एक-एक कर कई क्षेत्रों पर चीन को झटके देने के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार भारत के खिलौना बाजार को चीन मुक्त बनाने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। पीएम मोदी ने इसके लिए एक देशव्यापी अभियान की शुरुआत अपने “मन की बात” कार्यक्रम से की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के दौरान ‘दुनिया के लिए खिलौने’ बनाने की बात की और भारत को दुनिया का ‘खिलौना केंद्र’ यानी ‘टॉय हब’ बनाने की क्षमता पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा, “हमारे देश में स्थानीय खिलौनों की समृद्ध परंपरा रही है। भारत में कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं जो अच्छे खिलौने बनाने में विशेषज्ञता रखते हैं। भारत के पास पूरी दुनिया के लिए खिलौने बनाकर एक खिलौना हब बनने की भरपूर क्षमता है।“
यानि अब भारत खिलौना निर्माण के मामले में आत्मनिर्भर होने की राह पर चल चुका है। पीएम मोदी ने स्थानीय कारीगरों, कंपनियों और नए स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने की बात कही और देश में बनने वाले खिलौनों की उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता दोनों को कई गुना बढ़ाने पर ज़ोर देते हुए एक क्रांति लाने की बात कही जिससे भारत दुनिया खिलौना केंद्र बन जाएगा।
ये आत्मनिर्भरता भारतीय लोगों में शुरुआती स्तर से ही आ जाए इसलिए नई शिक्षा नीति में भी इसे जगह दी गयी है। इस फैसले का उद्देश्य स्कूली बच्चों में खिलौना बनाने के स्किल और जानकारी बढ़ाने का है। NEP 2020 के तहत खिलौना बनाने वाले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छठी कक्षा से खिलौना बनाने का पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। वहीं स्थानीय खिलौने बनाने जैसे लोक-शिल्पों को Vocational Courses का हिस्सा बनाया जाएगा। इससे इस क्षेत्र में और दक्षता आएगी और भारत में बनने वाले खिलौनों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
नई शिक्षा नीति के तहत, छात्रों को खिलौना निर्माण करने वाले कारखानों और उनकी निर्माण इकाइयों में भी ले जाया जाएगा, जहां वो खिलौनों के इतिहास, उन्हें बनाने के लिए आवश्यक कौशल और बनने की प्रक्रिया से ले कर खिलौना बनाने के लिए जरूरी साधनों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे।
साइट विज़िट के अलावा यह विषय नियमित रूप से सभी प्रकार के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ाया जाएगा। NEP 2020 के तहत, छात्रों को खिलौनों के लिए नए डिजाइन और विचारों उकेरने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे उनके अंदर देश के प्रति गर्व की भावना पैदा हो सके।
Had an extensive meeting on ways to boost toy manufacturing in India. Our focus would be to support the sector and create toys that ensure physical fitness and holistic personality development. https://t.co/5yvLU8Zx22
— Narendra Modi (@narendramodi) August 22, 2020
भारत का खिलौना बाजार 1.7 अरब डॉलर का है, लेकिन इसमें 85-90 प्रतिशत खिलौने चीन से निर्मित होकर आते हैं। उसमें भी वो जो या तो दूसरे देशों से रिजेक्ट हो जाते हैं या उनकी क्वालिटी बेहद खराब होती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी खिलौने सस्ते मूल्य पर बेचे जाते हैं। भारत की Parliamentary Standing Committee on Commerce की 2018 में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया था कि, चीनी खिलौनों की अधिकता के कारण भारत के छोटे व्यवसायियों के रोजगार ठप हो रहे हैं। इन चीनी खिलौनों की गुणवत्ता और इनके ज़हरीली सामग्री से बने होने पर भी चिंता व्यक्त की गई थी।
पीएम मोदी के आह्वान के बाद अब भारत में खिलौनों के प्रमुख केंद्र जैसे कर्नाटक का चन्नापटना, राजस्थान का कठपुतली बाज़ार, आंध्र प्रदेश का कोंडापल्ली तमिलनाडु का तंजावुर, असम का धुबरी और यूपी के वाराणसी को भी विशेष बढ़ावा दिया जाएगा। इससे विश्व स्तरीय खिलौनों का उत्पादन देश में ही हो सकेगा और चीन पर से हमारी निर्भरता समाप्त हो जाएगी। पीएम मोदी ने इस दौरान स्टार्ट-अप्स को खिलौनों के उत्पादन के लिए टीम-अप करने का भी आह्वान किया जो “वोकल फॉर लोकल” के तहत होगा।
सरकार द्वारा मिले उत्साहवर्धन के कारण 92 भारतीय खिलौना कंपनियों ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपनी प्रोडक्शन यूनिट्स को ग्रेटर नोएडा के जेवर एयरपोर्ट के पास खोलने के आवेदन दिए हैं। इससे देसी खिलौना बाजार को और तेज़ी मिलेगी। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के सीईओ अरुण वीर सिंह ने बताया, “खिलौना उद्योगों के लिए पूरे 100 एकड़ भूमि आवंटित होने के बाद, हमें 3000 करोड़ रुपये तक के निवेश की उम्मीद हैं। पहले चरण में अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और 92 आवेदन आए हैं। आवेदन को परखने के बाद 15 दिनों के भीतर जमीन का आवंटन किया जाएगा।” बता दें कि, FunZoo, Ankit Toys, Toy treasurers और Funride जैसी बड़ी घरेलू कंपनियों ने जमीन के लिए आवेदन दिया है।
सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि कर्नाटक सरकार ने भी ने कोप्पल शहर में 5,000 करोड़ रुपये के खिलौना बाज़ार के क्लस्टर को विकसित करने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने 400 एकड़ भूमि की पहचान कर ली है जहां खिलौना निर्माता 1000 वर्ग मीटर से 10000 वर्ग मीटर तक के ज़मीनों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
In line with PM @narendramodi 's vision of #VocalForLocal & boosting toy manufacturing, Koppala will have India's first toy manufacturing cluster. With the eco-system to support toy cluster in place, this 400 acres SEZ will have top-class infra & generate 40,000 jobs in 5 years. pic.twitter.com/xFOJbo5Z4H
— B.S.Yediyurappa (Modi Ka Parivar) (@BSYBJP) August 30, 2020
गुजरात में दुनिया का सबसे बड़ा टॉय म्यूजियम भी बनने जा रहा है जो भारतीय लोक संस्कृति में खिलौनों के महत्व को दर्शाने के लिए बनाया जा रहा है। यह गुजरात की चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी के बाल भवन प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। यहां प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के 11 लाख से ज्यादा खिलौने प्रदर्शित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य खिलौनों के जरिए वैज्ञानिक, कलाकार, महापुरुषों का परिचय कराना और भारतीय संस्कृति का दर्शन करवाना है। वहीं गुजरात के ही मोरबी जिले में 150 कंपनियों ने चीनी उत्पादों के स्थानीय विकल्प बनाने के लिए एक-दूसरे हाथ मिलाया है, जिसमें खिलौने सबसे ऊपर हैं।
चीनी खिलौनों का विरोध कर भारतीय खिलौना उत्पादकों को अनुकूल माहौल देना हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए जिससे भारत खिलौना विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बन जाए। अब ऐसा लगता है कि, पीएम मोदी के आह्वान पर भारत खिलौना बाजार में चीन के वर्चस्व को खत्म करने के लिए तैयार है।