ट्रम्प प्रशासन ने जिस प्रकार पिछले कुछ सालों में चीन के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ा है, उसने अमेरिका की दिग्गज़ कंपनियों को भी चीन विरोधी रुख अपनाने पर विवश कर दिया है। पर एक-दो ऐसी कंपनियाँ है जो चीन की चाटुकारिता करने से बाज नहीं आए लेकिन फिर भी चीन समय-समय पर उन्हें दुलत्ती देता रहता है। इनमें से Apple और Tesla का नाम सबसे ऊपर आएगा।
अमेरिका और चीन के बीच तनाव के बाद भी टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क ने चीन को लुभाने के लिए वहाँ के लोगों को “स्मार्ट” और “मेहनती लोगों” कह कर खूब प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि “मेरी राय में चीन बेहतरीन देश है। चीन में ऊर्जा अधिक है। वहां के लोग – स्मार्ट, मेहनती लोग हैं और वे वास्तव में entitled नहीं हैं, और वे आत्मसंतुष्ट भी नहीं हैं।“
यही नहीं चीन ने पिछले साल मस्क को टेस्ला की शंघाई फैक्ट्री के लिए लगभग 1.5 बिलियन डॉलर का ऋण दिलाने में मदद की थी। कोरोना महामारी के कारण मैनुफेक्चुरिंग बंद होने के बाद स्थानीय चीनी सरकार ने भी परिचालन में सामान्य स्थिति में लौटने के लिए टेस्ला का समर्थन किया था।
The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार Tesla ने ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया था, जिसका उद्देश्य चीन से आयातित कुछ हिस्सों पर लगाए गए “गैरकानूनी” टैरिफ को समाप्त करना है। बावजूद इसके अब चीन की सरकार ने चीन में Tesla की प्रतिद्वंद्वी कंपनी Xpeng Motors को सरकारी इनवेस्टमेंट कंपनी Guangzhou GET Investment Holdings Co., Ltd, की ओर से 586 मिलियन डॉलर की financing करने का समझौता किया है जिसके बाद उसे Xpeng Motors को अपने दूसरे प्लांट को स्थापित करने में मदद मिलेगी। बता दें कि Xpeng चीन में टेस्ला का एक मजबूत प्रतिद्वंदी मनी जाती है जो अपने Electronic Vehicles निर्माण के क्षेत्र में पाँव जमा रही है। यही नहीं Xpeng Motors ने चीन में free supercharging policy को लेकर Tesla के वर्चस्व को चुनौती दिया था। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तरफ Tesla चीन को खुश करने के नए नए हथकंडे अपना रहा है लेकिन चीन अन्य प्रतिद्वंदी चीनी कंपनियों को मदद कर Tesla को ही दुलत्ती दे रहा है।
Tesla के अलावा Apple भी चीन की चाटुकारिता करने से बाज़ नहीं आ रही है और उसके लिए भी अब भी विश्व के हितों से ज़्यादा महत्वपूर्ण उसके निजी आर्थिक हित हैं। Apple के CEO Tim Cook और CCP के बीच के रिश्ते भी काफी मजबूत माने जाते हैं। वर्ष 2019 में टिम को बीजिंग की शिंघुआ यूनिवर्सिटी की सलाहकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। इतना ही नहीं, खुद टिम कई बार चीन के पक्ष में हैरानी भरे बयान भी दे चुके हैं। वर्ष 2019 में ही Apple ने Hong-Kong के लोकतन्त्र-समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही दो apps को अपने app स्टोर से हटा दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में Apple ने हाल ही में अपने App Store से 47 हज़ार apps को डिलीट किया है। इन apps को चीनी सरकार से मंजूरी नहीं मिली हुई थी, लेकिन apple store पर ये उपलब्ध थीं। इनमें से अधिकतर gaming apps थीं।
चीनी सरकार समय-समय पर Apple की बाज़ू मरोड़ती रहती है। इसी प्रकार वर्ष 2016 में चीनी सरकार ने Apple से चीन में अपना ibookstore और itunes movie स्टोर बंद करने को कहा था। चीन में Apple ने तब छः महीने पहले ही इस सुविधा को लॉन्च किया था। बावजूद इसके चीन ने Apple को दुलत्ती मारते हुए अमेरिका में भी WeChat बैन होने के बाद चीन ने एप्पल को बैन करने की धमकी दी थी। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि Apple शुरू से ही चीनी सरकार के इशारों पर नाचती आई है।
चीन के बड़े बाजार के कारण अमेरिका की बड़ी कंपनियों में से एक एप्पल और Tesla किसी भी स्थिति में चीन के विरोध में कोई कदम नहीं उठाती। इसका उद्देश्य है कि किसी भी प्रकार से चीन की सरकार को प्रसन्न रखा जाए जिससे चीन का मार्केट इसके हाथों से न निकले। फिर भी समय समय पर चीनी सरकार इन कंपनियों को अपने इशारे पर नचाने के लिए दुलत्ती देती रहती है। ऐसा लगता है कि अपने आर्थिक मुनाफे के लिए इन दोनों कंपनियों ने अपनी आत्मा को बेच दिया है और शी जिनपिंग के चरणों में लोट रहे हैं।