हाल ही में Hong-Kong सुरक्षा कानून लागू करने के संबंध में अमेरिका ने Hong-Kong प्रशासन के 11 अधिकारियों पर प्रतिबंधों का ऐलान किया था। चीन में इन प्रतिबंधों का खासा मज़ाक बनाया गया था, क्योंकि अमेरिका में इन 11 अधिकारियों की कोई संपत्ति थी ही नहीं! अमेरिका का मज़ाक उड़ाने के लिए एक प्रतिबंधित अधिकारी ने तो ट्रम्प को 100 डॉलर भेजकर उन्हें फ्रीज़ करने की बात कही थी! हालांकि, experts के मुताबिक Hong-Kong के अधिकारियों की खुशी किसी भी वक्त मातम में बदल सकती है, क्योंकि अगर अमेरिका ने गंभीरता से इन प्रतिबंधों पर अमल करना शुरू किया तो चीन का पूरा वित्तीय ढांचा ढह सकता है और चीन को अमेरिका के डॉलर सिस्टम से भी धक्के मारकर बाहर निकाला जा सकता है।
इसे समझने के लिए सबसे पहले अमेरिकी प्रतिबंधों को समझना होगा! अगर किसी भी व्यक्ति पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो अमेरिका में उस व्यक्ति की सारी संपत्ति को कब्जे में ले लिया जाता है। इसके साथ ही जो भी व्यक्ति या संस्था उस व्यक्ति को कोई वित्तीय सुविधा प्रदान करती है, तो उस संस्था पर भी अमेरिकी प्रतिबंध लगने का खतरा मंडराता रहता है। Hong-Kong मामले में अमेरिकी सरकार चाहे तो प्रतिबंधित व्यक्तियों को वित्तीय सुविधा प्रदान करने वाले चीनी बैंकों पर भी प्रतिबंध लगा सकती है, और यही अभी चीन की सबसे बड़ी चिंता बन गयी है!
अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित व्यक्ति चीनी बैंकों के जरिये ही वित्तीय लेन-देन करते हैं। ऐसे में चीन से पहले ही चिढ़ा ट्रम्प प्रशासन इन 11 लोगों पर लगे प्रतिबंधों की आड़ में चीन के प्रमुख बैंकों पर भी प्रतिबंध लगा सकता है। उदाहरण के लिए चीन के कुछ बैंक्स जैसे The bank of China, China Construction Bank, China Merchants Bank, The Industrial and Commercial Bank of China और The Agricultural Bank of China पर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है। चीन के लिए समस्या यह है कि ये bank चीन से बाहर भी ऑपरेट करते हैं, और इन बैंकों में 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग है। अमेरिकी प्रतिबंध लगते ही इन बैंकों से ये डॉलर छिन जाएंगे और इन बैंकों को डॉलर सिस्टम से भी बाहर निकाला जा सकता है।
अमेरिका अक्सर अपने प्रतिबंधों की आड़ में प्रतिबंधित व्यक्तियों को सुविधा प्रदान करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाता रहता है। उत्तर कोरिया, रूस और वेनेजुएला के मामले में वह ऐसा कर चुका है। अगर चीन पर भी अमेरिका वही ट्रिक अपनाता है, तो डॉलर सिस्टम से चीन को बाहर भी फेंका जा सकता है।
वैश्विक व्यापार में अभी डॉलर का ही बोलबाला है, चीन ने पिछले कुछ सालों में अपने युआन को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने की कोशिश की है, लेकिन ये कोशिशें असफल ही साबित हुई हैं। ऐसे में चीन अगर डॉलर सिस्टम से बाहर होता है, तो उसके लिए व्यापार करना भी दूभर हो जाएगा। उसके बाद चीन के पास सिर्फ barter trade करने का विकल्प ही बचेगा।
अमेरिका-चीन के रिश्ते पहले ही बेहद खराब चल रहे हैं। ट्रेड वॉर के बाद अब अमेरिका चीन को वैश्विक सप्लाई चेन से बाहर करने की योजना पर काम कर रहा है। चुनावों से पहले ट्रम्प प्रशासन चीन को घुटनों पर लाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका चीन के खिलाफ इस कदर सख्त एक्शन ले सकता है। अमेरिका का ये कदम चीन की रीढ़ की हड्डी तोड़ने के लिए काफी होगा। इसमें चीन की कंपनियों को भी कुछ हद तक नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन बेशक वह चीन को होने वाले नुकसान से तो कम ही होगा!
वैश्विक डॉलर सिस्टम से बाहर फेंके जाने के बाद चीन का दुनिया पर राज करने के सपने हमेशा के लिए मिट्टी में मिल जाएगा! आज अगर किसी देश को वैश्विक व्यापार में धाक जमानी है, तो उसे डॉलर का सहारा लेना ही पड़ेगा! हालांकि, अब ट्रम्प अपने एक कदम से चीन की अर्थव्यवस्था की बर्बादी को सुनिश्चित कर सकते हैं!