तकनीक और टेलीकॉम के बाद, अब भारत एक और बड़े सेक्टर पर से चीन के उपर निर्भरता को समाप्त करने की योजना बना चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने फार्मा और अन्य रसायनों के क्षेत्र से चीन को बाहर निकालने के लिए तैयार हो चुका है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार रसायनों के आयात के लिए चीन पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से केंद्र की मोदी सरकार फार्मास्यूटिकल्स, कीटनाशकों और अन्य महत्वपूर्ण औद्योगिक उपयोग में इस्तेमाल होने वाले कुछ प्रमुख रसायनों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना लाने की योजना बना रही है।
हाल की बैठकों के दौरान रसायन विभाग ने लगभग 75 महत्वपूर्ण रसायनों की पहचान की है और सूची में और अधिक जोड़े जाने की संभावना है। प्रोत्साहन योजना के प्रस्ताव में इंसेंटिव के रूप में 10% उत्पादन मूल्य की पेशकश शामिल है। प्रस्ताव के अनुसार, इस योजना में अगले पाँच वर्षों में 25,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इस प्रस्ताव से ना सिर्फ देश में रसायनों का उत्पादन बढ़ेगा बल्कि चीन पर से निर्भरता भी समाप्त हो जाएगी। भारत आज के दौर में 1.5 लाख करोड़ रुपये के रसायनों का आयात करता है, जिसमें से लगभग 85-90% तो सिर्फ चीन से आता है। इन रसायनों का उपयोग active pharmaceutical ingredients यानी API, कीटनाशक और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं के निर्माण में किया जाता है।
रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा गया है कि रसायन दवाइयों सहित कई उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले आवश्यक उत्पाद हैं। उन्होंने कहा कि, “जब हमने फार्मा API के निर्माण के लिए पहले ही एक PLI योजना शुरू की, तब हमने महसूस किया कि कुछ प्रमुख रसायन हैं – जो अभी भी चीन से आयात किए जा रहे हैं और वे इन API के निर्माण में आवश्यक हैं। इसलिए, यह सरकार यह प्रस्ताव ले कर आ रही है जिससे चीन से निर्भरता ही समाप्त हो जाए। रसायन विभाग ने इस मामले पर एक समिति का गठन किया है और पीएलआई योजना के लिए अंतिम प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में ले जाने से पहले व्यय विभाग को प्रस्तुत किया जाएगा।
गलवान घाटी में चीन के हमले के बाद भारत चीन की अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा चुका है। भारत ने कई प्रमुख चीनी ऐप्स जैसे टिकटॉक और PUBG को बैन कर चीनी कंपनियों को तगड़ा झटका दिया था वहीं देश के लगभग सभी क्षेत्रों में चीनी सामान का बहिष्कार अपने उग्र रूप में है। चीन ने भारत के बढ़ते डिजिटल बाजार का फायदा उठाने के लिए इन apps का इस्तेमाल किया और खूब धन कमाया। अकेले टिक-टॉक भारत में 600 मिलियन से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है तो वहीं UC Browser भी 13 प्रतिशत का मार्केट शेयर ले कर बैठा था। यही नहीं,सरकार ने कई चीनी कंपनियों के टेंडर भी रद्द कर दिये और टेंडर के लिए कड़े नियम बनाए जिससे चीनी कंपनियाँ भारत में बिजनेस कर ही न सके।
पूरी दुनिया अभी चीन को सप्लाई चैन से बाहर कर रही है। एक तरफ अमेरिका ने हुवावे को बैन कर गर्त में धकेल दिया है जिससे यह कंपनी अब बंद होने के कगार पर पहुंचने वाली है। भारत ने भी लगातार चीन की अर्थव्यवस्था पर प्रहार किया है। अब भारत सरकार एक और योजना लाई है जिसके तहत चीन को औषधीय और रसायन के उद्योग से भी बाहर किया जाएगा। भारत पहले से ही फार्मा जगत में अपना वर्चस्व बनाए हुए है और अब इन रसायनों के लिए चीन पर से निर्भरता समाप्त होने के बाद भारत निर्यात भी करना शुरू कर सकता है और इस क्षेत्र में वैश्विक ताकत बन कर उभर सकता है।