अपनी भूख मिटाने के लिए चीन समुद्रों और महासागरों की मछलियों को निगल रहा है

ये चीन का मछली जिहाद है

चीन और उसकी विस्तारवादी नीतियां सिर्फ जमीनी क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मछलियों के लिए चीन की भयानक भूख ने दुनिया भर के सागर और महासागर को मछली विहीन कर रहा है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार अब अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में घुस कर Illegal, Unreported, and Unregulated (IUU) मछली पकड़ रही है जिससे कई क्षेत्रों की जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हुआ है।

समुद्री भोजन और मछलियों के लिए चीन की बढ़ती भूख का एक ही कारण है। अपनी मछली पकड़ने की आदतों के कारण चीन अपने तट के चारों ओर का जलीय पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट कर चुका है और अब आस पास के जल क्षेत्र में मछलियाँ बची ही नहीं है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किए गए 2016 के एक अध्ययन के अनुसार, चीन ने अपने coastal wetlands, का आधा हिस्सा, mangroves के 57% और coral reefs के 80% को खो दिया है, मछलियों के खाने और प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

चीन की जनता के खाने की आदतों के बारे में पूरा विश्व जानता है। चीनी आबादी की समुद्री भोजन के लिए बढ़ती इच्छा को पूरा करने और मछलियों को पकड़ने के लिए वहाँ के व्यापारी अब अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्रों में घुसने लगे। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 तक, चीन विश्व का लगभग 38% मछ्ली पकड़ने लगेगा, जो किसी भी अन्य क्षेत्र से दोगुना है।

अधिकांश चीनी जहाज इतने बड़े होते हैं कि वे एक हफ्ते में उतनी ही मछलियाँ पकड़ लेते हैं जितनी एक स्थानीय नाव एक वर्ष में पकड़ सकती है। चीन के वैश्विक मछली पकड़ने वाले बेड़े के कुल आकार का 200,000 से 800,000 मछली पकड़ने की नौकाएँ के आस पास है।

हालांकि,  चीनी सरकार का कहना है कि जो बेड़ा, या जहाज मछली पकड़ने चीन के तट से दूर जाते हैं, उनकी संख्या लगभग 2,600 है, लेकिन अन्य शोध, जैसे कि Overseas Development Institute (ODI) ने इस संख्या को 17,000 के आस पास बताया था।

YaleEnvironment360 की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन का वैश्विक मछली पकड़ने का बेड़ा अपने आप में आधुनिक और इतना विकसित नहीं हुआ। चीनी सरकार ने प्रतिवर्ष अरबों युआन खर्च करते हुए, इस उद्योग को भारी सब्सिडी दी है। 2006 और 2011 के बीच डीजल ईंधन सब्सिडी में दस गुना वृद्धि के कारण की चीनी नौकाएं इतनी दूर तक यात्रा करने की क्षमता रखती हैं।

TFI ने रिपोर्ट किया था कि हाल ही में, चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं का अरमाडा इक्वाडोर Galapagos archipelago के पास तक आ गया था। इक्वाडोर के अधिकारियों और रडार से बचने के लिए मछली पकड़ने वाली चीनी बेड़े ने ट्रैकिंग सिस्टम को भी बंद कर दिया था जिससे वह अपनी हरकतों को छुपा सके।

Giant squid या Hammerhead shark के लिए चीनी मछली पकड़ने वाला बेड़ा वर्ष 2017 से ही Galapagos archipelago के संरक्षित क्षेत्र में गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। अभी भी पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील द्वीपों के पास पानी में लगभग 325 जहाज मछली पकड़ रहे हैं।

मछ्ली पकड़ने के बहाने से अब चीन समुद्र पर खुद को मुखर करने और पूर्वी एशिया से लैटिन अमेरिका तक भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक अवसर के रूप में देखता है। इन मछली पकड़ने वाली नौकाओं की आड़ में चीन अपने समुद्री सेना को क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए समुद्र में भेज रहा है।

वास्तव में, मछ्ली पकड़ने वाली इस फ्लीट को चीनी नौसेना से गश्त, और निगरानी तथा अन्य मिशनों में शामिल होने का प्रशिक्षण मिला हुआ है जिससे अंतराष्ट्रीय जल क्षेत्र में चीन की मौजूदगी दर्ज करा सके। इसी कारण से उन्हें People’s Armed Forces Maritime Militia (PAFMM) के रूप से भी जाना जाता है जो चीन की Third Sea Force के रूप में काम करता है।

चीन जिस तरह से समुद्री जल क्षेत्र में अपनी बाँहें फैला रहा है उसे देखते हुए अगर यह कहा जाए कि चीन मछ्ली जिहाद कर रहा है तो यह गलत नहीं होगा। चीन ने बर्फ से ढके ध्रुवीय क्षेत्रों को भी नहीं छोड़ा है और अंटार्कटिका में अपने अवैध मछली पकड़ने के अभियान को तेज करने की दिशा में काम कर रहा है। जब विश्व के अन्य देश कोरोना के कारण अपने अंटार्कटिका में होने वाले रिसर्च की संख्या में कटौती कर रहे हैं तो वही चीन की एक कंपनी Shanghai Chonghe Marine Industry  सबसे बड़ा Antarctic krill-fishing boat बनवा रही है

krill अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र एक छोटी मछ्ली है। इसकी वैश्विक मांग बढ़ने के कारण यह पहले से ही खतरे में है और अब चीन की नजर इस पर पड़ चुकी है। चीन अनियंत्रित रूप से मछ्ली पकड़ना अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।

चीन की इस हरकत के कारण कई देशों जैसे दक्षिण अमेरिका में इक्वाडोर से लेकर, उत्तर कोरिया और फिलीपींस के मछुआरों और वियतनाम, ब्रुनेई, मलेशिया सभी ने चिंता जताई है। साथ ही उनके संप्रभु जल में चीन द्वारा अतिक्रमण की आलोचना भी की है।

अगर चीन के खतरे को समय रहते नाकाम नहीं किया गया या रोका नहीं गया तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पूरे पृथ्वी का जलीय जीवन खतरे में है। जल्द से जल्द सभी देशों को चीन की इन हरकतों को रोकने के लिए विशेष कदम उठाने होंगे।

 

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