हाल ही में अमेरिका द्वारा UAE,बहरीन और इजरायल के बीच कराये गए शांति समझौते से जुड़े साझा बयान में एक clause ऐसा भी है, जिसके कारण experts अब इस बात का अनुमान लगा रहे हैं कि इसके कारण भविष्य में अरब देशों और इजरायल के बीच बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है। फिलिस्तीन और क़तर जैसे देश तो अभी से उस clause को लेकर विवाद खड़ा करना शुरू कर चुके हैं। उनका कहना है कि बड़ी ही चतुराई से अमेरिका-इजरायल ने शांति समझौते में इस clause को शामिल कर लिया है जिसके कारण मुस्लिमों के लिए बेहद पवित्र धार्मिक स्थल अल-अक्सा मस्जिद के परिसर में अब यहूदी भी प्रार्थना कर सकेंगे।
13 अगस्त को अमेरिका-इजरायल और UAE के बीच हुए शांति समझौते के संबंध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जारी बयान में लिखा हुआ था “शांति स्थापित करने के मकसद से मुसलमान शांतिप्रिय तरीके से अल-अक्सा मस्जिद में प्रार्थना कर सकेंगे। इसके अलावा यरूशलम के अन्य सभी धार्मिक स्थल सभी धर्मों के लोगों के लिए खुले रहेंगे।” इस बयान के आखिरी हिस्से को लेकर ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कट्टरपंथी लोग और कई NGO अब इस बात को उठा रहे हैं कि बयान में जान-बूझकर हरम-अल-शरीफ शब्द की जगह अल-अक्सा मस्जिद शब्द का प्रयोग किया गया है, क्योंकि इजरायल अल-अक्सा को हरम-अल-शरीफ का सिर्फ एक हिस्सा मानता है। ऐसे में शांति समझौते के मुताबिक यहूदी लोग अल-अक्सा मस्जिद में तो नहीं जा पाएंगे, लेकिन वे 14 हेक्टेयर यानि 35 एकड़ ज़मीन पर फैले अल-अक्सा के परिसर या कहिए हरम-अल-शरीफ में प्रवेश कर प्रार्थना कर सकेंगे।
बता दें कि 1967 में इजरायल द्वारा हरम-अल-शरीफ को स्वायत्ता दी गयी थी और वहाँ यहूदियों के प्रवेश को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था। इस हिस्से की ज़िम्मेदारी वक्फ बोर्ड के पास ही है। लेकिन अब इस बोर्ड से जुड़े लोगों को डर सता रहा है कि इजरायल धीरे-धीरे उनसे उनकी स्वायत्ता छीनने की कोशिश कर रहा है। पिछले दिनों ही इजरायल ने बिना वक्फ की इजाजत के “सुरक्षा” कारणों का हवाला देकर हरम-अल-शरीफ के दोनों ओर loudspeakers लगा दिये थे, जिसका वक्फ ने काफी विरोध किया है।
इस मस्जिद को Judaism में सबसे ज़्यादा पवित्र स्थल Temple Mount के ऊपर बनाया गया था। इसे राजा Sulayman द्वारा बनाया गया था। यहाँ पर बने पहले धार्मिक केंद्र को Babylonians द्वारा 586 BC में ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद 70 AD में बने दूसरे धार्मिक केंद्र को भी रोमन लोगों द्वारा तोड़ दिया गया था। इसके बावजूद भी यह स्थल यहूदियों के लिए अहम धार्मिक केंद्र बना हुआ है। वहीं मुस्लिमों के लिए यह धार्मिक स्थल दुनिया में तीसरा सबसे ज्यादा पवित्र स्थल माना जाता है।
आज हजारों मुस्लिम अल-अक्सा मस्जिद में प्रार्थना करते हैं, जबकि यहूदी श्रद्धालू Western Wall पर प्रार्थना करते हैं। यहूदी मानते हैं कि Western Wall 70AD में ध्वस्त किए गए मंदिर का ही अवशेष है।
बहरीन और UAE, दोनों शांति समझौते से जुड़े संयुक्त बयानों पर सहमति जता चुके हैं, लेकिन अभी यह निश्चित नहीं है कि क्या दोनों देश इस अहम clause पर भी अपनी सहमति जता चुके हैं या नहीं! अमेरिका-इजरायल ने हरम-अल-शरीफ और अल-अक्सा जैसे शब्दों में हेर-फेर कर अरब देशों को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है, लेकिन अभी इतना साफ है कि इजरायल भविष्य में इसे अपने पक्ष में इस्तेमाल करके हरम-अल-शरीफ में यहूदियों के प्रवेश को वैध करार दे सकता है। यही कारण है कि हमें अभी से कुछ कट्टरपंथियों और तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों से इस समझौते को लेकर कड़ी आलोचना सुनने को मिल रही है।