हाल ही में एक अहम निर्णय में राफेल की अतिरिक्त फाइटर जेट्स की डिलिवरी समय से पूर्व भारत में सुनिश्चित की गई है। अभी वर्तमान में आए हुए राफेल जेट्स आधिकारिक तौर पर आज भारतीय वायुसेना में शामिल होने वाले हैं और इस शुभ अवसर पर फ्रांस की रक्षा मंत्री स्वयं भारत आ चुकी हैं। आधिकारिक तौर से ये फ्लोरेन्स का तीसरा भारत दौरा है, और वुहान वायरस की महामारी फैलने के पश्चात पहला भारत दौरा है। इस दौरे में फ्लोरेन्स अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से मुलाक़ात करेंगी ।
फ्रेंच दूतावास ने फ्लोरेन्स के दौरे के परिप्रेक्ष्य में एक अहम बयान जारी करते हुए कहा, “फ्रेंच रक्षा मंत्री का भारत दौरा एक अहम दौरा है, जिसका प्रमुख उद्देश्य फ्रांस की भारत के साथ रक्षा साझेदारी को सशक्त बनाना है, जो एशिया में फ्रांस का सबसे अहम रणनीतिक साझेदार है। ये बात फ्रेंच दूतावास ने यूं ही नहीं कही है, बल्कि इसके पीछे एक बहुत खास कारण है।
दरअसल, फ्रांस यूरोप पर से चीन के प्रभाव को हटाना चाहता है, और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को चीन के वर्चस्व से अमेरिका की भांति ही मुक्त रखना चाहता है। इसीलिए इम्मैनुएल मैक्रोन के नेतृत्व में फ्रांस भारत से अपने संबंध और अधिक सुदृढ़ बना रहा है। इतना ही नहीं, फ्रांस ने हर कदम पर पिछले एक वर्ष में भारत का पुरजोर समर्थन किया है। जब भारत के वीर सैनिकों पर चीन ने जून में गलवान घाटी में घात लगाकर हमला किया था, तब फ्रांस उन चंद देशों में शामिल था, जिसने सबसे पहले इस घटना की निंदा की, और तत्काल प्रभाव से हमले में वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सैनिकों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि जताई।
इतना ही नहीं, ये फ्लोरेन्स पार्ली ही थी, जिनहोने फ्रांस द्वारा भारतीय सैनिकों के परिवारों को सांत्वना देने के अलावा भारत आने की भी इच्छा जताई थी। जुलाई में उन्होने आधिकारिक तौर पर बयान जारी करते हुए कहा, “ये सैनिकों, उनके परिवारों और देश के लिए बहुत बड़ा आघात है। ऐसे संकट की घड़ी में मैं अपने देश की ओर से और पूरी फ्रांस सेना की ओर से इन सैनिकों के परिवारों के प्रति अपनी सांत्वना प्रकट करती हूँ।” इसके अलावा फ्लोरेंस पार्ली ने भारत आने की भी इच्छा जताई है, और ये भी भरोसा दिलाया है कि फ्रांस आवश्यकता पड़ने पर भारत को हरसंभव सहायता देगा।
फ्लोरेन्स पार्ली का भारत दौरा चीन और पाकिस्तान के लिए भी एक कड़े संदेश के बराबर है। यह फ्रेंच दूतावास के आधिकारिक बयान से भी स्पष्ट झलकता है, जिनहोने कहा, “भारत और फ्रांस की रक्षा मंत्रियों के बातचीत में मेक इन इंडिया प्रोग्राम के अंतर्गत औद्योगिक एवं तकनीकी साझेदारी, सक्रिय रक्षा सहयोग [विशेषकर हिन्द प्रशांत क्षेत्र में], आतंक रोधी ऑपरेशन में सहयोग इत्यादि शामिल होंगे।”
यहाँ पर हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना इस बात का परिचायक है कि फ्रांस चीन के वर्चस्व को तोड़ने के लिए भारत की हरसंभव सहायता करने को तैयार है। भारत की मांग पर फ्रांस ने समय से पहले राफेल फाइटर जेट्स की पहली खेप भेजने को भी अपनी स्वीकृति दी है। इतना ही नहीं, इकोनॉमिक टाइम्स की की रिपोर्ट की माने तो फाइटर जेट्स के लिए उपयोग में लाने जाने वाले एयर टू एयर एवं एयर टू ग्राउन्ड मिसाइल्स समय से पहले भेजने को तैयार भी हो चुकी हैं।
इसके अलावा फ्रांस राफेल जेट्स समय से पहले भेजेगा, जिससे उन्हें युद्ध में उतारने में अधिक आसानी होगी, क्योंकि METEOR और SCALP जैसे अत्याधुनिक मिसाइल्स, जो आम तौर पर फ्रांस की वायुसेना के लिए आरक्षित थे, अब राफेल जेट्स के साथ भारत भेजे जायेंगे। इससे भारत को बहुपक्षीय युद्ध लड़ने में और अधिक आसानी होगी, क्योंकि जब चीन पर आंच आएगी, तो भला उसका पालतू पाकिस्तान चुप रहेगा?
ऐसे में फ्लोरेन्स पार्ली ने अपने आगामी भारत दौरे से एक तीर से दो शिकार किए हैं। एक ओर उन्होंने भारत के साथ अपनी साझेदारी को और सशक्त किया, तो दूसरी ओर चीन और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश भेजा है – ज़्यादा होशियारी की आवश्यकता नहीं, क्योंकि फ्रांस सब देख रहा है। फ्रांस ने भी ये स्पष्ट कर दिया है कि इस युद्ध में वह किसका साथ दे रहा है। ऐसे में अब भारत न केवल चीन से दो कदम आगे चल रहा है, और यदि चीन नहीं सुधरा, तो उसके एक गलत कदम से उसका पूरा प्रभुत्व मिट्टी में मिलना तय है।