चीन और अमेरिका के बीच विवाद दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिका की नाराजगी के कारण चीन की बुरी भद्द पिट रही है। अमेरिका ने अब दूरस्थ पैसिफिक क्षेत्र में अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाते हुए जबरदस्त युद्धाभ्यास किया है। यही नहीं एशियाई क्षेत्र से लेकर साउथ चाइना सी पर उसकी मौजूदगी चीन के लिए चिंता का सबब बन गई है कि अगर उसने इस क्षेत्र में दादागिरी दिखाते हुए कोई भी ऊंच-नीच की तो उसे इसका बुरा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
अमेरिका की बढ़ी मौजूदगी
अमेरिका चीन को घेरने के लिए अपनी सेना को इन क्षेत्रों में भेजना शुरू कर चुका है। अमेरिकी लड़ाकू विमान युद्धक साजों सामान के साथ लगातार अलास्का आइलैंड पर युद्धाभ्यास में जुटे हुए हैं। पिछले काफी वक्त से अमेरिका एशिया से लेकर साउथ चाइना सी पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। अमेरिकी सेना सितंबर में एशिया पैसिफिक के एक बेहद विशाल क्षेत्र में युद्धाभ्यास कर रही है जिसे दखकर ये कहा जा सकता है कि वो साउथ चाइना सी के आस-पास चाइनीज आइलैंड्स को निशाना बनाने के युद्धाभ्यास में जुटी हुई है।
डिफेंडर पैसफिक 2020 के युद्धाभ्यास के अंतर्गत अमेरिकी सेना ने पलाऊ (Palau) और अल्यूशियन (Aleutian) द्वीप पर बड़ा युद्धाभ्यास किया। जिसमें बड़े पैमाने पर सैन्य सामाग्री का इस्तेमाल होने के साथ ही 10 हजार सैनिकों की एक बड़ी संख्या भी थी।
इस युद्धाभ्यास पर गौर करें तो ऐसा लगता है अमेरिका अब चीन को उसकी गलतियों के लिए सबक सिखाने का मन बना चुका है और हो सकता है आने वाले समय में चीन द्वारा अवैध तरीके से कब्जे में लिए गए आइलैंड को उससे छिनेगा भी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने इस युद्धाभ्यास के लिए करीब 300 मिलियन डॉलर्स खर्च किये हैं और इस दौरान अमेरिकी सेना ने आइलैंड्स को निशाना बनाकर उन्हें कब्जा करने की खूब तैयारियां भी कर रहे हैं।
क्षेत्र पर है नजर
पिछले साल ही तत्कालीन अमेरिकी सेना के कमांडर रॉबर्ट ब्राउन ने कहा था, ‘पैसिफिक क्षेत्र में सेना के पहुंचने पर चीन को चुनौती मिलेगी। हम कोरिया नहीं गए लेकिन हम यहां साउथ चाइना सी के क्षेत्र में रहकर परिदृश्यों पर अपनी कड़ी नजर रखेंगे।’ दो दिन पहले ही अमेरिकी वायुसेना के सी-17 एस विमान अलास्का के द्वीपों पर अमेरिकी पैराट्रूपर को उतरते देखा गया था। अमेरिका ने इस विशाल क्षेत्र में युद्धाभ्यास कर चीनी पीएलए और कम्युनिस्ट सरकार को साफ चेताया है कि उसके सैनिक कैसे इतने बड़े क्षेत्र में वायु और समुद्र के अलग-अलग माध्यमों से हजारों आइलैंड्स पर कब्जा कर सकते हैं जिससे साउथ चाइना सी पर चीन का खोखला दावा फुस्स हो सकता है।
ताइवान के साथ अमेरिका
इसके साथ ही अमेरिका ताइवान के साथ रिश्ते मजबूत करने के अलावा उसके पीछे खड़ा है। चीन लगातार संप्रभुता के नाम पर ताइवान को आंखें दिखाकर धमका रहा है। कुछ दिनों पहले ही चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने ताइवान की त्साई सरकार को अस्थिर करने तक की धमकियां दीं थीं, जिसके बाद अमेरिका बैकडोर से ताइवान का सपोर्ट कर रहा है ऐसी स्थिति में ताइवान में यदि चीन कोई भी नापाक हरकत करता है तो ये चीन और अमेरिका के बीच एक बड़े युद्ध का कारण हो सकता है।
चीन के लिए खतरा
एशियाई क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक अमेरिकी सेना का युद्धाभ्यास चीन को रास नहीं आ रहा है। अमेरिका जिस तरह से इस क्षेत्र के छोटे देशों के साथ मिलकर अपनी सैन्य मौजूदगी का विस्तार कर रहा है उससे चीन की मुसीबतें बढ़ रही है। वहीं साउथ चाइना सी को लेकर चीन का दावा है कि क्षेत्र का 80 प्रतिशत भाग उसका है।
गौरतलब है कि ये क्षेत्र करीब 100 छोटे बड़े द्वीपों का समूह है। ताइवान, मलेशिया, ब्रुनोई, फिलीपींस और वियतनाम भी इस पर अपना दावा ठोकते हैं। इस कारण चीन के लिए ये क्षेत्र महत्वपूर्ण होने के साथ ही खतरा भी बन गया है क्योंकि इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। ऐसे में अमेरिका का उग्र होना चीन के लिए खतरे की घंटी है। अमेरिका की तरह ही चीन भी इस क्षेत्र में आए दिन युद्धाभ्यास करता रहता है। अपने इन ऑपरेशंस के दौरान चीन इन इलाकों में बमों की बारिश करता रहता है लेकिन अमेरिका के आगे उसका सैन्य अभ्यास संकुचित हो जाता है।
ऐसे में अमेरिका द्वारा पैसिफिक क्षेत्र में किया गया युद्धाभ्यास चीन के लिए एक चेतावनी या धमकी की तरह ही है कि अगर चीन इस क्षेत्र में ज्यादा उछल कूद करते हुए ताइवान या किसी अन्य देश को नुकसान पहुंचाता है तो अमेरिकी सेना उसकी कमज़ोर नब्ज पर तगड़ा वार करने में ज्यादा वक्त नहीं लगाएगी।