पहले से घिरे तुर्की के सामने और बड़ी मुश्किलें खड़ी करने के लिए अमेरिका भी अब आगे आया है और उसने तुर्की के सबसे कट्टर दुश्मनों में से एक साइप्रस पर से दशकों पुराने प्रतिबंधों को कुछ समय के लिए हटा दिया है। इन प्रतिबंधों के कारण साइप्रस हथियार नहीं खरीद सकता था। हालांकि, जिस प्रकार साइप्रस लगातार भू-मध्य सागर में तुर्की की विस्तारवादी नीतियों का शिकार बना है, उसके कारण अब अमेरिका ने इस देश पर से इन प्रतिबंधों को दिया है, जिसके बाद साइप्रस अपनी सुरक्षा के लिए “कम खतरनाक सुरक्षा उपकरण” खरीद सकेगा।
बता दें कि तुर्की ने हिंसक आक्रामकता दिखाते हुए वर्ष 1987 में साइप्रस के दो टुकड़े कर दिये थे और उसके उत्तरी इलाके पर उसने आज भी कब्जा किया हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने साइप्रस के राष्ट्रपति को जानकारी देने के लिए खुद फोन किया कि अमेरिका ने साइप्रस पर से प्रतिबंधों को हटाने का फैसला लिया है। इतना ही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता Morgan Ortagus ने यह भी कहा है कि अमेरिका साइप्रस द्वीप को दोबारा एक होते देखना चाहता है।
अमेरिका साइप्रस सरकार को लगातार शक्तिशाली बनाने पर काम कर रहा है। जुलाई महीने में ही अमेरिका ने कहा था कि वह साइप्रस के साथ मिलकर क्षेत्र में एक सैन्य अभ्यास करने पर भी विचार कर रहा है, जिसने तुर्की का पारा सांतवे आसमान पर चढ़ा दिया था। साइप्रस के राष्ट्रपति Nicos Anastasiades भी दोनों देशों की सुरक्षा साझेदारी को लेकर सकारात्मक रुख दिखा चुके हैं।
ज़ाहिर सी बात है कि अमेरिका-साइप्रस के मजबूत होते रिश्तों और अमेरिका द्वारा साइप्रस पर से प्रतिबंध हटाने के फैसले ने तुर्की को बौखलाने पर मजबूर कर दिया है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि “अमेरिका का यह फैसला क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरनाक साबित होगा।’’
अभी साइप्रस का उत्तरी इलाका यानि “Northern Cyprus” तुर्की के कब्जे में है। तुर्की नहीं चाहता कि अमेरिका की सहायता से साइप्रस इस हिस्से को वापस हथियाने में कामयाब हो जाये, क्योंकि इससे इस द्वीप पर तुर्की का प्रभाव पूरी तरह खत्म हो जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय “Northern Cyprus” को तुर्की का हिस्सा नहीं मानता है। ऐसे में अमेरिका और साइप्रस की बढ़ती साझेदारी “Northern Cyprus” से हमेशा-हमेशा के लिए तुर्की के कब्जे को समाप्त कर सकती है। अभी दुनिया में इकलौता तुर्की ही ऐसा देश है जो “Northern Cyprus” को तुर्की का हिस्सा मानता है। CYPRUS द्वीप के इस उत्तरी इलाके में तुर्की की नीतियों का ही पालन होता है।
अभी तुर्की, ब्रिटेन और ग्रीस CYPRUS के गारंटर हैं, और इनमें से तुर्की लगातार इस द्वीप देश को अस्थिर करने की धमकी देता रहता है। तुर्की के अधिकारी बार-बार यह दावा करते हैं कि उन्हें उत्तरी CYPRUS की सुरक्षा करने का पूरा अधिकार है, जिसका मतलब यह है कि कल को तुर्की CYPRUS में आक्रामकता दिखाकर CYPRUS का और ज़्यादा हिस्सा अपने कब्जे में कर सकता है। तुर्की यह पहले ही कह चुका है कि अगर White House CYPRUS को लेकर लिए गए अपने हालिया फैसले को नहीं बदलता है, तो तुर्की Northern Cyprus की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक बड़े कदम उठा सकता है।
अभी तुर्की पहले ही ग्रीस, इजरायल, फ्रांस , रूस और UAE जैसी बड़ी ताकतों से घिरा है। भूमध्य सागर में तुर्की और ग्रीस के बीच सीधा विवाद चल रहा है। अब CYPRUS भी तुर्की के विस्तारवाद के खिलाफ खड़ा होना चाहता है। CYPRUS EastMed Pipeline Deal का भी एक हिस्सा है, जिसका मकसद Gas को इजरायल से साइप्रस और ग्रीस से होते हुए यूरोप पहुंचाना है।
तुर्की लीबिया में हस्तक्षेप कर फ्रांस और अमेरिका को परेशान कर चुका है, तो वहीं सीरिया में उसके हस्तक्षेप ने रूस को नाखुश किया है। भू-मध्य सागर में तुर्की की हरकतों के कारण पूरा यूरोप उसके खिलाफ खड़ा हो गया है और उसे प्रतिबंधों की धमकी दे रहा है। यानि तुर्की अपनी करतूतों के कारण उस क्षेत्र में पहले से ही घिरा हुआ है। अब अमेरिका द्वारा प्रतिबंध हटाने के बाद CYPRUS भी तुर्की के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करने वाला है।