किसानों को APMC, व्यापारियों, नौकरशाहों, और राजनेताओं के दुष्चक्र से मुक्त करने के लिए तीन कृषि बिलों को पारित करने के बाद अब केंद्र सरकार ने देश में मैनुफेक्चुरिंग को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में सुधार करने का निर्णय लिया है।
पहले विभिन्न केंद्रीय श्रम कानून मिला कर 40 से अधिक की संख्या में थे अब सरकार ने उन्हें चार प्रमुख भाग या कोड में बांटने का फैसला किया है। ये चार कोड मजदूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति है। इससे यह कानून श्रमिकों और कंपनियों दोनों के लिए अधिक सरल हो सकेगा।
सरकार इन चार में से मजदूरी कोड को पिछले कार्यकाल में पारित करने में सफल रही थी, लेकिन बाकी बिल संसदीय समितियों के पास थे, जिन्होंने पिछली लोकसभा के कार्यकाल समाप्त होने के आखिरी क्षण में रिपोर्ट दी थी जिस कारण से वे पारित नहीं हो सके थे।
अब, सरकार ने उन बिलों को वापस ले लिया है और उनके स्थान पर नए बिल को पेश किया है, जिसमें संसदीय समितियों द्वारा दी गयी सिफ़ारिशों को भी शामिल किया गया है। सरकार ने श्रम सुधारों को पूरा करने के लिए लोकसभा में तीन नए बिल पेश किए हैं- औद्योगिक संबंध कोड बिल 2020, सामाजिक सुरक्षा विधेयक 2020 कोड और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता विधेयक 2020।
अगर ये विधेयक कानून के रूप में लागू होते हैं, तो देश के श्रम बाजार में कई मूलभूत सुधार देखने को मिलेगा। ये कानून कंपनियों को श्रमिकों को औपचारिक नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को तोड़ने में मदद करेंगे। इसके अलावा, अगर किसी कंपनी में 300 से कम कर्मचारी हैं तभी कोई कंपनी सरकारी मंजूरी के बिना श्रमिकों को नौकरी से निकाल सकता है।
इससे कंपनियों को अनुबंधित लोगों के बजाय अधिक से अधिक औपचारिक श्रमिकों यानि फॉर्मल कर्मचारियों को काम देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस परिणाम यह होगा कि अगर औपचारिक श्रमिकों का प्रदर्शन सही नहीं रहा तो उन्हे नौकरी से भी निकाला जा सकता है।
केंद्र सरकार के नए विधेयकों का प्रभाव बाकी राज्यों में भी देखने को मिलेगा, कम से कम भाजपा शासित राज्यों में। केंद्र सरकार ने इन विधेयक के लिए मंत्रालयों और औद्योगिक निकायों से व्यापक रूप से परामर्श किया है और उनके सभी मुद्दों को समायोजित किया गया है, इस कारण से राज्य सरकार इन विधेयकों में मामूली बदलाव कर राज्य में भी कानून बना सकते हैं।
श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा, “हमने तीन कोड में श्रम समिति की 234 सिफारिशों में से 174 को शामिल किया है और इन्हें फिर से पेश किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस विधेयक के लिए नौ त्रिपक्षीय परामर्श और 10 अंतर-मंत्रालयी परामर्श आयोजित किए।
श्रम कानूनों को सरल बनाने के सरकार के प्रयासों का देश के औद्योगिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और Ease of doing Business में देश की रैंकिंग बढ़ेगी। इसके अलावा, ऐसे समय में जब वैश्विक सप्लाइ चेन में बदलाव हो रहा है और पश्चिमी देश चीन को बाहर करने की कोशिश कर रही है, लचीला श्रम कानून से चीन छोड़ने वाली कंपनियाँ भारत की ओर आकर्षित होंगी।
अब तक, चीन से बाहर जाने वाली कंपनियाँ वियतनाम, थाईलैंड, और कंबोडिया जैसे दक्षिण पूर्व देशों का रुख कर रही थी और सस्ते श्रम और एक बड़ा बाजार होने के बावजूद भारत में बेहद कम कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई। इसका कारण था जटिल श्रम कानून। लेकिन अब नए श्रम कानून से भारत की स्थिति बेहतर होगी और देश में व्यवसाय करना आसान हो जाएगा।
श्रम कानूनों का यह समय बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने हाल ही में चीन से सप्लाइ चेन को स्थानांतरित करने के लिए ‘economic prosperity network’ का प्रस्ताव रखा है। इससे भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे मित्र देश के बीच आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। केंद्र सरकार का यह नया श्रम कानून भारत को नई वैश्विक सप्लाइ चेन के सबसे मजबूत स्तंभ के रूप में उभरने में मदद करेगा जिससे भारत विश्व का फैक्ट्री बन पाएगा।