UAE-इज़रायल के शांति समझौते के बाद तुर्की-ईरान की शांति उड़ी, दोनों पिछले 48 घंटों से छाती पीट रहे हैं

अफ़सोस!

UAE

13 अगस्त 2020 को राष्ट्रपति ट्रम्प ने ऐतिहासिक UAE-इज़रायल शांति समझौते का ऐलान किया था। अब उसी के बाद, कुछ मुस्लिम देशों की शांति छिन गई है। तुर्की और ईरान जैसे देश तो मानो इस समझौते के कारण खून के आँसू रो रहे हैं। इन देशों ने UAE को गद्दार करार दिया है और तुर्की ने तो UAE के साथ कूटनीतिक रिश्ते तोड़ने तक की धमकी दे दी है। वहीं हमारा पड़ोसी पाकिस्तान तो इस समझौते से असमंजस में फंस गया है, इसीलिए  पाकिस्तान ने एक बेहद संतुलित सा बयान जारी कर अपने नए आका यानि तुर्की और पुराने आका यानि सऊदी और UAE, दोनों को खुश करने की कोशिश की। कुल मिलाकर UAE-इज़रायल शांति समझौते ने कई देशों की शांति को गायब कर दिया है।

दरअसल, इस शांति समझौते ने जिसको सबसे ज़्यादा पीड़ा पहुंचाई, वह देश है तुर्की! तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने UAE की जमकर आलोचना करते हुए UAE के साथ राजनयिक संबंध तोड़ने की बात कही है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा “फिलिस्तीन, वहां के लोग और इतिहास, इजरायल के साथ समझौता करने लिए UAE के पाखंडी व्यवहार को कभी नहीं भूलेंगे और न ही माफ करेंगे। UAE ने हमारे साथ धोखा किया है। यूएई ने फिलिस्तीनी हितों को छोड़कर अपने संकीर्ण हित को प्राथमिकता दी है।“ बता दें कि, व्यावसायिक हितों के लिए तुर्की ने इज़रायल के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को पहले से ही स्थापित किया हुआ है। ऐसे में इज़रायल के साथ राजनायिक संबंध स्थापित करने के लिए तुर्की द्वारा UAE का त्याग करने की धमकी देना तुर्की के ही पाखंड को दर्शाता है।

कुछ ऐसा ही हाल ईरान का भी है। ईरान ने तो UAE को गद्दार करार दिया है। ईरान ने शांति समझौते की निंदा करते हुए इसे सभी मुसलमानों के पीठ में छुरा घोंपना बताया है। ईरानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में, ईरान ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने को खतरनाक और ‘शर्मनाक’ कदम बताया है। ईरानी मीडिया ने UAE को चेतावनी देते हुए कहा है कि, इजरायल के साथ शांति समझौते के बाद वह ईरानी हमलों का एक बेहद आसान टार्गेट बन सकता है। कुछ एक्स्पर्ट्स इसे ईरान द्वारा UAE पर हमले की धमकी के रूप में भी देख रहे हैं।

UAE के इस कदम के बाद फिलिस्तीन में भी बेहद गुस्सा देखने को मिल रहा है। फिलिस्तीन के राष्‍ट्रपति महमूद अब्‍बास के प्रवक्‍ता ने कहा कि, यह डील उनके साथ एक ‘धोखा’ है। इतना ही नहीं, फिलिस्तीन ने विरोध स्‍वरूप यूएई से अपना राजदूत वापस बुला लिया है।

शांति समझौते के बाद पाकिस्तान ने भी अपने आप को असमंजस की स्थिति में पाया। वह इस डील का विरोध करता तो अपने पुराने आका UAE और सऊदी अरब का दुश्मन बन जाता। और अगर वह इस डील का समर्थन करता तो पाकिस्तान न सिर्फ अपने नए आका, तुर्की के गुस्से को आमंत्रित करता, बल्कि अपने ही देश के कट्टरपंथी संगठनों का शिकार बन जाता। ऐसे में पाकिस्तान ने एक बेहद संतुलित बयान देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की! पाकिस्तान ने एक बयान जारी कर कहा “इस समझौते को लेकर हमारा नज़रिया इस बात पर आधारित होगा कि भविष्य में चलकर यह समझौता फिलिस्तीन की लड़ाई पर किस तरह सकारात्मक प्रभाव डालता है।“

भारत ने इस समझौते का स्वागत किया है, जिसके लिए UAE ने भारत का धन्यवाद किया है।

मौजूदा हालात देखकर यही कहा जा सकता है कि, शांति समझौते के बाद पश्चिमी एशिया में कूटनीतिक तनाव बढ़ सकता है। संकेत हैं कि, UAE की तरह ही बहरीन और ओमान जैसे देश भी इज़रायल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो, मुस्लिम दुनिया के झंडाबरदार देश, तुर्की और ईरान की यह चिंता बढ़ जाएगी कि, उनकी इस्लामिक राजनीति का क्या होगा।

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