अमेरिका और चीन के बीच जंग अब वाणिज्यिक दूतावासों को बंद करने की स्थिति तक पहुंच गई है। अमेरिका अब न्यू यॉर्क में चीनी दूतावास पर ताला लगा सकता है। आरोप है कि इन दूतावासों के जरिए चीन अमेरिका में जासूसी का षड्यंत्र रचता। हाल ही में ह्यूस्टन के चीनी दूतावास को बंद किया जा चुका है। ऐसे में चीनी जासूसी कांड के नए खुलासे के बाद संभावनाएं हैं कि ह्यूस्टन की तरह ही अमेरिकी प्रशासन एक बार फिर न्यू यॉर्क में चीनी दूतावास को बंद करके चीन को झटका दे सकता है।
दरअसल, न्यू यॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एक NYPD पुलिस ऑफिसर को चीनी सरकार के लिए जासूसी करने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। जिसके बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा, “न्यू यॉर्क में चीन मुख्य रूप से अपने वाणिज्यिक दूतावास का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ जासूसी करने के लिए कर रहा है।” पॉम्पियो ने अभी और भी चीनी राजनायिकों की गिरफ्तारी की संभावनाएं जताई हैं। उन्होंने कहा, “वो सामान्य कूटनीतिक गतिविधियों की सीमाओं को लांघते हुए संवेदनशील काम कर रहे थे जो कि केवल एक जासूस ही करता है।” पॉम्पियो ने पिछले हफ्ते अफसरों की गिरफ़्तारी और न्यायिक स्तर पर चल रहे कई मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि आगे भी ऐसे खुलासे होते रहेंगे रहेंगे।
इसके अलावा एक वक्तव्य के दौरान अमेरिकी खूफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक ने चेतावनी दी कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और अधिकारी इस वक्त काफी सक्रिय हैं और अमेरिका में प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। उन्होंने कहा, “कम्युनिस्ट पार्टी अपने अभियान में अमेरिकी अधिकारियों और स्थानीय लोगों को अपना निशाना बना रही है और वो पिछले कुछ वर्षों में सक्रिय होने के बाद तेजी से काम कर रहे हैं।” गौरतलब है कि जुलाई में आई एक रिपोर्ट में स्टेट डिपार्टमेंट ने पुष्टि की थी कि दो दर्जन से ज्यादा शहरों में कम्युनिस्ट पार्टी अपने अंडर कवर एजेटों और छात्रों के जरिए जासूसी कराती है जिसमें सैन फ्रांसिस्को और न्यू यॉर्क के चीनी दूतावासों को मुख्य अड्डा चिन्हित किया गया था।
पहरे भी हुई कार्रवाई
इससे पहले भी अमेरिका ह्यूस्टन के चीनी दूतावास को ताला लगा चुका है। उस दौरान विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस (Morgan Ortagus) ने कड़े शब्दों में कहा था, “हमने अमरीकियों की बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी की रक्षा करने के उद्देश्य से PRC (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन) के ह्यूस्टन के महावाणिज्य दूतावास को बंद करने का निर्देश दिया है।” इसके अलावा एफबीआई मुखिया क्रिस्टोफर व्रे ने भी अपने एक बयान में कहा था, “चीन अमेरिका में इतनी बड़ी मात्रा में Intellectual जासूसी कर रहा है कि वो अब सच में एतिहासिक है।”
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अमेरिका में छात्रों और व्यापारियों के जरिए जासूसी करवाती है जिसके जवाब में अमेरिका चीनी छात्रों के खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध पाए जाने पर बेहद सख्त कार्रवाई कर रहा है। अमेरिका लगातार ऐसे चीनी नागरिकों और छात्रों का भंडाफोड़ कर रहा है जो वहां जासूसी कर रहे हैं। ऐसा ही एक केस जुआन टेंग का है जिस पर चीनी सेना से जुड़े होने की बात छिपाने का आरोप लगा। अमेरिका चीनी दूतावास की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई तो नहीं कर पाया। लेकिन जब हद पार हुई तो ह्यूस्टन दूतावास पर ताला लगा दिया गया। कुछ ऐसा ही अब न्यू यॉर्क के इस जासूसी वाले चीनी दूतावास के साथ भी होने की खबरे सामने आ रही हैं। क्रिस्टोफर व्रे ने पहले ही कहा था कि यह घटनाएँ मेरे देश के लिए एक बहुत बड़े खतरे के समान है, क्योंकि इससे न सिर्फ हमारी बौद्धिक संपत्ति, अपितु हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी खतरे में आ सकती है।
अमेरिका में ह्यूस्टन दूतावास पर ताला लगने के बाद चीन इस जंग में पिछड़ता दिखा तो शेर के सामने उसने भी गीदड़ वाली चाल ही चली थी। चीन ने अपने यहां अमेरिका के 6 दूतावासों में से उस एक Chengdu दूतावास को बंद किया जहां से अमेरिका को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। तिब्बत क्षेत्र में आने वाला ये दूतावास बेहद छोटा है। अपने इस कदम से चीन ने हीरो बनने की कोशिश में गीदड़ों वाला काम करते हुए अपनी भद्द पिटवा ली और ये साबित हो गया कि यूएस के खिलाफ कार्रवाई करने से चीन कितना डरता है। वहीं बात अगर ह्यूस्टन की करें तो 2013 तक सिर्फ ग्रेटर ह्यूस्टन में 72,320 चीनी मूल के लोग रहते थे, अब यह संख्या कहीं अधिक हो गई है जो ये साबित करता है कि इस कदम से झटका केवल चीन को ही लगा है।
अमेरिका और चीन के बीच तल्खियां इतनी ज्यादा हो गई कि अमेरिका अब पूरी दुनिया से चीन को अलग-थलग करना चाहता है। इस एजेंडे पर अमेरिका का रुख दिखाता कि वो चीन को अब दुश्मन देश की तरह ही देखता है जिससे रिश्ते रखने में उसे कोई खास रुचि नहीं है। ऐसे में अब अगर अमेरिका न्यू यॉर्क के चीनी दूतावास को भी बंद करता है तो ये चीन के लिए एक बेहद चिंताजनक बात होगी।