कांग्रेस में पार्टी के नेतृत्व को लेकर घमासान फिलहाल के लिए भले थोड़ा शांत गया हो, लेकिन खत्म नहीं हुआ है। अब यह खबर सामने आ रही है कि, सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी की नींव पाँच महीने पहले ही पड़ चुकी थी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पाँच महीने पहले एक डिनर पार्टी दी थी जहां कांग्रेस के भीतर बदलाव लाने के मसले पर चर्चा की गयी थी। अब सोनिया को लिखी गई चिट्ठी और शशि थरूर के डिनर पार्टी का कनेक्शन सामने आ रहा है।
इस डिनर पार्टी में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे जैसे, पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति चिदंबरम, सचिन पायलट, अभिषेक मनु सिंघवी और मणिशंकर अय्यर। हालांकि इन नेताओं ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक सिंघवी ने डिनर में अपनी उपस्थिति की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “मुझे एक दिन के नोटिस पर शशि थरूर द्वारा डिनर पर आमंत्रित किया गया था। उस दौरान पार्टी के भीतर सुधारों को लेकर एक अनौपचारिक चर्चा हुई थी। लेकिन इसके बाद, मुझे चिट्ठी के बारे में किसी ने नहीं बताया।“ हालांकि पी. चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति चिदंबरम, और सचिन पायलट ने इस मुद्दे पर बोलने से माना कर दिया है।
पिछले 20 सालों में यह पहली बार था जब, कांग्रेस के भीतर गांधी परिवार के खिलाफ खुला विरोध हुआ, वह भी औपचारिक चिट्ठी के माध्यम से। पार्टी में पहले भी विद्रोह हो चुका है लेकिन, 1999 में शरद पवार के विद्रोह के बाद से अब तक किसी ने भी सोनिया गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने की हिम्मत नहीं की। अब जब यह स्पष्ट हो चुका है कि, इस चिट्ठी के पीछे शशि थरूर हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि, शशि थरूर पार्टी अध्यक्ष बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।
कुछ ही दिनों पहले थरूर ने बयान देते हुए कहा था, “पार्टी के लक्ष्यहीन और दिशाहीन होने की छवि को खत्म करने के लिए एक पूर्णकालिक अध्यक्ष ढूंढ़ने की प्रक्रिया अवश्य ही तेज करनी चाहिए। एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व करने के लिए राहुल गांधी के पास साहस, क्षमता और योग्यता है, लेकिन यदि वो ऐसा करना नहीं चाहते हैं तो पार्टी को एक नया अध्यक्ष चुनने की दिशा में अवश्य ही आगे बढ़ना चाहिए। मैंने पिछले साल अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया जी की नियुक्ति का स्वागत किया था लेकिन, मेरा मानना है कि, उनसे अनश्चितकाल तक इस जिम्मेदारी को उठाने की उम्मीद करना उचित नहीं होगा।“
जब उन्होंने यह बयान दिया था, तभी यह समझ लेना चाहिए था कि कांग्रेस पार्टी में कुछ बड़ा होने वाला है। अगर देखा जाए, तो शशि थरूर वो नेता है जो कांग्रेस में गांधी परिवार को चुनौती दे सकते हैं। भारत में उनकी फैन फॉलोइंग भी बहुत ज्यादा है और उनमें नेतृत्व करने की क्षमता भी है। पी चिदम्बरम, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेता न तो उस स्तर के हैं और न ही उतने प्रासंगिक हैं जो गांधी परिवार को चुनौती दे सकें। शशि थरूर वर्तमान विपक्ष के उन नेताओं में से हैं जिनके विचारों का स्वागत मोदी समर्थक भी करते हैं। थरूर बुद्धिजीवी होने के साथ एक लोकप्रिय नेता भी हैं।
थरूर ने 2019 के आम चुनाव में हार के बाद एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, “अगर पेशकश की गई, तो मैं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता का पद संभालने को तैयार हूं।” यानि वो कई दिनों से इस ओर लगे हुए थे कि, कांग्रेस में एक बदलाव आए जिससे पार्टी का पुनरुत्थान हो सके। अब जिस तरह से शशि थरूर समेत कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाया है, उससे यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस में यह तूफान लंबे समय बाद आया है तो लंबे समय तक टिकेगा भी। इस रिपोर्ट की सच्चाई जो भी हो, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि, रह-रह कर शशि थरूर पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। पर गांधी परिवार के चाटुकार चरों तरफ फैले हैं और अब वो भी अपना खेल शुरू कर चुके हैं। ऐसे में गांधी परिवार का कांग्रेस के सिंघासन से नीचे उतरना बेहद कठिन है।