कनाडा की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वर्त्तमान संसदीय सत्र को समय से पूर्व स्थगित कर दिया है। अगला सत्र 23 सितम्बर को होगा। इसके बाद विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनका यह कदम संसदीय समिति द्वारा उनके विरुद्ध एक घोटाले के आरोप में की जा रही जांच को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।
बता दें कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर आरोप है कि उन्होंने एक चैरिटी फंड को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया और बदले में इस संस्था ने उनके परिवार के सदस्यों को धन दिया। WE Charity controversy नाम के इस विवाद में सरकार पर आरोप है कि उन्होंने कनाडा स्टूडेंट सर्विस ग्रांट योजना को चलाने का ठेका WE Charity नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान को दिया था। लेकिन विवाद तब बढ़ा जब एक खुलासे में यह बात सामने आयी कि 2016 से 2020 के बीच में जस्टिन ट्रूडो की माँ को चैरिटी संस्थान द्वारा 250,000 कनैडियन डॉलर, भाई को 32,000 कनैडियन डॉलर दिया गया।
अब संसदीय समिति द्वारा इन आरोपों की जाँच के बीच, प्रधानमंत्री का संसद के स्थगन का यह फैसला उनकी मंशा पर सवालिया निशान तो खड़े करता ही है। बता दें कि कनाडा के संविधान के अनुसार ऐसा समयपूर्व स्थगन प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद के स्पीकर (जिसे वहां गवर्नर कहा जाता है) के द्वारा किया जाता है। साथ ही जब सदन का स्थगन हो जाता है तो उस सदन के सभी अधूरे कार्य जैसे कोई ऐसा बिल जिसपर चर्चा हो रही हो, या कोई जांच जो संसदीय समिति द्वारा चल रही हो, वे सभी भी स्वतः समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद जो नया सत्र शुरू होता है, उसमें पूर्व में चल रही सभी जाँच नए सिरे से शुरू होती है। साथ ही स्थगित सत्र और नए सत्र के बीच के कार्यकाल में जाँच कमिटी की सारी शक्तियां शून्य रहती हैं।
जस्टिन ट्रूडो का यह कदम उनके विरुद्ध चल रही जाँच को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया लगता है। हालाँकि, सरकार का कहना है कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया है कि वे कोरोना के दौरान हो रहे प्रशासनिक कार्यों को ठीक प्रकार से ख़त्म कर सके। जिससे जब 23 सितम्बर को अगला सत्र शुरू हो तो उसमें क्राउन द्वारा होने वाले भाषण के पूर्व वे उन सभी वादों को सरकार पूरा कर सके, जो क्राउन द्वारा पिछले भाषण के दौरान किये गए थे। बता दें कि कनाडा में शासनाध्यक्ष के रूप में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ ही नामित हैं।
गौरतलब है कि जस्टिन ट्रूडो 2015 के चुनाव अभियान के दौरान भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बहुत ही मुखर थे। साथ ही उन्होंने संसदीय कार्यवाही के स्थगन को मुद्दा बनाते हुए यह वादा किया था कि उनके शासन में ऐसा नहीं होगा। 2008 में वर्तमान विपक्षी दल कंज़र्वेटिव पार्टी के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफन हॉपर ने भी ऐसा फैसला किया था, जिसका जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने विरोध किया था। अब लिबरल ही ऐसा कर रहे हैं। साथ ही लिबरल पार्टी की राजनीति स्वच्छ, लोकतान्त्रिक और जवाबदेह सरकार की राजनीति है। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो का यह कदम उनकी अपनी राजनीतिक सिद्धांतों के ही खिलाफ है।