जब से भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देना शुरू किया है, चीन पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुका है। चाहे गलवान घाटी की कुटाई हो, या फिर पैंगोंग त्सो के दक्षिणी छोर पर भारतीय सेना के स्पेशल फ़्रंटियर फोर्स के हाथों की गई धुनाई हो, चीन ने हर मोर्चे पर भारत से मात खाई है, और इसीलिए वह अब अपने कुख्यात Hostage Diplomacy के नीति पर उतर आई है।
बताया गया है कि पीएलए के सैनिकों 5 अरुणाचली युवकों को जंगल में शिकार करते वक्त पकड़ लिया था और अब उन्हें बंदी बनाके रखा है। ये 5 अरुणाचली युवक एलएसी के निकट एक जंगल में शिकार करने गए थे जब पीएलए के सैनिकों ने इनका अपहरण कर लिया था। इस गुट में से दो लोग किसी तरह बच कर वापिस आने में कामयाब रहे और उन्होंने इस बारे में जानकारी दी थी।
मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और खेल मंत्री एवं अरुणाचल प्रदेश से सांसद किरेन रिजिजू ने सूचित किया कि पांचों लापता युवक ढूंढ लिए गए हैं। उनके ट्वीट के अनुसार, “चीन के पीएलए ने हमारे हॉटलाइन के मैसेज का जवाब दिया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि अरुणाचल प्रदेश से गायब युवक उनके यहाँ मिले हैं। उनके हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है” –
China's PLA has responded to the hotline message sent by Indian Army. They have confirmed that the missing youths from Arunachal Pradesh have been found by their side. Further modalities to handover the persons to our authority is being worked out.
— Kiren Rijiju (मोदी का परिवार) (@KirenRijiju) September 8, 2020
Hostage diplomacy चीन के लिए रोज़ी रोटी का काम करती है। इससे पहले भी टीएफ़आई पोस्ट ने इस विषय पर प्रकाश डाला था, जब चीन ने इस प्रक्रिया को ऑस्ट्रेलिया के पत्रकारों पर इस्तेमाल करने की नीयत से काम कर रहा था। चीन के इरादों का पता लगते ही ऑस्ट्रेलिया ने तुरंत अपने पत्रकार, बिल बर्टल्स और माइक स्मिथ को सकुशल बाहर निकलवाने का प्रबंध करवा लिया, और जल्द ही दोनों पत्रकार चीन से सकुशल बाहर निकल आए।
जहां चीन और उसके पीएलए सैनिक भारत के नागरिकों का अपहरण करने के बाद हेकड़ी दिखा रहे हैं, तो वहीं भारतीय सेना ने मानवता पर अडिग रहते हुए गायों और याक के एक झुंड को सम्मान सहित चीन को लौटाया। इसमें कोई दो राय नहीं कि बॉर्डर पार से आए पशुओं को जासूसी के लिए उपयोग में लाया जाता हो, परंतु भारत चीन को ऐसा कोई भी बहाना नहीं देना चाहता जिसके बल पर वे भारत के विरुद्ध किसी भी प्रकार का प्रोपगैंडा सफलतापूर्वक चला सके।
जिस प्रकार से चीन ने अपनी Hostage Diplomacy का इस्तेमाल भारत पर करने का प्रयास किया, उससे स्पष्ट पता चलता है कि किस प्रकार से भारत के चीन के सबसे संवेदनशील पक्ष पर प्रहार किया है। ग्लोबल टाइम्स अब केवल हालात का रोना रोता है, और काँग्रेस से चीन को बचाने की गुहार भी लगता है। अपने आप को ड्रैगन के रूप में दिखाने को प्रयासरत चीन अब केवल कागजी ड्रैगन बनकर रह चुका है, जो अपनी बात मनवाने के लिए निर्दोष नागरिकों का अपहरण करने पर उतर आया है।