‘एक मंच पर होंगे दो दोस्त, एक दुशमन साथ’, RIC सम्मेलन इस बार दिलचस्प होने वाला है

तेरा क्या होगा चीन!

रूस

PC: The Wire

रूस भारत और चीन के साथ एक बार फिर से RIC की बैठक आयोजित करने की योजना बना रहा है। यह बैठक G-20 बैठक के मौके पर होने की संभावना है जो इसी वर्ष नवंबर में सऊदी अरब में आयोजित होनी है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि कोरोना के बाद से भारत और रूस दोनों देशों का चीन के साथ तनाव बढ़ा हुआ है और ऐसे समय में यह RIC की बैठक होना चीन पर भारी पड़ सकता है।

The Print की रिपोर्ट के अनुसार रूस अपने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी समकक्ष शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच G-20 बैठक के दौरान RIC की एक अलग शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रहा है। G-20 की बैठक 21-22 नवंबर को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक के प्लान पर 23 जून को हुए RIC के विदेश मंत्रियों के बीच हुए वीडियो-सम्मेलन के दौरान चर्चा की गई थी। सूत्रों के अनुसार, न तो भारत और न ही चीन ने शिखर सम्मेलन में भागीदारी की पुष्टि की है। अब इस बैठक पर अटकलें लगाई जा रही है कि रूस दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का प्रयास करेगा जिससे तीनों देशों के बीच स्थिरता के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिले और पूरे क्षेत्र का सतत विकास हो सके।

हालांकि, अगर यह बैठक उम्मीद के अनुसार होती है तो इस बार पिछली बैठक से माहौल बिल्कुल अलग होगा और उसमें तीनों देश दो दोस्त और एक दुश्मन की तरह बैठक में भाग लेंगे। कोरोना के बाद से ही पूरे विश्व में चीन के खिलाफ भावना भड़क चुकी है तो वहीं भारत में गलवान घाटी में हमले के बाद चीन के खिलाफ भावना सातवें आसमान पर है। तब से भारत ने चीन के खिलाफ कई कड़े एक्शन लिए हैं।

जब भी किसी तरह की अंतराष्ट्रीय बैठक होती है तब चीन किसी भी तरह की बातचीत में हमेशा हावी होने का प्रयास करता है और मुद्दों को उठाकर सामने वाले पक्ष को कमजोर करने के प्रयास करता है परन्तु इस बार चीन का पक्ष काफी कमजोर होगा। जहाँ एक तरफ लद्दाख में चीन की हरकतों से भारत आक्रोशित है तो रूस भी चीन की विस्तारवादी नीति से खुश नहीं है।

चीन भारत के साथ बॉर्डर विवाद को गलवान घाटी में आक्रमण कर और बढ़ा चुका है जिसके बाद भारत एक भी कदम पीछे नहीं हटने वाला है। वहीं चीन लगातार नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप कर उसे भारत के खिलाफ भड़का रहा है। जब भारत-चीन का बॉर्डर विवाद हुआ था तब भी पुतिन ने भारत का ही साथ दिया था।

रूस भी चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान है। Vladivostok मुद्दा, आर्टिक क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभुत्व, और मध्य एशिया के देशों जैसे तजाकिस्तान पर चीन की नजर से रूस आक्रोशित है और चीन के पक्ष में रूस का होने का कोई सवाल ही नहीं। इसके साथ ही रूस ने कुछ दिनों पहले ये भी संकेत दिया था कि किसी भी प्रकार के मिसाइल हमले का जवाब परमाणु हमले से दिया जाएगा। यही नहीं, कुछ ही दिनों पहले रूस ने चीन पर जासूसी करने का आरोप लगाया तथा अपने एक शोधकर्ता पर चीन को खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। चीन आर्कटिक क्षेत्र में भी अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश में है। इस देश ने आर्कटिक में सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी है। इससे भी रूस चीन से चिढ़ा हुआ है। इसके बाद S-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति जो पहले होल्ड पर थी, उसे अब चीन के लिए पूर्णतया निलंबित कर दिया था।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस वर्ष अक्टूबर में भारत आने वाले हैं और उनके इस दौरे के दौरान होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में रूस के Indo-Pacific क्षेत्र में शामिल होने की बात कर सकता है। यह चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा। यह बैठक RIC की बैठक से ठीक पहले होगी, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुतिन और पीएम मोदी के बीच RIC की बैठक के मुद्दे पर भी बातचीत हो सकती है।

बता दें कि RIC समूह के निर्माण का विचार वर्ष 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री द्वारा दिया गया था। RIC एक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय समूह है, क्योंकि यह तीन सबसे बड़े देशों को एक साथ लाता है जो संयोगवश भौगोलिक रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। रूस चीन के मुकाबले भारत जैसे भरोसेमंद मित्र को अधिक महत्व दे रहा। ऐसे में जब तीनों देश आमने सामने होंगे तो स्पष्ट है चीन को दोनों देशों का दबाव अधिक होगा और चीन हावी होने का एक अवसर नहीं होगा।

 

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