आदित्य ठाकरे के बढ़ते कद को रोकने के लिए एनसीपी ने पार्थ पवार को उतारा मैदान में

महाराष्ट्र में 2 युवराज आमने-सामने

पवार

pc: TV9 मराठी

महाराष्ट्र की राजनीति अपने आप में किसी मनोरंजक फिल्म से कम नहीं है। अब महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन, महा विकास अघाड़ी में एनसीपी और शिवसेना के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई ने एक बिल्कुल नया मोड़ ले लिया है। इसमें प्रमुख खिलाड़ी के रूप में आमने-सामने हैं एनसीपी सुप्रीमो शरद पावर के पोते पार्थ पवार और शिवसेना के ‘भावी उत्तराधिकारी’ आदित्य ठाकरे।

अपनी पार्टी की विचारधारा से ठीक उल्टा जाते हुए, पार्थ पवार ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण का स्वागत किया है। उन्होने अपने ट्वीट में लिखा, “आज एक ऐतिहासिक दिन है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर का भूमिपूजन, भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान का केंद्र बनेगा। परंतु हमें अपनी पंथनिरपेक्षता की भी रक्षा करनी चाहिए। हमें इस सांस्कृतिक विजय में संयम बरतना चाहिए”

पार्थ के दादा और कद्दावर एनसीपी नेता शरद पवार ने पीएम मोदी द्वारा भूमि पूजन समारोह में हिस्सा लेने पर आपत्ति जताई थी लेकिन, पार्थ ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण को अपना समर्थन दिया था। दिलचस्प बात यह भी रही कि, न तो उनके पिता अजीत पवार ने इस बयान का विरोध किया और न ही उनकी  बुआ सुप्रिया सुले ने इस बयान का विरोध किया। सुप्रिया सुले ने इस बात से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि, यह पार्थ का निजी विचार है।

पर पार्थ केवल वहीं नहीं रुके। उन्होंने तो सुशांत सिंह राजपूत के मामले में महाराष्ट्र सरकार के ठीक विरुद्ध जा कर निष्पक्ष सीबीआई जांच की मांग भी की और सरकार के अनमने रुख की अप्रत्यक्ष आलोचना भी की। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख को लिखे एक पत्र में पार्थ ने लिखा, “सुशांत सिंह राजपूत जैसे प्रतिभावान अभिनेता की मृत्यु ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया है। बाकी जनता की तरह मैं भी इस असामयिक मृत्यु से बहुत दुखी हूँ और इसलिए मैं जनादेश का सम्मान करते हुए यह चाहता हूँ कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।”

अब यहाँ समझने वाली बात यह है कि, ये बदलाव यूँ ही नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे एक सोची समझी योजना है। अब ये तो सभी को पता है कि महा विकास अघाड़ी सरकार के दिन लदे हुए हैं और किस प्रकार से यह खिचड़ी गठबंधन अपने पतन की ओर बढ़ रहा है। दरअसल, शिवसेना के युवराज, आदित्य ठाकरे के बढ़ते प्रभाव ने एनसीपी खेमे की चिंताएँ बढ़ा दी हैं और सुशांत सिंह राजपूत के मामले में आदित्य ठाकरे की संभावित संलिप्तता एनसीपी की छवि भी खराब कर सकती है। ऐसे में, आदित्य के प्रभाव को कम करने के लिए पार्थ पवार की छवि को बढ़ावा दिया जा रहा है।

बहरहाल, अगर प्रदर्शन के लिहाज से देखें तो पार्थ पवार की हालत उसी तरह है जैसी कांग्रेस में राहुल गाँधी की है। लेकिन एनसीपी ये भली-भांति जानती है कि, महा विकास अघाड़ी ज़्यादा दिन नहीं टिकने वाली और ऐसे में वह अपनी छवि के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहती, खासकर तब, जब सुशांत सिंह राजपूत के मामले के कारण पहले ही महाराष्ट्र सरकार की छवि लगातार धूमिल हो रही हो। ऐसे में पार्थ पवार का ‘बढ़ता कद’ कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि इसका प्रमुख उद्देश्य एनसीपी की छवि को साफ रखना और आदित्य ठाकरे के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाना है।

Exit mobile version