आज वैश्विक समुदाय को एक गहरा झटका लगा, जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण सत्ता छोड़ने की घोषणा की। शिंजो आबे को आंतों में दिक्कत [Inflammatory Bowel Condition] है, जिसके कारण वे अब और अधिक सत्ता को नहीं संभाल पाएंगे। इसलिए उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का निर्णय किया है। पार्टी का अगला अध्यक्ष चुने जाने तक वो प्रधानमंत्री बने रहेंगे।
2012 से 2020 तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे ने जापान को फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में 2011 के भूकंप के बाद आए आर्थिक और स्वास्थ्य संकट से उबारने में काफी अहम भूमिका निभाई थी। शिंजो आबे के नेतृत्व में ही जापान ने अपनी आक्रामक रक्षा नीति को दोबारा गले लगाया। शिंजो आबे के नेतृत्व में ही जापान को दशकों बाद बहुमत वाली स्थिर सरकार मिली है। उत्तर कोरिया और चीन के विरुद्ध शिंजो आबे ने जो मोर्चा संभाला था, उसी का परिणाम है कि, आज जापान चीन से सीधे भिड़ने में और अमेरिका- भारत का सहयोग करने में सक्षम है।
अब शिंजो आबे के इस्तीफे से चीनियों के मन में लड्डू अवश्य फूट रहे होंगे। लेकिन उन्हें इतना भी प्रसन्न होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जापान में आबे के बाद कई ऐसे नेता हैं, जो चीन के विरुद्ध जापान की वर्तमान नीति को और मजबूत बना सकते हैं। इन नेताओं में सबसे ऊपर जिनका नाम है वो हैं जापान के वर्तमान उप-प्रधानमंत्री तारो आसो। लेकिन तारो आसो के अलावा भी जापानी प्रधानमंत्री बनने की रेस में कुछ संभावित नेता हैं और उन सभी की विचारधारा चीन के खिलाफ सख्त ही रही है। इस सूची में कुछ प्रमुख नाम ऐसे हैं, जिनके प्रधानमंत्री बनने की अधिक संभावना है –
1) तारो आसो –
एक समय जापान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे तारो आसो, इस समय देश के वर्तमान उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री हैं और साथ ही शिंजो आबे के विश्वसनीय सहयोगी भी हैं। इसके अलावा वे एक उत्कृष्ट खिलाड़ी भी रहे हैं, जिन्होंने मोंट्रियल ओलंपिक्स 1976 में निशानेबाजी स्पर्धा में जापान का प्रतिनिधित्व किया था। ऐसे में अनुभवी नेता तारो आसो इस समय जापान का शासन संभालने के लिए सबसे काबिल व्यक्ति हैं, और उनके नेतृत्व में जापान चीन के विरुद्ध वैसे ही मोर्चा संभाल सकता है, जैसे शिंजो आबे के नेतृत्व में हुआ था।
2) तारो कानो –
जापान के वर्तमान रक्षा मंत्री तारो कानो को जापान में एक अपरंपरागत राजनीतिज्ञ माना जाता है। उन्होंने लीक से हटकर कई निर्णय लिए हैं, लेकिन राष्ट्रहित से उन्होंने कभी भी समझौता नहीं किया। वो शिंजो आबे की वर्तमान विदेश नीति के बहुत बड़े समर्थक हैं और वो हर हाल में जापान को चीन के प्रकोप से बचाना चाहते हैं।
बता दें कि, ये तारो कानो ही थे, जिन्होंने यह स्पष्ट किया था कि, समय आने पर जापान चीन के विरुद्ध आक्रामक रक्षा नीति अपनाने से भी पीछे नहीं हटेगा। कुछ महीने पहले जब pre emptive strikes का प्रश्न उठा, तो तारो कानो ने उत्तर दिया, “जब चर्चा होगी, तो हम किसी भी सैन्य विकल्प को बाहर नहीं रखेंगे।” ऐसे में किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए यदि उन्हे शिंजो आबे के स्थान पर जापान की कमान सौंपी जाये।
3) शिंजीरो कोइज़ुमी –
एक और नेता हैं, जिन्हें शिंजो आबे के सबसे काबिल उत्तराधिकारियों में गिना जा रहा है। उनका नाम है शिंजीरो कोइज़ुमी, जो इस समय जापान के पर्यावरण मंत्री। शिंजीरों न केवल एक प्रखर वक्ता है, बल्कि महज 39 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है। हालांकि उनका युवा होना कुछ लोगों के अनुसार उनके प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी में आड़े आ सकता है।
लेकिन जो भी कहें, शिंजो आबे के त्यागपत्र सौंपने से चीन की मुसीबतें कम नहीं होने वाली, क्योंकि जापान में अभी भी देशभक्तों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि जापान की सत्ता किसे सौंपी जाती है।