दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी हुवावे बंद होने वाली है, यानि चीन की Mobile industry का बर्बाद होना तय है

हुवावे के बाद अगला नंबर Xiaomi, Oppo और Vivo का?

हुवावे

(pc - jagran )

वर्ष 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन की “खतरनाक” व्यापार नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाना शुरू किया था। वर्ष 2018 में इसी के कारण अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर शुरू हुई थी, और इसी ट्रेड वॉर में अमेरिका ने चीन की मेगा-टेक कंपनी हुवावे को अपना पहला निशाना बनाया। मई 2019 में ट्रम्प प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिकी कंपनियों पर ऐसी विदेशी कंपनियों से व्यापार करने पर पाबंदी लगा दी, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकती थीं। अमेरिकी सरकार ने अलग से ऐसी विदेशी कंपनियों की सूची जारी की, जिसमें हुवावे का भी नाम शामिल था। इसी के बाद से अमेरिका और हुवावे की आधिकारिक लड़ाई शुरू हुई थी जो कि आज तक जारी है। हालांकि, पिछले महीने अमेरिकी सरकार ने हुवावे के खिलाफ एक ऐसा फैसला लिया है, जो इस कंपनी पर हमेशा-हमेशा के लिए ताले लगा सकता है। अमेरिकी सरकार का यह फैसला इतना बड़ा है कि खुद हुवावे अब सेलफोन निर्माण के बिजनेस को बंद करने पर मजबूर हो सकता है।

दरअसल, मई 2021 में हुवावे के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लेते हुए ट्रम्प प्रशासन ने हुवावे को होने वाले सेमीकंडक्टर एक्स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। ये सेमीकंडक्टर चिप्स फोन निर्माण के साथ-साथ 5G उपकरणों के निर्माण में भी आवश्यक होते हैं। इस प्रतिबंध के बाद हुवावे के Consumer Business के CEO ने कहा था कि अब उनके पास फोन निर्माण के लिए चिप्स की कमी हो गयी है और वे हुवावे के फोन में इस्तेमाल किए जाने वाली किरीन चिप्स का निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। कंपनी की तरफ से यह भी कहा गया कि आने वाला Huawei Mate 40 फोन आखिरी ऐसा फोन होगा जिसमें किरीन चिप्स का इस्तेमाल किया जाएगा। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि हुवावे के पास अगले साल की शुरुआत तक के इस्तेमाल के लिए चिप्स मौजूद हो सकती हैं। इसलिए यहाँ बड़ा सवाल है कि उसके बाद कंपनी का क्या होगा?

हुवावे के खिलाफ रही सही कसर अमेरिका ने पिछले महीने पूरी कर दी। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबुर रॉस ने कहा “अगर किसी भी कंपनी को अमेरिकी सॉफ्टवेयर या अमेरिकी तकनीक से बनी चिप्स को हुवावे को बेचना है, तो उसे पहले अमेरिकी सरकार से लाइसेन्स प्राप्त करना होगा”।

यह हुवावे के लिए बड़ा झटका इसलिए है क्योंकि हुवावे third parties के जरिये अपने लिए chips बनवाने की योजना पर काम कर रहा था। अमेरिका के इस नए कदम के बाद अब कोई भी कंपनी अमेरिकी सॉफ्टवेयर या अमेरिकी तकनीक से बनी चिप्स को चीन से बाहर बनाकर भी हुवावे के साथ व्यापार नहीं कर पाएगी। Financial Times के लिए लिखते हुए एक expert ने यह दावा किया है कि “अमेरिका के इस नए आदेश के बाद हुवावे का मरना तय है। हुवावे के पास अब कोई दूसरा चारा ही नहीं बचेगा”।

यही कारण है कि अब हुवावे वैश्विक मोबाइल मार्केट को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ने पर विवश हो सकता है। हुवावे Apple और Samsung के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है। ऐसे में हुवावे का मार्केट से बाहर होना इन सब के लिए बड़े अवसर पैदा कर सकता है। माना जा रहा है कि कुछ समय के लिए इसका फायदा अन्य चीनी कंपनियों जैसे Xiaomi, Oppo और Vivo को भी हो सकता है, लेकिन जैसे-जैसे चीनी उपकरणों के खिलाफ अभियान को तेजी मिलेगी, वैसे-वैसे भविष्य में बाकी चीनी ब्राण्ड्स भी सरकारों के निशाने पर आ सकते हैं।

Huawei की तबाही से यह ज़रूर स्पष्ट है कि कोई भी कंपनी सरकारों से बड़ी नहीं हो सकती। जो Huawei वर्ष 2017 तक बिना किसी रोकटोक के दिन दोगुनी रात चौगुनी रफ्तार से विकास कर रही थी, आज वर्ष 2020 में वह बंद होने की कगार पर आ पहुंची है। ठीक इसी प्रकार आज भारत में भी Xiaomi, Oppo और Vivo जैसी कंपनियाँ तेजी से अपना बिजनेस बढ़ा रही हैं। ऐसे में चीन से नाराज़ भारत सरकार कब इनके खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दे और कब Xiaomi और Vivo नए Huawei बन जाएँ, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। Huawei की बर्बादी चीन की मोबाइल इंडस्ट्री के लिए बड़ा संदेश लेकर आई है। आने वाले सालों में चीन के टेक सेक्टर के साथ-साथ चीन का मोबाइल उद्योग भी धराशायी हो सकता है, और Huawei से इसकी शुरुआत हो चुकी है।

Exit mobile version