पैंगोंग त्सो क्षेत्र में PLA की दम भर कुटाई होने के बाद चीन ने आम नागरिकों को अपनी ढाल बनाना शुरू कर दिया है

यहाँ भी मुंह की खाएगा चीन

चीन

लद्दाख में चीनी सेना को बार-बार मुंह की खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। पहले 15 जून को खूनी संघर्ष में चीनी सेना को अपने जवान खोने पड़े, इसके बाद 29-30 अगस्त की रात को भी भारतीय सेना ने चीनी सेना द्वारा पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण में आक्रामकता दिखाये जाने का मुंहतोड़ जवाब दिया। अब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 7 सितंबर को भी पैंगोंग झील के आसपास चीनी सेना ने LAC पार करने की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने विफल कर दिया। बॉर्डर पर बार-बार मुंह की खाने वाला चीन कुंठित होकर अब कायरतापूर्ण रणनीति अपनाने पर मजबूर हुआ है। इस कड़ी में चीन ने ऐलान किया है कि, वह पैंगोंग झील को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए खोलने जा रहा है।

कोरोना की स्थिति और इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए शायद ही कोई अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक पैंगोंग झील पर अपनी छुट्टी बिताने आए। ऐसे में माना जा रहा है कि, पर्यटन का बहाना बताकर चीनी सेना अपने आम नागरिकों को पैंगोंग झील जैसी संवेदनशील जगह पर भेजकर अपने लिए भारतीय सेना के खिलाफ लड़ाई को आसान करना चाहती है। जिस प्रकार पैंगोंग झील के क्षेत्र में भारत और चीनी सेनाओं के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है, उससे यह तो स्पष्ट है कि स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है और हमें भारत और चीन के बीच एक छोटे स्तर का युद्ध देखने को मिल सकता है। ऐसे में आम नागरिकों का ऐसी जगह पर आना उनके लिए बेहद घातक साबित हो सकता है।

पैंगोंग झील को पर्यटकों के लिए खोलकर चीनी सेना उनका इस्तेमाल एक shield की तरह कर सकती है। यहाँ तक कि उनकी आड़ में चीनी सेना सैन्य कार्रवाई भी कर सकती है। Civilians की आड़ में चीनी सेना LAC पार घुसपैठ और भारत-विरोधी Covert operations को भी अंजाम दे सकती है। ऐसे में भारत-चीन के संघर्ष के दौरान अगर स्थिति बिगड़ने पर किसी civilian की जान चली जाती है, तो इससे ना सिर्फ चीन को भारत के खिलाफ एक मुहिम चलाने का मौका मिल जाएगा, बल्कि इसकी मदद से वह अपने नागरिकों में राष्ट्रवाद की भावना को भी भड़का सकेगा। लगता है कि चीन ने अपने “all weather ally” से यह तकनीक सीखी है, क्योंकि अक्सर आमने-सामने की लड़ाई में पीठ दिखाकर भागने वाला पाकिस्तान भी कश्मीर में आतंक फैलाने और घुसपैठियों को मदद पहुंचाने के लिए इसी तरह की तरकीब अपनाता है।

चीनी सेना को यह अहसास हो गया है कि, वह भारत के खिलाफ चाहकर भी कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकती। भारत ने पहले ही पैंगोंग की ऊंची चोटियों को अपना कब्जे में ले लिए है। चीन की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसके रक्षा मंत्री को भारत के रक्षा मंत्री से मुलाक़ात करने के लिए मिन्नतें करनी पड़ रही हैं। अपनी ऐसी हालत देखकर भारतीय सेना पर बढ़त बनाने के लिए अब चीनी सेना ने नया तरीका खोज निकाला है। पाकिस्तान के मोर्चे पर भारतीय सेना को दुश्मन की ऐसी चालबाजी से निपटने की आदत है। ऐसे में चीन को अपने इस नए कदम से ज़्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए। बॉर्डर पर आक्रामकता का उसे अंजाम भुगतना ही होगा।

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