भारत ने वैश्विक स्तर पर चीन को घेरने के लिए ब्रिक्स समूह के तीन देशों का एक नया समूह(IBSA) बनाया है जिसके मुद्दे तो मुख्य रूप से ब्रिक्स से ही मिलते हैं। लेकिन उद्देश्य केवल चीन को वैश्विक स्तर पर उसकी हैसियत बताना है। भारत द्वारा बनाए गए इस ग्रुप में ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश है जिनका भारत के साथ बेहतरीन कूटनीतिक रिश्ता है। ऐसे में भारत के इस कदम से चीन की बेइज्जती का रोडमैप फिर तैयार हो गया है जिस पर आगे चलकर न केवल भारत काम करेगा बल्कि ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका उसका साथ भी देंगे।
IBSA में हैं तीन देश
भारत ने एक नया ग्रुप IBSA बनाया है जिसमें ब्रिक्स के दो देश ब्राजील और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस समूह के अन्य देशों के समकक्षों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और बाद में एक साझा बयान भी दिया है जिसमें क्लाइमेट कंट्रोल से लेकर व्यापार, कोरोनावायरस के रोकथाम समेत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधारों की बात की गई है। इस वर्चुअल मीटिंग में ब्राजील के उप मंत्री एंबेसडर फैबियो मारजानो और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री मौजूद थे। इस बैठक में तीनों देशों के बीच संयुक्त रूप से महिलाओं को मंच देने, क़ृषि सहयोग, शहरी विकास पर चर्चा और आईटी सहयोग को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर सहमति बनी है।
चीन को किया गेट आउट
जब पहले से ही ये दोनों देश ब्रिक्स में शामिल थे तो फिर अलग से नया ग्रुप बनाने का काम क्यों? इसको लेकर रणनीतिकार भारत की चीन को अलग-थलग करने की चाल देख रहे हैं। चीन के खिलाफ माहौल तैयार करने के लिए ही इस समूह को अधिक अहमियत दी गई है। कुछ इसी तरह भारत ने पाकिस्तान को सार्क में अलग-थलग कर सार्क देशों का ग्रुप बिम्सटेक बनाया था जिसमें पाक के आतंक का काला साया नहीं है।
भारत के साथ रूस
भले ही चीन के अलावा ब्रिक्स देशों का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्र रूस इसमें नहीं है। लेकिन चीन को अलग-थलग करने की नीति में रूस भारत के ही साथ खड़ा दिखाई देता है। वहीं चीनी सरकार का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स दबे मुंह अब रूस को भी धमकियां देने लगा है जो ये दिखाता है कि रूस भी चीन से नाराज़ है। भारत के इस पूरे खेल में वो ब्राजील, रूस दक्षिण अफ्रीका के साथ चीन को साइड लाइन करने की नीति पर काम शुरू हो चुका है।
इन देशों में से भारत और ब्राजील पहले ही चीन से निकले कोरोनावायरस के कारण उससे बुरी तरह नाराज हैं। ये दोनों देश इससे अधिक प्रभावित भी हैं। वहीं भारत में लगातार इंडो-तिब्बत सीमा विवाद पर चीन का रवैया भारत सरकार को खटक रहा है। ऐसे में भारत का ये नया कूटनीतिक जाल चीन के लिए एक और नई मुसीबत खड़ी करेगा। वहीं इससे वैश्विक स्तर पर चीन का शर्मसार होना एक बार फिर तय है।