद ले। इसे खरीदने की रेस में अब तक सिर्फ माइक्रोसॉफ्ट का ही नाम आगे आ रहा था लेकिन, अब ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि, अब ट्विटर भी इस रेस में आ गया है। इससे अब ये कयास तेज़ हो गए हैं कि, ट्विटर एक ऐसा प्लेटफार्म अपने पास रखना चाहता है, जिससे वो अपने लिबरल प्रोपेगैंडा को बेरोकटोक चलाता रहे।
माइक्रोसॉफ्ट ने अभी तक तक सोशल मिडिया की दुनिया में अपने हाथ नहीं आजमाए थे लेकिन अब उसने संकेत दिया है कि वह अमेरिका के साथ ही कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में टिकटॉक का मालिकाना हक़ खरीदेगा। लेकिन Wall Street Journal में छपी एक खबर के मुताबिक, अब ट्विटर ने टिकटॉक के साथ इस डील के लिए बातचीत शुरू कर दी है। हालाँकि, न ही ट्विटर न ही ByteDance ने इस खबर की अधिकारिक पुष्टि की है।
देखा जाए तो, ट्विटर के लिए यह डील काफी महँगी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि, माइक्रोसॉफ्ट ट्विटर की अपेक्षा बहुत बड़ी कंपनी है और डोनाल्ड ट्रम्प ने tiktok के लिए जो समय सीमा निर्धारित की है वह 15 सितम्बर की है। इसका मतलब, ट्विटर को किसी भी हाल में इस तारीख पहले ही यह डील करनी होगी। इसके अलावा ट्रम्प ने यह साफ़ कहा है कि, tiktok के साथ जितने भी रकम की डील होगी, उसमें अमेरिकी सरकार को भी एक बड़ा हिस्सा देना होगा।
वैसे ट्विटर का इस दौड़ में उतरने का एक पहलू और भी है। ट्विटर दुनिया भर में अपने पक्षपातपूर्ण व्यवहार के लिए जाना जाता है। अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की तरह ही ट्विटर भी, दक्षिणपंथी विचारों का विरोधी है। हाल ही में, ट्विटर ने एक वीडियो, जिसमें Newyork के टाइम्स स्कायर में एक LED स्क्रीन पर राम मंदिर और भगवान राम की फोटो दिखाई गई थी, को अकारण ही हटा दिया गया था। जबकि, हिंदू धर्म का मजाक बनाने वाले videos से लेकर हिन्दुओं के विशेष वर्गों पर होने वाले प्रहारों के खिलाफ ट्विटर की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती। इतना ही नहीं ट्विटर के सीईओ ने एक साक्षात्कार में कहा था कि, उनकी कंपनी के अधिकांश कर्मचारी वामपंथी विचारधारा के हैं जिसके कारण उनकी कंपनी में कार्यरत दक्षिणपंथी विचारधारा के कर्मचारी खुल कर अपनी आवाज नहीं उठा पाते ।
वहीं अगर माइक्रोसॉफ्ट की बात करें, तो उसके लिए भी यह डील इतनी सीधी नहीं होने वाली। हालाँकि, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने कहा है कि, टिकटॉक से डील सम्बन्धी सभी बातचीत 15 सितम्बर से पहले ही समाप्त हो जाएगी। लेकिन इसके उलट, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स का मानना है कि, tiktok के साथ यह डील माइक्रोसॉफ्ट के लिए विष का प्याला साबित होगा। उन्होंने कंपनी के लिए इसे बुरा जरूर माना है लेकिन, इसके बाद भी उन्होंने डील स्थगित करने की बात नहीं की है। यदि माइक्रोसॉफ्ट इस app को खरीद लेता है, तो यह उसका सोशल मीडिया की दुनिया में पहला कदम होगा।
अब ऐसा माना जा रहा है कि, ट्विटर का यह कदम सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर वामपंथी और तथाकथित उदारवादियों के वर्चस्व को बनाये रखने का प्रयास है। अब बहुत कुछ tiktok पर भी निर्भर करता है कि, वह दोनों प्रतिद्वन्दियों में से किसके साथ डील करता है।