‘गंगा एक्सप्रेसवे पर काम शुरू’, अब आर्थिक मंदी से राज्य को उबारने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देगी योगी सरकार

वुहान वायरस के कारण दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ऐसे में कुछ राज्यों ने इस संकट से उबरने के लिए इनफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना शुरू कर दिया है, और इनमें अग्रणी है योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की सरकार। हाल ही में योगी सरकार ने 594 किलोमीटर लंबी गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण प्रक्रिया में तेज़ी लाने का निर्णय है।

किसी भी समृद्ध राज्य के लिए दुरुस्त इनफ्रास्ट्रक्चर बहुत अहम माना जाता है, और यही इनफ्रास्ट्रक्चर आगे चलकर किसी भी प्रकार के संकट से निपटने में बहुत काम आता है। योगी सरकार इस बात को भली भांति जानती है, और इसीलिए उन्होंने वुहान वायरस से उत्पन्न हुए आर्थिक संकट को अपने लिए अवसर के रूप में मानते हुए गंगा एक्सप्रेसवे के जरिये इनफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने पर ज़ोर दिया है।

परंतु यह गंगा एक्सप्रेसवे है क्या? इसके निर्माण से उत्तर प्रदेश को क्या फ़ायदा पहुंचेगा? दरअसल, 2019 में योगी सरकार ने अर्धकुम्भ मेले के दौरान ये घोषणा की थी कि वह मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने हेतु 594 किलोमीटर लंबी गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण सुनिश्चित करवाएँगे। अपने वादे के अनुरूप योगी सरकार ने इस समय गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण प्रक्रिया में तेज़ी लाने का निर्णय है, और निर्माण पूरा होने पर ये 12 से अधिक जिलों को एक साथ जोड़ने में सहायता करेगा।

ये प्रोजेक्ट 15 वर्षों से लंबित है, पर अब और नहीं। UPIDA के सीईओ अवनीश अवस्थी ने कहा कि हमने एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए खुली अंतर्राष्ट्रीय बोलियों को आमंत्रित करने का फैसला लिया है। राज्य सरकार चालू वित्त वर्ष में एक्सप्रेस-वे पर काम शुरू करने और इसे 2023 तक इसे जनता को सौंपना चाहती है।  उन्होंने आगे बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सरकार ने पूर्वी यूपी से पश्चिमी यूपी के 12 जिलों को जोड़ने वाले राज्य के सबसे लंबे एवं छे लेन से आठ लेन तक विस्तार करने की क्षमता वाले, सभी सुविधाओं से लैस गंगा एक्सप्रेसवे पर काम शुरू किया था

यह एक्सप्रेस-वे मेरठ में शंकरपुर गांव के पास एनएच-235 से शुरू होगा और प्रयागराज जिले में सोरांव के पास एनएच-330 पर खत्म होगा। सरकार ने परियोजना के लिए 37,350 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिसमें से 9,500 करोड़ रुपये भूमि के अधिग्रहण और बाकी के 24,091 रुपये निर्माण कार्यों पर खर्च किए जाएंगे। गंगा एक्सप्रेस-वे की सबसे अनूठी बात यह है कि यह लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे के माध्यम से राज्य में अन्य एक्सप्रेस-वे को जोड़ेगा।

जिस समय विश्व भर की अर्थव्यवस्था आर्थिक संकट से जूझ रही है, उस समय भारत में जिस प्रकार से इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है, वो अपने आप में काफी सराहनीय है। इससे राज्य में रोजगार बढ़ेगा, लोगों की आमदनी होगी। योगी सरकार ने इस दिशा में विशेष रूप से निवेश बढ़ाते हुए ये सिद्ध किया है कि उनके लिए बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर बहुत मायने रखता है।

Exit mobile version