UAE-Israel का शांति समझौता दिखाता है कि अरब देशों ने Palestine का मुद्दा कूड़े के ढेर में फेंक दिया है

पश्चिम एशिया हमेशा के लिए बदलने वाला है

भारतीय समयनुसार कल रात 8 बजकर 20 मिनट पर ट्रम्प ने एक ऐसा ट्वीट किया, जिसके बाद दुनियाभर में खलबली मच गयी। ट्रम्प ने घोषणा करते हुए कहा कि उनके दो महान दोस्तों यानि इजराइल और UAE ने आखिरकार शांति-समझौता तय कर लिया है, और दोनों देश जल्द ही आपस में कूटनीतिक रिश्ते स्थापित कर लेंगे। सऊदी और UAE खेमे का इजरायल के साथ नज़दीकियां बढ़ाने से अब एक बात तय हो गयी है कि अरब देशों ने अब फिलिस्तीन के मुद्दे को अपनी प्राथमिकताओं से बाहर कर दिया है और ये दोनों देश अब इजरायल के साथ मिलकर क्षेत्र की अन्य चुनौतियों से निपटना चाहते हैं। साथ ही साथ, अमेरिकी चुनावों से ठीक पहले हुए इस समझौते के कारण चुनावों में ट्रम्प को बड़ा फायदा मिल सकता है। हालांकि, इस शांति समझौते के बाद भी ट्रम्प Nobel peace Prize के योग्य तो बिलकुल नहीं हुए हैं।

फिलिस्तीन का मुद्दा अब तक अरब देशों और इजरायल के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण रहा है। फिलिस्तीन की भी शुरू से यही मांग रही है कि जब तक इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति समझौते के जरिये Two State Solution नहीं निकाला जाता, तब तक अरब देशों को इजरायल के साथ संबंध स्थापित नहीं करने चाहिए। हालांकि, UAE-इजरायल के शांति समझौते से फिलिस्तीन को बड़ा झटका ज़रूर पहुंचा होगा। हालांकि, शांति-समझौते की शर्तों के मुताबिक अब इजरायल को West Bank में अपने annexation plans को रोकना होगा, जो फिलिस्तीन के लिए थोड़ी राहत की बात अवश्य हो सकती है।

शांति समझौते के बाद अब UAE ऐसा पहला खाड़ी का देश बन जाएगा, जिसके इज़रायल के साथ आधिकारिक तौर पर कूटनीतिक रिश्ते स्थापित होंगे। जल्द ही इजरायल का दूतावास UAE में और UAE का दूतावास इज़रायल में खुलेगा, जो अपने आप में बहुत ऐतिहासिक कदम होगा। बता दें कि अरब देशों में जॉर्डन और इजिप्त के पहले से ही इज़रायल के साथ कूटनीतिक रिश्ते स्थापित हैं। अब UAE इज़रायल को मान्यता देने वाला तीसरा अरब देश बन जाएगा। माना जा रहा है कि जल्द ही सऊदी अरब भी UAE की तरह ही इज़रायल के पक्ष में बड़ा कदम उठा सकता है। UAE और सऊदी अरब की विदेश नीति में अक्सर तालमेल देखने को मिलता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्द ही ओमान और बहरीन जैसे अन्य अरब देश भी UAE और सऊदी अरब की राह पर चलते दिखाई दे सकते हैं।

UAE के इस कदम के बाद अभी से फिलिस्तीन और UAE के कूटनीतिक रिश्तों में आंच देखने को मिल रही है। फिलिस्तीन ने UAE में मौजूद अपने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला लिया है। इसके अलावा ईरान, तुर्की जैसे देशों ने इस समझौते की निंदा की है। तुर्की ने UAE पर फिलिस्तीन के साथ विश्वासघात करने के आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही ईरान ने भी इज़रायल पर धोखा करने का आरोप लगाया है।

हालांकि, UAE ने साफ कर दिया है कि वह किसी के दबाव में नहीं आने वाला है। UAE के रईस अब इज़रायल के start ups में निवेश कर सकते हैं, वे इस देश से सुरक्षा उपकरण खरीद सकते हैं, इज़रायल के लोग विदेशों में घूमना पसंद करते हैं, ऐसे में UAE उनमें से अधिकतर को UAE में अवश्य बुलाना चाहेगा। ऐसे में UAE और इज़रायल के बीच इस शांति समझौते के चलते दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते भी मजबूत होंगे।

इस शांति समझौते को पक्का करवाने में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का बड़ा हाथ रहा है। पुराने दुश्मनों के बीच दोस्ती कराने और शांति को बढ़ावा देने के लिए ट्रम्प की तारीफ की जानी चाहिए। हालांकि, इसके लिए उन्हें Nobel Peace Prize देने की मांग करना बेवकूफी होगी। Nobel peace prize प्राप्त करके राष्ट्रपति ट्रम्प भी राष्ट्रपति ओबामा और मलाला युसुफ़जई जैसे लोगों की कतार में खड़े हो जाएंगे, जो किसी भी व्यक्ति के लिए शान का प्रतीक तो बिलकुल नहीं हो सकता।

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