‘जाओ और दुश्मनों को भून डालों’, भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारतीय सैनिकों को मिली फायरिंग की छूट

कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे!

सैनिकों

पूर्वी लद्दाख में व्याप्त तनातनी को देखते हुए ऐसा लगता है कि भारत अब किसी भी प्रकार की घटना के लिए तैयार है। चूंकि चीन द्वारा शांति बहाल करने के कोई आसार नहीं नज़र आ रहे हैं, ऐसे में भारत ने चीन को खुली चेतावनी दी है कि भारतीय सेना आवश्यकता पड़ने पर आत्मरक्षा में चीनियों पर गोलियां बरसाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है।

भारत ने चीन को आधिकारिक तौर पर चेतावनी देते हुए कहा है,

“चीन द्वारा संख्याबल के आधार पर भारतीय सैनिकों को डराने की नीति भारतीय सेना द्वारा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर हमारे सैनिकों को लगता है कि उन्हें अपनी जान का खतरा [इन चीनी सैनिकों से] है, तो वे बेफिक्र होकर आत्मरक्षा में शत्रु पर गोलियां चला सकते हैं”।

द प्रिंट से बातचीत के दौरान एक उच्च सरकारी अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर इस बात को साझा किया।

ये निर्णय अपने आप में काफी क्रांतिकारी है, क्योंकि द्विपक्षीय समझौतों के कारण भारत और चीन दोनों पर ही गोलियां चलाने की पाबंदी थी। लेकिन पाकिस्तान की भांति चीन ने भी कभी इन समझौतों का मान नहीं रखा, जिसके कारण पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को एक खूनी झड़प भी हुई थी। अब चूंकि चीन युद्ध पर आमादा दिखाई दे रहा है, इसीलिए भारत ने भी अपने तौर तरीकों में बदलाव लाने का निर्णय किया है, और वह पाकिस्तान की तरह चीन की भी गीदड़ भभकियों से बिलकुल नहीं डरने वाला।

जिस समय भारत ने यह चेतावनी जारी की है, वो भी काफी महत्व रखता है, क्योंकि लद्दाख की कड़कड़ाती सर्दियां आने को हैं, लेकिन अभी से ही चीनी सैनिकों की हालत बहुत पतली हो गयी है, और कई सैनिक ऊंचाई संबंधी बीमारियों के कारण अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं। शायद इसी संभावना को ध्यान में रखते हुए पूर्व आर्मी अफसर, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने कहा था कि यदि भारतीय सैनिकों ने सितंबर तक धैर्य बनाए रखा, तो अक्टूबर से चीन का कोई भी कदम उसी के लिए घातक सिद्ध होगा।

यदि युद्ध की स्थिति बनती है, तो भीषण ठंडी से निपटने के लिए भी भारत पूरी तरह से तैयार है, जिसके लिए सैनिकों ने युद्धभूमि के अनुरूप अपने आप को ढालने से लेकर आवश्यक राशन और सामग्री जुटाने की भी व्यवस्था की है। इसके अलावा भारतीय सेना के पास तिब्बती सैनिकों का भी लाभ है, जो इस क्षेत्र से अपने घर के आँगन की तरह परिचित हैं। चूंकि भारत के पास सियाचिन ग्लेशियर में तैनात होने का अनुभव है, इसीलिए उन्हें चीनी सैनिकों से निपटने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होगी।

ऐसे में चीनी सैनिकों के लिए श्रेयस्कर यही होगा कि वे मोर्चे से पीछे हट जायें। लेकिन शी जिनपिंग के हारने के भय से शायद ही ऐसा कुछ करेंगे। इसीलिए भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश भेजा है कि वे अपनी हद में रहे, अन्यथा स्थिति ऐसी हो जाएगी कि 1971 में पाकिस्तान की कुटाई भी आने वाले दिनों के संघर्ष के सामने छोटी पड़ जाएगी। भारतीय सैनिकों को सरेआम आत्मरक्षा में गोलियां चलाने की खुली छूट दे भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश भेजा है – कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे!

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