“ये सेना है या जोकरों का Band”, भारतीय सेना के हथियार देखकर Loud Speaker पर पंजाबी गाने बजाने लगे चीनी

“फोन तां चकले साड्डा वे PLA Sorry कैन्नी आं”

चीनी सेना

कहते हैं की मनोवैज्ञानिक युद्ध में चीन का पलड़ा अक्सर भारी रहा है। लेकिन पिछले एक महीने में उनकी यही विशेषता पूरी तरह फुस्स साबित हुई है। अब स्थिति तो यह हो गई है कि चीनी सेना को भारतीय सैनिकों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने के लिए पंजाबी गानों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। जी हाँ, पंजाबी गानों का।

दरअसल, चीनी सेना की दशकों पुरानी लाउडस्पीकर नीति के अंतर्गत एलएसी पर फिंगर 4 क्षेत्र में लाउडस्पीकर लगाए गए हैं, जिनपर आजकल पंजाबी गाने बजाए जा रहे हैं। ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, “चीन ने यह कदम भारतीय सेना की मुस्तैदी को देखते हुए उठाया है, ताकि सैनिकों का ध्यान भंग किया जा सके। भारतीय सेना फिंगर-4 के नजदीक ऊंची पहाड़ियों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना ने जिस पोस्ट पर लाउडस्पीकर लगाए हैं, वह भारतीय सैनिकों की 24×7 निगरानी में है।”

कहाँ चीन के मनोवैज्ञानिक युद्धशैली की मिसालें दी जाती थी, और कहाँ उसे पंजाबी गाने लाउडस्पीकर पर बजाकर भारतीयों का ध्यान भटकाना पड़ रहा है। मजे की बात तो यह है कि यह वही चीनी है, जो कुछ महीने पहले तक पंजाब के निवासी, विशेषकर सरदारों की खिल्ली उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे, और आजकल उन्हें  भारतीयों को ‘डराने’ के लिए पंजाबी गानों का ही उपयोग करना पड़ रहा है।

सच कहें, तो जब से चीन ने गलवान घाटी पर हमला करने की भूल की है, भारतीयों ने उसके कथित शौर्य और सैन्यबल की हवा निकाल के रख दी है। जिस प्रकार से close combat में भारतीय सैनिकों ने चीनियों के हमले में तांडव मचाया, उसका असर ऐसा हुआ कि आज भी चीन गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों की वास्तविक संख्या बताने से कतरा रहा है। इसके अलावा जिस प्रकार से पैंगोंग त्सो के दक्षिणी छोर पर चीन ने हमला करने का प्रयास किया है , वो उसी पर भारी पड़ गई, क्योंकि भारत ने न केवल उस हमले को विफल किया, अपितु रणनीतिक रूप से अहम रेकिन घाटी के काला टॉप फीचर को चीन के कब्जे से मुक्त भी कराया।

इसके अलावा चीन गलवान घाटी के हमले के पश्चात भारत को डराने के लिए जो भी दांव खेल रहा है, वो सभी अंत में फुस्स सिद्ध हो रही है। उदाहरण के लिए चीनी मीडिया ने दावा किया कि गलवान घाटी के हमले के पश्चात उनके सैनिकों को ट्रेनिंग देने के लिए एमएमए यानि Mixed Martial Art विशेषज्ञों को नियुक्त किया जाएगा। लेकिन ये दांव उल्टा पड़ गया, क्योंकि सबको समझ में आ गया था कि गलवान घाटी में असल नुकसान किसका हुआ था, जिसके लिए MMA विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ी थी।

इसके अलावा ग्लोबल टाइम्स अखबार के प्रमुख संपादक हू शीजिन ने एक वीडियो पोस्ट की, जिसमें उन्होंने चीनी प्रशासन का गुणगान करते हुए दिखाया कि कैसे चीनी सेना को सभी प्रकार की सुविधाएं मिल रही है, जिसमें ड्रोन से गरमागरम खाना भी डिलीवर किया जा रहा है। इसका निशाना स्पष्ट रूप से भारतीय सेना थी, जिसे हू शीजिन ने अपने ट्वीट में स्पष्ट भी किया। लेकिन यहाँ भी चीन का पोपट बना, क्यों भारतीय सेना, जो पहले से ही हर संकट के लिए तैयार थी, इस वीडियो से तनिक भी विचलित नहीं हुई। लेकिन हू शीजिन की दाद देनी पड़ेगी, वीडियो भी उसी दिन यानि 11 सितंबर को प्रकाशित की, जिस दिन 53 वर्ष पहले सिक्किम के नाथू ला मोर्चे पर भारतीय सैनिकों ने चीनियों की जमकर कुटाई की थी।

चीनियों द्वारा लाउडस्पीकर पर पंजाबी गाने बजाने की नीति से स्पष्ट पता चलता है कि उनमें और पाकिस्तानियों में कोई विशेष अंतर नहीं है, सिवाय सरकारी विचारधारा की। चीन अपने आप को जितना शक्तिशाली बनाने का दावा करता है, उसके सैनिक उसी दावे को तार तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसी को कहते हैं ‘चौबे जी चले छब्बे जी बनने, दूबे जी बनके लौटे।”

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