CCP को बेरहमी से बर्बाद करने में चीन के “विभीषण” सबसे आगे हैं

घर का भेदी “चाइना” ढाए!

चीन

चीन भले ही अपनी छवि सुधारने की कितनी भी कोशिशें क्यों ना कर ले, लेकिन वह हर बार मात खा जाता है। अब चीन के scholars ही  उसकी छवि की बक्खियाँ उधेड़ने में लगे हुए हैं। जिन चीनी अधिकारियों के दूसरे देशों में उच्च पदों पर जाने से चीन खुशियाँ मानता था अब वही अधिकारी सीसीपी को बर्बाद कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, चीन के विभीषण ही CCP के पतन का कारण बन रहे हैं।

दरअसल, एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने चीन में जन्मे और चीन विरोधी मत रखने वाले ऐडवाइजरों की नियुक्ति की है। इनमें से प्रमुख हैं, माइक पोम्पिओ के ऐडवाइजर Miles Yu तथा विदेश नीति सलाहकार Mung Chiang। ऐसा लगता है कि, अमेरिका के अधिकारियों द्वारा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को राष्ट्रपति न कह कर CCP के “जनरल सेक्रेटरी” से संबोधित किया जाना, इन्हीं ऐडवाइजरों की सलाह थी। इस कदम का लक्ष्य यह था कि चीन पर आरोप लगते वक़्त, पूरी दुनिया को चीन को नहीं, बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को दोषी माने।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स से, इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ आग उगल चुका है और यह तक लिख दिया कि Miles Yu चीन के एक “कट्टर” दुश्मन हैं जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पतन को देखना चाहते हैं।

बता दें कि, Miles Yu यूएस नेवल अकादमी में पूर्वी एशिया और सैन्य इतिहास के प्रोफेसर हैं और अमेरिकी विदेश विभाग को सलाह देते हैं। Miles Yu की नियुक्ति पर कई लोगों ने सवाल उठाया था क्योंकि वह पहली पीढ़ी के अप्रवासी हैं और चीन के विरोधियों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं। The Washington Times की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने 1989 में थियानमेन स्क्वायर नरसंहार के बाद चीनी विरोधियों को चीन से भागने में मदद की और सैन फ्रांसिस्को में सेटेल कराया था।

वहीं अगर Mung Chiang की बात की जाए तो वह एक tech entrepreneur हैं और  Purdue University में इंजीनियरिंग के डीन के तौर पर कार्यरत हैं। इसके अलावा, अमेरिका ने पिछले वर्ष अगस्त में विख्यात उईगर अमेरिकी शिक्षाविद, Elnigar Iltebir को US National Security Council’s for China का डायरेक्टर बनाया था। South China Morning Post के अनुसार इनके अलावा और भी कई चीन विशेषज्ञ थे, जिन्होंने ट्रम्प की china policy में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अमेरिका के इस तरह से चीनी अधिकारियों के इस्तेमाल से बीजिंग चिंतित है। बीजिंग के Renmin University के Shi Yinhong का कहना है कि, इन एडवाइजरों की नियुक्ति से ही ट्रम्प प्रशासन अपनी china policy में और आक्रामक हुआ है। उनका मानना है कि, चीनी धरती में जन्मे इन एडवाइजरों को चीनी मामलों का गहरा ज्ञान है और जब अमेरिका चीन के खिलाफ आक्रामक होना चाहता था तभी इन सभी की नियुक्ति की गयी थी।

बता दें कि, पहले चीनी मीडिया दूसरे देशों में चीनियों के उच्च पदों पर नियुक्ति से खुशियाँ मानता था और प्रशंसा करते हुए लेख प्रकाशित करता था, जैसे कि चीन के पूर्व अमेरिकी राजदूत Gary Locke और वर्तमान अमेरिकी परिवहन सचिव Elaine Chao की नियुक्ति पर किया गया था। पर अब चीन, अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से इन अधिकारियों को अपना कट्टर दुश्मन बता रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने Miles Yu के ऊपर एक लेख प्रकाशित किया जिसमें उनकी आलोचना की गयी है। यही नहीं, इस लेख में यह भी कहा गया है कि अमेरिका Miles Yu जैसे लोगों की मदद ले कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहा है। हालांकि, लेख को पढ़ कर चीन की बेचैनी स्पष्ट नजर आ रही है। चीन की चिंता स्वाभाविक है क्योंकि उसे उसके परेशान नागरिकों से अधिक कोई नहीं समझता जो चीनी सरकार की उदासीनता के शिकार हैं। ऐसे अधिकारियों के सुझाव अमेरिका के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं क्योंकि, अब चीन पूरी तरह से अमेरिका के पंजे में आ रहा है, चाहे वो आर्थिक मोर्चा हो या सैन्य मोर्चा। यानि, अगर यह कहा जाए कि, चीनी विभीषण CCP के पतन की बेहतरीन कहानी लिख रहे हैं तो यह बिलकुल भी गलत नहीं होगा।

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