सुशांत सिंह राजपूत मामले में राजनीति कर शिवसेना खुद अपनी कब्र खोद रही है

शिवसेना अपने लिए कब्र खोदने का काम शुरू कर दिया है

शिवसेना

pc: जनसत्ता

सुशांत सिंह राजपूत की आकस्मिक मृत्यु के मामले में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं। सुशांत के मौत की सच्चाई पूरा देश जानना चाहता है लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे पर भी अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंकने से बाज़ नहीं आ रहे। दरअसल महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना ने अब सुशांत सिंह राजपूत के चरित्र पर प्रश्न करने के साथ-साथ उनके परिवार पर भी कीचड़ उछालना शुरू कर दिया है। इस काम में सबसे आगे हैं, शिवसेना सांसद और पार्टी मुखपत्र सामना के प्रमुख संपादक संजय राऊत, जिन्होंने अब सुशांत के अपने पिता से अच्छे संबंध न होने का आरोप लगाया है।

दरअसल, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह केस सीबीआई को दे दिया है। लेकिन केंद्र के इस फैसले से, शिवसेना बौखला गई है और उसकी बौखलाहट उसके नेताओं के बयानों में स्पष्ट दिखाई दे रही है।  संजय राऊत का कहना है, “सुशांत सिंह राजपूत अपने पिता केके सिंह की दूसरी शादी से खुश नहीं थे। वे कितनी बार अपने पिता से मिलने के लिए पटना गए थे? सुशांत सिंह की मौत के पीछे की असल सच्चाई बाहर न आ सके इसलिए इसपर राजनीति की गई और मुंबई पुलिस से यह केस छीन लिया गया। बिहार और दिल्ली में सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर राजनीति की जा रही है और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ साजिश रची जा रही है। मुंबई पुलिस इस मामले की सच्चाई सामने लाने में सक्षम थी।“

कोई व्यक्ति अपनी पार्टी को बचाने के लिए कितना नीचे गिर सकता है, संजय राउत इसका सजीव उदाहरण हैं। इससे ज़्यादा शर्म की बात क्या होगी कि, जिस परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो, उस परिवार पर आरोप लगाए जाएँ और इन सब से अपनी राजनीति चमकाई जाए। सच कहें तो, शिवसेना ने ना सिर्फ सुशांत के परिवार को अपमानित किया है, बल्कि खुद अपने राजनैतिक भविष्य पर कुल्हाड़ी मारी है।

यदि शिवसेना ने शुरुआत से ही सुशांत सिंह राजपूत के मामले में निष्पक्ष जांच की व्यवस्था की होती, तो न केवल यह मामला अब तक सुलझ गया होता, बल्कि शिवसेना को वास्तव में इस मामले को अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय मिलता। लेकिन ऐसा न करके शिवसेना ने पार्टी के राजनैतिक भविष्य पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

पर संजय राउत इतने पर नहीं रुके। उन्होंने क्षेत्रवाद की घटिया राजनीति खेलते हुए कहा कि, सुशांत को मुंबई ने जितना दिया, उतना क्या उनके गृह राज्य ने कभी दिया? संजय राऊत के लेख के अनुसार, “सुशांत के पिता गलत धारणा बनाए बैठे हैं। सुशांत केवल बिहार के नहीं थे, वे पहले मुंबई के निवासी थे। उन्हे मुंबई ने जितना दिया है, उतना बिहार ने कभी नहीं दिया।“

इसके अलावा संजय राऊत ने निकृष्टता की सारी सीमाएं लांघते हुए, सुशांत की पूर्व गर्लफ्रेंड और अभिनेत्री अंकिता लोखण्डे तक को इस मामले में घसीटा और सामना में लिखा, “सुशांत की लाइफ में 2 लड़कियां थीं- अंकिता लोखंडे और रिया चक्रवर्ती। अंकिता ने तो सुशांत को छोड़ दिया था, लेकिन रिया जिन पर अभी आरोप लगे हैं वह तो उनके साथ थीं। तो फिर इस मामले की भी जांच होनी चाहिए कि, अंकिता ने सुशांत को क्यों छोड़ा था। यह जानकारी भी पब्लिक डोमेन में आनी चाहिए।“

लेकिन सुशांत सिंह राजपूत का परिवार भी ऐसे लांछनों पर शांत नहीं बैठा है। उन्हें पूरे देश की जनता का अपार समर्थन प्राप्त है। सुशांत के चचेरे भाई एवं भाजपा विधायक नीरज बबलू ने शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “महाराष्ट्र के सांसद की तरफ से यह घोर निंदनीय टिप्पणी है। बिना तथ्यों को जाने  आप ऐसे संवेदनशील केस में इस तरह की टिप्पणी कैसे कर सकते हैं? अगर जरूरत पड़ी तो मैं मानहानि का केस दायर करूंगा।”

इसके अलावा सुशांत के जीजा विशाल कीर्ति ने, मीडिया द्वारा बिहारी समुदाय के विरुद्ध लगाए जा रहे लांछन पर ट्वीट किया, “पूरे एफ़आईआर में केवल एक व्यक्ति का नाम सुर्खियों में था – रिया चक्रवर्ती। ऐसे में इसे नारी विरोधी रंग देकर मीडिया ने भी विषैली पत्रकारिता को ही बढ़ावा दिया है” –

https://twitter.com/vikirti/status/1292284906664374273?s=20

सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह के वकील ने भी अब आधिकारिक रूप से शिवसेना के बड़बोले सांसद संजय राऊत के खिलाफ कानूनी तौर पर कार्रवाई करने की घोषणा की है। एडवोकेट विकास सिंह ने कहा, “’मुझे यह जानकर बहुत दुख हो रहा है कि, शिवसेना इस तरह की बातें कर रही है। शिवसेना में कौन है जो सुशांत सिंह राजपूत या फिर उनके पिता के बारे में जानता है? क्या किसी के सामने एक्टर ने स्वीकार किया था कि उनके अपने पिता से संबंध अच्छे नहीं थे?”

सच कहें तो शिवसेना ने सुशांत सिंह राजपूत के परिवार को निशाने पर लेकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। जिस प्रकार, जनता शिवसेना के इन ओछे बयानों से भड़की हुई है, उससे एक बात तो साफ है कि शिवसेना ने कम से कम अगले 10 वर्षों के लिए अपने आप को सत्ता से बाहर करने का मार्ग खोल दिया है। अब प्रश्न यह नहीं है कि, महा विकास अघाड़ी की सरकार बनी रहेगी या नहीं, शिवसेना के इन कृत्यों के बाद अब प्रश्न यह है कि यह सरकार कब गिरेगी।

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