विरोध पर केंद्रित राजनीति हमेशा ही विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करती है। ऐसा ही महाराष्ट्र में हाइपरलूप प्रोजेक्ट के साथ हुआ और सरकार बदलते ही वो योजना ठंडे बस्ते में चली गई। लेकिन उसी हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के प्रोजेक्ट को कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है। जिससे लोगों का सफर में बर्बाद होने वाला समय बचेगा और देश विकास के नए मानक स्थापित करते हुए हाइपरलूप का प्रयोग करने वाले विश्व के अग्रणी राष्ट्रों की सूची में शामिल होगा।
दरअसल, रविवार को वर्जिन हाइपरलूप और बैंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के बीच कैम्पेगौड़ा एयरपोर्ट से बैंगलौर के लिए प्रस्तावित हाइपरलूप प्रोजेक्ट पर विस्तृत अध्ययन के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिससे यात्रियों को एक बड़ी राहत मिलेगी। इस मामले में कंपनी की ओर से बयान भी आया है कि “हायपरलूप के निर्माण से केम्पेगौड़ा हवाई अड्डे और बैंगलोर सिटी सेंटर के बीच की दूरी केवल 10 मिनट में तय की जा सकेगी।”
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट पर रविवार को कंपनी के सीईओ सुल्तान अहमद बिन सुलेयम और कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी टीएम विजय ने हामी भरते हुए हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। जिसे एक बहुत अधिक बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं कर्नाटक सरकार द्वारा कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए सस्ती, तेज और बेहतरीन परिवहन व्यवस्था को हमारा पूरा समर्थन मिलेगा।
कंपनी ने बताया कि हाइपर लूप के इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने से पहले गहन अध्ययन की आवश्यकता है जिसमें करीब 6 महीने का वक्त लगेगा। वही इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद हजार यात्रियों को बैंगलोर सिटी सेंटर से एयरपोर्ट ले जाने में मात्र दस मिनट का समय लगेगा। इसकी रफ्तार करीब 1,080 किलोमीटर /घंटे की होगी जो पलक झपकते ही हवा से बातें करेगी।
क्या है हाइपरलूप तकनीक
गौरतलब है कि हाइपर लूप तकनीक परिवहन के क्षेत्र में बेहद क्रांतिकारी साबित हो सकती है। इसमें स्टील के एक बड़े ट्यूब में एक पॉड हवा के दबाव के अनुसार चलता है और इसके जरिए ही लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। सामान्य भाषा में इसे एक चुम्बकीय ट्रैक के रूप में भी देखा जा सकता है। हाइपर लूप को टेस्ला मोटर्स के सीईओ एलन मास्क की देन माना जाता है जो भविष्य में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है क्योंकि हजारों किलोमीटर का इसके जरिए बेहद कम समय में पूरा किया जा सकता है जिसमें यात्रियों की सहूलियत का भी खास ख्याल रखा जाता है।
फडणवीस का था प्रोजेक्ट
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस प्रोजेक्ट को लगाने के लिए जुटे हुए थे। उन्होंने मुंबई से पुणे के बीच घंटों के समय को मिनटों में तय करने के लिए हाइपर लूप प्रोजेक्ट को सहमति देने की तैयारियां भी कर लीं थी और अध्यन के बाद ये माना जा रहा था कि 2024 तक ये प्रोजेक्ट खत्म हो जाएगा। लेकिन देश में कई बड़े प्रोजेक्ट्स की तरह ही सरकार बदलने के साथ राजनीतिक एजेंडे के कारण नए मुख्यमंत्री ने इस पूरे प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
महाराष्ट्र के वित्त मंत्री अजीत पवार ने इसको लेकर कहा, “हाइपरलूप प्रोजेक्ट का अभी तक विश्व में कहीं भी इस्तेमाल नहीं हुआ है। इसलिए एक बार ये पहले कहीं विश्व में सफल हो जाता है तो हम इसे आजमाने के बारे में सोच सकते हैं।” ये बयान ही उनकी संकुचित और उदासीन सोच को दिखाता है कि वो नया काम करने के लिए तैयार ही नहीं थे और हुआ भी वही, प्रोजेक्ट का महाराष्ट्र में कोई अता-पता नहीं है।
इन सबसे इतर कर्नाटक सरकार ने इस ओर कदम बढ़ाकर फडणवीस की तरह ये दिखाया कि हम नई तकनीक को सबसे पहले आजमाने में नहीं हिचकेंगे जिससे विकास कार्यों को अधिक मजबूती मिलेगी।