ईरान की सबसे बड़ी गलती- चीन के साथ डील करने के बाद ईरान अब एक Surveillance State बनने जा रहा है

चीन से पैसे लेकर ईरान ने उसे अपनी रूह ही बेच डाली

ईरान

ईरान की सरकार ने अपनी आत्मा चीन के हवाले कर दिया है। TFI ने पहले ही बताया था कि इस तरह से चीन ईरान पर लगे प्रतिबंधों का फायदा उठा कर उसे मदद के नाम पर खरीद रहा है और अगले पच्चीस वर्षों में पाकिस्तान की तर्ज पर इसे प्रॉक्सी-स्टेट बनाने के लिए काम कर रहा है। अब यह खुलासा हुआ है कि चीन ईरान को सिर्फ प्रॉक्सी-स्टेट नहीं बनाएगा, बल्कि अगले 25 वर्षों में CCTV और इंटरनेट फायरवाल के जरीये सर्विलान्स और सेंसर कर Mini-China बना देगा।

दरअसल, पिछले वर्ष अगस्त में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद ज़रीफ़ ने अपने चीन के समकक्ष, वांग ली से मुलाक़ात कर चीन के साथ 25-वर्ष की चीन-ईरान रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किया था। चीन अब इस समझौते का इस्तेमाल कर ईरान को अपने इशारे पर नाचने वाला बंदर बनाना शुरू करने जा रहा है। इस समझौते के तहत न सिर्फ ईरानी लोगों का चौबीसों घंटे सर्विलान्स होगा बल्कि उनके देश में भी इंटरनेट पर CCP अपने देश की तरह ही फायरवाल लगा देगी।

Oilprice.com की रिपोर्ट के अनुसार चीन और ईरान के बीच 25 वर्षीय सौदे का अगला चरण चाहबार के बंदरगाह के आसपास इलेक्ट्रॉनिक जासूसी और युद्ध क्षमताओं को विकसित करने पर आधारित होगा। इसके तहत लगभग चाहबार के 5,000 किलोमीटर के रेडियस में निगरानी  करेगा और ईरान की जनता भी इससे बच नहीं पायेगी।

ईरान के लोगों की बड़े पैमाने पर निगरानी, और नियंत्रण प्रणाली इसी वर्ष नवंबर महीने के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाएगा। Oilprice.com के अनुसार, “इस योजना के तहत लगभग 10 मिलियन अतिरिक्त CCTV कैमरों को ईरान के सात सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में लगाया जाएगा। इसके साथ ही पांच मिलियन या उससे से अधिक पिनहोल निगरानी कैमरों को 21 अन्य शहरों में लगाया जाएगा जो सीधे चीन surveillance and monitoring systems से जुड़ जाएंगे।”

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि, “इस सर्विलान्स से ईरान का चीन की एल्गोरिथम सर्विलान्स प्रणाली से एकीकरण हो जाएगा जिससे प्रत्येक नागरिक पर नजर रखा जा सकेगा।“

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि चीन इसी समय अपने ग्रेट फ़ायरवॉल जो विदेशी इंटरनेट साइटों को प्रतिबंधित करता है उसके माध्यम से, ईरान में इंटरनेट के भारी सेंसर वाले संस्करण का परीक्षण करना शुरू कर देगा।

यही नहीं स्कूल में सिखाई जाने वाली एक प्रमुख विदेशी भाषा में अँग्रेजी के साथ मंदारिन अनिवार्य किया जाएगा। उसके बाद अँग्रेजी को हटा कर सिर्फ मंदारिन कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया के अंत तक Iran के ये सात शहर दुनिया के शीर्ष 25 सबसे अधिक सर्विलान्स वाले शहरों में होंगे।

ईरान के चाबहार में इस जासूसी सुपर सुविधा का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इस पर काम नवंबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होना है। यानि अगर सब चीनी कार्यक्रम से हुआ तो यह दुनिया के सबसे बड़े खुफिया-एकत्रित करने वाले स्टेशनों में से एक हो जाएगा। यह ऐसा नहीं है कि इन सर्विलान्स में इरानियों को नौकरी पर लगाया जाएगा बल्कि यह मुख्य रूप से चीनी खुफिया अधिकारियों को रोजगार देगा। इसके साथ ही उपकरण और प्रौद्योगिकी को संभालने के लिए रूसियों को भी नियुक्त किया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि इस सर्विलान्स के प्रशिक्षण में केवल इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के शीर्ष रैंक से चुने गए हैं।

इस स्टेशन का इस्तेमाल C4ISR यानि कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस, और रिकॉइसेंस] को इंटरसेप्ट करने, मॉनिटर करने और बेअसर करने के लिए भी किया जाएगा जो अधिकतर अमेरिका और NATO के सदस्यों और सहयोगी सदस्यों द्वारा उपयोग की जाती है। इसमें विशेष रूप से, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इज़राइल पर खास फोकस किया जाएगा।

इस प्रकार, चाबहार स्टेशन से बीजिंग को पश्चिम में ऑस्ट्रिया के किनारे से लेकर पूर्व के सभी क्षेत्रों जैसे यूगोस्लाव देशों, ग्रीस और तुर्की सहित दुश्मन देशों और दक्षिण में मिस्र, सूडान, इथियोपिया, सोमालिया, और केन्या, और पूर्व में अफगानिस्तान, भारत, पाकिस्तान और थाईलैंड तक के संचार की निगरानी करने और उन्हें बाधित करने के लिए अपनी पहुंच बढ़ा सकेगा।

यह सभी को स्पष्ट है कि चीन पहले ही 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से इरान को खरीद चुका है जिसके बाद वह अपने मन से वहाँ अपना मिलिटरी बेस खोल और उसे हथियारबंद कर सकता है। अब इस नए खुलासे के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि चीन सिर्फ ईरान के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया में भी जासूसी करने के लिए उसे खरीद रहा है। 25 साल की अवधि के अंत तक चीन ईरान को Mini China बना देगा। उस समय तक, ईरान बीजिंग के वन बेल्ट, वन रोड परियोजना में एक रणनीतिक, भौगोलिक तथा भू-राजनीतिक केंद्र बन जाएगा।

सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि चाबहार में चीनी भागीदारी है, उसके बाद इस कम्युनिस्ट देश के पास भारत सहित दक्षिण एशिया से निगरानी करने की क्षमता प्राप्त हो जाएगी। यह किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है।

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