सर्दियों में तैनाती के लिए भारतीय सेना LAC पर पूरी तैयारी कर चुकी है, उधर चीनी बच्चे लगभग सरेंडर कर चुके हैं

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पिछले चार महीनों से चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना ने आक्रामकता दिखाने के बाद लद्दाख में कंपा देने वाली ठंड के दौर में सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। लद्दाख-तिब्बत सीमा पर अभी भी चीन और भारत के बीच गतिरोध को देखते हुए ही ये कदम उठाया गया है। गौर करने की बात ये भी है कि मास्को में हुए शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के नेताओं की उच्च स्तरीय बातचीत के बाद चीनी पक्ष सरेंडर की स्थिति में आ गया है।

खबरों के मुताबिक मास्को शिखर सम्मेलन के बाद से चीन द्वारा लद्दाख-तिब्बत क्षेत्र में किसी तरह की आक्रमक गतिविधि नहीं हुई है जिस कारण जानकार इसे चीन की सरेंडर नीति भी बता रहे हैं। उनका मानना है चीन अब बैकफुट पर है और वो इस पूरे मामले में भारत के हाथों घिरता दिख रहा है। यही चीन शिखर सम्मेलन से पहले लगातार पैंगोग के इलाकों में 100-200 शॉट्स फायर कर रहा था जबकि अब स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गई है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष से मास्को में बातचीत के दौरान साफ कह दिया था कि सीमा पर हो रही आक्रमकता के लिए पीपल्स लिबरेशन आर्मी जिम्मेदार है जो लगातार भारत में घुसपैठ की कोशिशें कर रही है वहीं, रक्षामंत्री भारतीय संसद में इस मुद्दे पर चीन को उसके किए हुए कुकर्मों से रूबरू करा चुके हैं।

इस मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात कर गतिरोध कम करने के लिए पांच सूत्री कार्यक्रम के प्रस्ताव का समर्थन किया है। इन स्थितियों की बदौलत ही अब भारत चीन को खामोश करने में सक्षम हुआ है।

चीन अभी शांत है…पर बाद का पता नहीं। इसीलिए भारतीय सेना ने पूरे इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। सैन्य तैनाती तो पहले से ही ज्यादा है जिनकी संख्या करीब 20-30 हजार है। हालांकि, इसको लेकर सेना कोई आधिकारिक बयान नहीं दे रही है। लेकिन ठंड के मौसम को देखते हुए चीन के धोखाधड़ी वाले बहुचर्चित रवैए को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए सेना ने इस‌ इलाके में चीन द्वारा किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए करीब डेढ़ लाख टन से अधिक बम,बारूद, हथियार और युद्धक सामग्री समेत सैनिकों के भोजन के लिए संसाधन और ईंधन एकत्र कर लिए हैं। इस बाबत सेना की 14वीं कोर के चीफ मेजर जनरल अरविंद कपूर ने कहा है कि भारतीय सेना ने क्षेत्र में अपनी जरूरत से कहीं ज्यादा जरूरी सामग्री जुटा ली है जिससे ठंड के मौसम में आपरेशन के दौरान किसी भी चीज की कमी नहीं होगी।

भले ही चीन इस इस मोर्चे पर शांत है और बीजिंग भी सरेंडर की मुद्रा में दिख रहा है। लेकिन भारतीय सेना अपनी प्लानिंग में किसी भी तरह का झोल नहीं करना चाहती है। इस पूरे इलाके में ठंड के खतरनाक मौसम के दौरान हमेशा की तरह ही चीन भारतीय सेना के समक्ष अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा कर सकता है। इसीलिए भारतीय सेना सभी परिस्थितियों का विश्लेषण करके सीमा पर सजग है क्योंकि चीन के सरेंडर मुखौटे के पीछे शातिर दिमाग भी लिए हुए है।

 

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