लगता है प्रशांत भूषण का बुरा समय अभी खत्म नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट से दुलत्ती खाने के बाद अब बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने भी उनके विरुद्ध गैर पेशेवर व्यवहार के लिए मुकदमा चलाने का मन बना लिया है। कहा जा रहा है कि, सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध अपमानजनक ट्वीट्स करने के पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया चाहता है कि, प्रशांत भूषण के विरुद्ध मुकदमा चलाया जाये।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक विशेष वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष सतीश देशमुख ने प्रशांत भूषण के मामले को संज्ञान में लिया और दिल्ली बार काउंसिल को निर्देश दिया कि प्रशांत भूषण के मामले का विश्लेषण किया जाए। उन्होंने कहा कि, उचित साक्ष्य मिलने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की व्यवस्था की जाये।
जिस प्रकार से बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष ने दिल्ली बार काउंसिल को आदेश दिये हैं, उससे स्पष्ट पता चलता है कि, प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध वो अपमानजनक ट्वीट्स कर न केवल न्यायपालिका की प्रतिबद्धता पर आरोप लगाया था, बल्कि अधिवक्ताओं की प्रतिष्ठा पर भी एक गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया था।
बता दें कि प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, एसए बोबड़े द्वारा बाइक पर बैठकर फोटो खिंचवाने पर एक आपत्तिजनक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर न्याय की आवाज़ को दबाने का आरोप लगाया। इसके अलावा उन्होंने रामजन्मभूमि परिसर के भूमि पूजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर ‘लोकतन्त्र की हत्या’ में ‘हाथ बंटाने’ का आरोप भी लगाया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना का मुकदमा चलाया, जिसमें प्रशांत को दोषी पाते हुए उन्हें 3 महीने की कारावास या 1 रुपये का जुर्माना भरने के विकल्प दिये। जिसके बाद वो 1 रुपये का जुर्माना चुकाकर पतली गली से खिसक लिए।
हालांकि प्रशांत भूषण के तेवर में तनिक भी बदलाव नहीं आया है। उन्होंने फिर केंद्र सरकार को खरी खोटी सुनाते हुए सरकार को ‘कुटिलता का प्रतीक’ बताया। दबी ज़ुबान में उन्होंने सरकार पर न्यायालय को नियंत्रित करने का आरोप भी लगाया। ऐसे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अनुशासनात्मक कारवाई न केवल स्वाभाविक है, बल्कि प्रशांत के अपराधों को देखते हुए आवश्यक भी है।