शारीरिक हमलों, गुंडागर्दी और मारपीट के जवाब में धरने पर बैठकर हरिवंश नरायण सिंह ने लोकतंत्र के Fake चैम्पियंस की पोल खोल दी

लोकतन्त्र किसे कहते हैं, ये विपक्ष से नहीं, राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर से समझिए

हरिवंश

राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नरायण सिंह को जिस तरह से 8 अमर्यादित सांसदों ने सदन में अपमानित किया और बाद में निलंबन पर लोकतंत्र बचाने की फर्जी नौटंकी की, उस पर हरिवंश ने ही एक सांकेतिक चोट कर दी है। धरने पर बैठे इन अमर्यादित सांसदों के लिए हरिवंश सुबह-सुबह चाय लेकर पहुंचे और बताया कि फर्जी छाती पीटने की ड्रामेबाजी के अलावा लोकतंत्र की असल पहचान क्या होती है। उनके इस कदम ने सभी का दिल जीत लिया है।

राज्यसभा में टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह समेत 8 सांसदों ने जिस तरह से क़ृषि बिल को लेकर चर्चा के दौरान हंगामा कर उप-सभापति के सामने रूल बुक फाड़ते हुए माइक तोड़ा, वो किसी को रास नहीं आया। उन्हें निलंबित किया गया तो वो धरने पर बैठ गए। ऐसे में उप-सभापति हरिवंश निजी तौर पर उनके लिए चाय लेकर पहुंचे। उनका ये कदम प्रशंसनीय है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनकी सराहना करते हुए ट्विटर के जरिए कहा, “हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए। लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई।”

 

इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में बिहार से आने वाले हरिवंश के जरिए बिहारी सभ्यता की भी तारीफ की‌ और कहा, ‘बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी। आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है।’

 

विपक्ष हमेशा ही दोगलेपन की नीतियों पर चला है। विपक्षी नेता खुद लोकतांत्रिक मूल्यों को तार-तार कर मुद्दों से इतर केवल खौफ और गुंडागर्दी पर उतारू हो गए हैं। जिसका उदाहरण बंगाल के टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन हैं। बंगाल में सीएम ममता बनर्जी के राज में जिस तरह से भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या टीएमसी के गुंडों द्वारा की जा रही है। कुछ ऐसा ही रवैया राज्यसभा में डेरेक ओ ब्रायन का है। लोकतंत्र की दुहाई देने वाली आम अदमी पार्टी के तीन सासंद हैं। लेकिन इनके नेता संजय सिंह लोकतंत्र के मंदिर में तोड़फोड़ और हंगामा बरपाकर मार्शल गार्ड्स के साथ बदतमीजी करते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने का दम भरते हुए हुए कैमरे में कैद हुए हैं।

विपक्ष के यही नेता हमेशा उप-सभापति हरिवंश नरायण सिंह को समाजवादी नेता बताते थे। जब जेडीयू के यही सांसद सरकार की नीतियों की आलोचना करते थे तो हरिवंश बहुत अच्छे थे। लेकिन जब उप-सभापति के तौर पर क़ृषि बिल पर चर्चा के दौरान इन सांसदों के रवैए पर उनकेे खिलाफ सख्त कार्रवाई हो गई तो हरिवंश नरायण सिंह उन्हें रास नहीं आ रहे हैं। वहीं देश के उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इतने बुरे बर्ताव के बावजूद हरिवंश नरायण सिंह के संयम बरतने पर उनकी तारीफ की। साथ ही कहा कि ये संसद में कभी नहीं हुआ जो कि अशोभनीय है। उन्होंने कहा, ‘मेरी मानों नहीं तो दफा हो जाओ’ वाले विपक्ष के रवैए को स्वीकार नहीं किया जा सकता।’

विपक्ष इस बात से नहीं परेशान है कि संसदीय कार्यवाही में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा, उसे दिक्कत इस बात से है कि अब राज्यसभा में भी मोदी सरकार बिना किसी रुकावट के धड़ाधड़ बिल पास करा रही है क्योंकि एनडीए के घटक दलों समेत बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस तक सरकार के बिलों का समर्थन कर देतीं हैं। सरकार के हिसाब से संसद का क्रियान्वयन होना ही विपसक्ष की हताशा का सबसे बड़ा कारण है।

मोदी सरकार के 6 वर्षीय कार्यकाल में विपक्ष ने संसद को अपनी गंदी राजनीति का अड्डा बना लिया है। जब तक सरकार के पास राज्य सभा में ठीक-ठाक बहुमत नहीं था तब तक तीन-तलाक से लेकर जनहित के कई बिल विपक्षियों ने लटकाए लेकिन अब जब सरकार अपनी नीतियों के तहत घटक दलों के अलावा समर्थन जुटा रही है तो विपक्ष की खीझ उन कुकृत्यों के जरिए निकल रही है जो देश के लोकतंत्रिक और संसदीय इतिहास में कभी नहीं हुए।

अपमानित कर हमला बोलने वाले सांसदों को चाय की पेशकश से हरिवंश नरायण सिंह ने उन असहिष्णुता की बात करने वाले बड़े प्राइम टाइम एंकर्स समेत फेसबुक पोस्ट में गीताज्ञान बांटने वालों तक को ये बताया है कि गांधीगिरी असल में क्या है और जनता को भी संदेश दिया है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करने वाले ये विपक्षी किसी बहरूपिए से कम नहीं है जो अपना उल्लू सीधा करने के लोकतंत्र को रसातल में ले जाने में तनिक भी वक्त नहीं लगाएंगे।

 

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