“अपना बाज़ार दुनिया के लिए खोलो” यूरोप-चीन की लड़ाई अंतिम पड़ाव में पहुँच चुकी है और यूरोप चीन को झुकाकर ही मानेगा

करो या मरो मुक़ाबले में चीन का हारना तय नज़र आ रहा है...

यूरोप

सितंबर 14 को यूरोप और चीन की एक वर्चुअल समिट होने वाली है और इससे ठीक पहले बीजिंग में मौजूद यूरोपियन राजनयिकों और European Chamber of Commerce के अध्यक्ष ने चीन को चेतावनी जारी कर दी है। चेतावनी में साफ़ कहा गया है कि EU के साथ व्यापार और निवेश संधि करने का चीन के पास यह आखिरी मौका है। बता दें कि पिछले करीब 6 सालों से दोनों पक्ष व्यापार संधि को लेकर बातचीत कर रहे हैं, और अब तक इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। चीन अपने बाज़ार को दुनिया और EU के लिए खोलने पर राज़ी नहीं हो रहा है, इसी वजह से अब तक कोई डील नहीं हो पाई है।

EU चाहता है कि चीन द्वारा उसकी कंपनियों को मिलने वाली रियायतों और सब्सिडी पर रोक लगा दी जाये, ताकि EU में कंपनियों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का माहौल बन सके। हालांकि, इस बात के आसार बेहद कम ही हैं कि पूंजीवादी मॉडल का पालन करने वाला चीन ऐसा करने के लिए राजी होगा। इसके बाद अब यूरोप के राजनयिक चीन के खिलाफ आक्रामक हो गए हैं। चीन में मौजूद EU के राजदूत ने Nicolas Chapuis ने चीन को घेरते हुए कहा “हमें सच्चाई और वादों के बीच की खाली जगह को भरना होगा। यूरोप में हुवावे के पास 40 प्रतिशत मार्केट शेयर है, जबकि यूरोप की Nokia और Ericson के पास चीन में सिर्फ 11 प्रतिशत मार्केट शेयर ही है”।

साथ ही साथ EU चाहता है कि चीन फार्मा, genetics और बन्दरगाहों से जुड़े सेक्टर्स में ज़्यादा से ज़्यादा FDI को अनुमति दे दे, ताकि EU की कंपनियाँ इन सेक्टर्स में निवेश कर सकें, लेकिन चीन यहाँ FDI की अनुमति नहीं देता है, क्योंकि वह इन्हें “रणनीतिक दृष्टि से अहम सेक्टर मानता है। Chapuis ने इस मुद्दे पर चीन को घेरते हुए कहा “एक तरफ आप कहते हैं कि WHO में आप स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देंगे, दूसरी तरफ आप genetics और फार्मा सेक्टर में विदेशी निवेश को मंजूरी भी नहीं देते हैं, यह आप कैसे कर सकते हैं”।

Chapuis के साथ-साथ EU chamber of commerce के अध्यक्ष Joerg Wuttke ने भी चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि EU के साथ डील करने का चीन के पास यह आखिरी मौका है। उन्होंने कहा कि EU अब चीन के खोखले बहकावे में नहीं आएगा और वे चीन को लेकर एक श्वेत पत्र जारी करेंगे जिसमें वे चीन के लिए 800 सिफ़ारिशें जारी करेंगे। अब चीन के पास दो ही विकल्प हैं, या तो वह इन 800 बिन्दुओं पर काम कर EU को संतुष्ट करे, या फिर वह EU के साथ किसी ट्रेड डील के सपने को भूल जाए।

बातचीत की मेज़ पर अब EU का पलड़ा भारी है, और इसके कारण वह अपनी शर्तों को और कड़ा करते जा रहा है। चीन अभी किसी भी हालत में किसी ब्लॉक या किसी देश के साथ ट्रेड डील करना चाहता है, ताकि वैश्विक स्तर पर उसे थोड़ी राहत मिल सके। ट्रेड डील के साथ ही EU की बड़ी मार्केट चीन के लिए खुल जाएगी। हालांकि, EU लगातार चीन से अपने व्यापार करने के तरीकों में बदलाव की मांग कर रहा है, जो कि चीन जैसे देश के लिए काफी संवेदनशील मुद्दा है।

Joerg Wuttke ने उदाहरण के साथ चीन द्वारा EU की कंपनियों पर लगे व्यापारिक प्रतिबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ग्रीस में चीन की एक कंपनी ने एक पोर्ट खरीदा है, जिसके माध्यम से वह कंपनी पूरे यूरोप में अपने सामान को पहुंचा पाती है, लेकिन कोई EU की कंपनी चीन में ऐसा पोर्ट खरीदकर यही काम नहीं कर सकती। चीन की कंपनी यूरोप में एक law फ़र्म खोल सकती है, लेकिन EU की कंपनी चीन में ऐसा नहीं कर सकती।

स्पष्ट हो गया है कि अब EU चीन के पाखंड को और नहीं सहने वाला। वर्ष 2016 में अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन के आने के बाद अमेरिका और EU के बीच थोड़ी दूरियाँ बढ़ी हैं, लेकिन इस वर्ष के चुनावों में अगर Biden की जीत होती है, तो अमेरिका और EU की विदेश नीति में दोबारा समानता देखने को मिलेगी, जिसके बाद EU-चीन की ट्रेड डील होना बेहद मुश्किल हो जाएगा। समय अभी शी जिनपिंग के खिलाफ चल रहा है, और अगर वे अभी EU के साथ कोई व्यापार संधि final नहीं कर पाते हैं, तो वे हमेशा-हमेशा के लिए EU को खो देंगे।

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