भारतीय राजनीति इस समय एक विचित्र मुहाने पर है। बिहार में आरजेडी को कांग्रेस के अलावा किसी का साथ नहीं मिल रहा, महाराष्ट्र में सुशांत सिंह राजपूत के संदेहास्पद मृत्यु के मामले ने महा विकास अघाड़ी सरकार की नींद उड़ा के रखी है। इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी की अंतर्कलह अब खुलकर सामने आ गई है। परंतु एक समस्या ऐसी भी है जिसपर शायद ही किसी का ध्यान गया है, और वह है कांग्रेस की पंजाब इकाई में पड़ी फूट।
दरअसल, अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के भविष्य को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर तनातनी का माहौल है। कई लोग दबी ज़ुबान में पार्टी के वंशवादी प्रवृत्ति के विरुद्ध बात कर रहे हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में पंजाब के मुख्यमंत्री, कैप्टन अमरिंदर सिंह कहते हैं, “सोनिया जी जब तक चाहे अध्यक्ष बनी रह सकती है। उनके बाद राहुल गांधी को कमान संभालनी चाहिए, जो इस पद के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। इस महत्वपूर्ण समय में पार्टी में बदलाव करने की मांग करने वाले इन नेताओं का कदम पार्टी और राष्ट्र, दोनों के हितों के लिए हानिकारक होगा”। परंतु जनाब यहीं नहीं रुके। उन्होने आगे कहा, “कांग्रेस को ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है जो केवल कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि समूचे पार्टी समस्त कार्यकर्ताओं और देश के लिए स्वीकार्य हो, और गांधी परिवार इस भूमिका के लिए बिलकुल उपयुक्त हैं!”
अब ये बयान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यूं ही नहीं दिया, बल्कि इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है। दरअसल. बहुत ही कम लोगों को पंजाब कांग्रेस में पड़ रही दरार के बारे में पता है। कांग्रेस के लगभग हर राज्य इकाई की भांति यहां भी सत्ताधारी सीएम अमरिंदर सिंह और वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं सांसद प्रताप सिंह बाजवा के बीच तनातनी उमड़ रही है। प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों ने जहरीली शराब के मामले में अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात कर उन्होंने कहा कि यह बड़ा मामला है और इसकी सीबीआई जांच करवाई जाए।
बाजवा और दूलों ने चार पन्नों का संयुक्त पत्र राज्यपाल को सौंपकर कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिले और उनकी पत्नी के संसदीय क्षेत्र में ही अवैध शराब की फैक्ट्रियां चल रही हैं। वह कई बार यह मामला उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री को इस बारे में लिख भी चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कोरोना के कारण लॉकडाउन में भारी मात्रा में अवैध शराब बिक्री हुई है, जिससे सरकारी खजाने को 2700 करोड़ रुपए का चूना लगा। अब उसी माफिया के लालच ने 100 से ज्यादा लोगों की जान ले है।
अब दोनों के पत्र ने पंजाब कांग्रेस में कितनी खलबली मचाई, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने सोनिया गांधी से पत्र लिखकर इन दोनों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है। इससे पहले भी पंजाब कांग्रेस में फूट पड़ी थी, जब नवजोत सिंह सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को चुनौती देने का प्रयास किया था।
परंतु राहुल गांधी के अध्यक्ष होने के कारण नवजोत सिंह सिद्धू वर्चस्व की लड़ाई में अकेले पड़ गए, और वे पार्टी में होकर भी पार्टी से अलग हो गए। ऐसे में यदि गांधी परिवार के हाथ से कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व चला गया, तो अमरिंदर सिंह का पंजाब कांग्रेस पर एकाधिकार हट जाएगा। इसलिए अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की अंतर्कलह पर शांति बरतने का नारा लगाया है, क्योंकि यदि पंजाब कांग्रेस की फूट लाइमलाइट में आई, तो जनाब की नैया डूबने में देर नहीं लगेगी।