ट्रम्प ने शुरू की “5 clean” पहल, चीन से एक भी पैसा लिया तो अछूत घोषित कर दिये जाओगे

अमेरिका में रहना है, तो “Boycott China” कहना है!

चीन

pc: bne IntelliNews

अमेरिका एक नई और सख्त नीति लेकर आया है जिसके जरिये वह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अमेरिकी नागरिकों के डाटा को चोरी करने का खेल बंद कर देगा। इससे मोबाइल apps , इंटरनेट क्लाउड , प्री इंस्टॉल apps आदि के जरिये चीन जो आम लोगों का डाटा तथा रिसर्च लैब्स की रिसर्च चोरी करता है उसपर रोक लग जाएगी।

अमेरिका ने Clean Network के पांच क्षेत्रों में कम्युनिस्ट देश की गतिविधियां रोकने का काम शुरू किया है जिसमें पहला है Clean Carrier  जिसके तहत चीन को टेलिकम्युनिकेशन से बाहर किया जाएगा। अमेरिका का कहना है कि चीन का वैश्विक टेलिकम्युनिकेशन के ढांचे में रहना सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है। दूसरा क्षेत्र Clean Store है, जिसके तहत अमेरिका का प्रयास होगा कि ऐसे सभी मोबाईल ऐप्लीकेशन प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर से बाहर हो जाएं जिनपर चीन की सरकार के लिए डाटा चोरी करने का आरोप लगता है। यहाँ संक्षेप में यह बताना जरुरी है कि चीन मोबाइल ऐप्लीकेशन के माध्यम से दूसरे देशों के लोगों की रूचि, उनके विचार आदि जानकारी लेता है, जिसका इस्तेमाल वो अपने हित और एजेंडे के लिए करता है।

इस नीति की तीसरी कड़ी है Clean Apps, जिसके जरिये अमेरिका अपने app निर्माताओं को चीनी ऐप्स और मोबाइल निर्माताओं के साथ आने से रोकेगा। अमेरिका का कहना है कि  app निर्माताओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे ऐसे देश के साथ अपने आर्थिक सम्बन्ध ना रखें जो हमेशा मानवाधिकारों को कुचलता है।

Clean Cloud इस नीति का चौथा क्षेत्र है। क्लाउड एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें यूजर के सभी महत्वपूर्ण डाटा, इंटरनेट के माध्यम से सुरक्षित रखे जाते हैं। अक्सर, बड़ी रिसर्च लैब्स और संस्थान क्लाउड का इस्तेमाल, अपने शोध को सुरक्षित रखने और एक-दूसरे के साथ साझा करने के लिए करते हैं। चीन इन्हीं क्लाउड्स में घुसपैठ करके दूसरे देशों के महत्वपूर्ण और गोपनीय अनुसंधान चुराता है। अमेरिका अब इस क्षेत्र में भी चीनियों को रोकने के लिए कमर कस चुका है।

इसकी अंतिम कड़ी है Clean Cable , जिसमें undersea cables को और सुरक्षित बनाया जाएगा। इनका इस्तेमाल विभिन्न देशों के बीच वैश्विक इंटरनेट सेवा के संचालन के लिए होता है। लेकिन इसके ज़रिए चीन की कम्युनिस्ट सरकार जानकारियां चुराती रहती थी जिसमें से कई बार अति-संवेदनशील जानकारियाँ भी चोरी हो जाती थीं। चीन को ऐसा करने से रोकने की जिम्मेदारी लेना भी अमेरिका ने अपने इस कार्यक्रम में शामिल किया है।

अमेरिका का सख्त निर्देश है कि, जिन कंपनियों को ऐसे किसी भी क्षेत्र में निवेश करना है, तो उसका चीन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं होना चाहिए। अमेरिका ने अपने सभी सहयोगियों को इस योजना में सहयोग का आग्रह किया है।  साफ़ जाहिर है, कि अमेरिका की इस नीति से चीन वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़ जाएगा और उसकी डाटा चोरी की आदत पर लगाम लगेगी। आज पूरे विश्व में 5G सेवा पाने के लिए होड़ मची हुई है ऐसे में अमेरिका की यह योजना चीन को 5G टेक्नोलॉजी में बिल्कुल पीछे कर देगी।  ऐसे में अगर कोई भी कंपनी चीन के सहारे अमेरिका में काम करने की सोचेगी भी तो उसे अमेरिका में प्रवेश नहीं मिलेगा।

दुनिया का लगभग हर बड़ा देश चीन पर डाटा चुराने का आरोप का आरोप लगा चुका है। हाल ही में यूरोपियन यूनियन ने भी डाटा चोरी के आरोप में दो चीनी जासूसों पर कार्रवाई भी की है। ऐसे में चीन पर अमेरिका के इस कदम के बाद दबाव और बढ़ेगा। अमेरिका का यह कदम साफ़ सन्देश देता है कि अब दूसरे देशों की सरकारों और विनिर्माताओं को चीन और अमेरिका में से किसी एक को चुनना होगा। अमेरिका चीन के दबदबे को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता है और अभी तक उसमें काफी हद तक सफल भी रहा है।

महत्वपूर्ण यह है, कि चीन के आर्थिक विकास का सारा खेल ही डाटा चोरी पर टिका था। यहां तक कि उसने जो हथियार बनाए हैं वो भी रूस और अमेरिका के हथियारों की नक़ल हैं, जिनकी जानकारी उसने डाटा चोरी कर के ही पाई थी। ऐसे में अमेरिका ने जो कदम उठाया है वो चीन के पुरे तंत्र को ही हिला कर रख देगा।

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